दत्तक ग्रहण नियम में संशोधन: आसान हुआ बच्चा गोद लेना, सरकार ने बदले नियम
1 min readरायपुर। chaturpost.com (चतुरपोस्ट.कॉम)
सरकार ने दत्तक ग्रहण नियम में संशोधन कर दिया है। इससे बच्चा गोद लेना अब आसान हो गया है। पहले किसी भी बच्चे को गोद लेने के लिए कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ता था। नियमों में बदलाव के बाद अब ऐसा नहीं करना पड़ेगा। इससे गोद लेने की प्रक्रिया सरल हो गई है।
अब जिला स्तर पर होगी दत्तक ग्रहण की पूरी प्रक्रिया
नए नियम में जिला दंडाधिकारी जिला कलेक्टर को दत्तक ग्रहण का उत्तरदायित्व और आदेश का अधिकार दिया गया है। पहले दत्तक ग्रहण का आदेश न्यायालय देता था। दत्तक ग्रहण की सारी प्रक्रियाएं अब जिला स्तर पर ही जिला दंडाधिकारी के आदेशानुसार होंगी। विनियम में जिला बाल संरक्षण इकाई की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बनाया गया है।
यह जानकारी रायपुर में नवीन दत्तक ग्रहण विनियम 2022 पर आयोजित राज्य स्तरीय उन्मुखीकरण प्रशिक्षण कार्यशाला में दी गई। इसका आयोजन केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण, राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन अभिकरण और महिला एवं बाल विकास विभाग ने किया था।
बच्चों को दत्तक देना और लेना दोनों ही महत्वपूर्ण
राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष तेज कुंवर नेताम ने कहा कि बच्चों को दत्तक देना और लेना दोनों ही महत्वपूर्ण और जिम्मेदारी का काम है। जिसे पूरी संवेदनशीलता के साथ करना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि नए विनियम के अनुसार अब कलेक्टरों के पास अधिकार हैं। सभी दत्तक ग्रहण की प्रक्रियाओं को जल्दी पूरा करने का प्रयास करेंए जिससे बच्चों का भविष्य संवर सके।
उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आभार प्रकट करते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ में संस्थाओं में रह रहे बच्चों की सुरक्षा और देखरेख के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। उन्होंने बच्चों के लिए उचित लालन, पालन और शिक्षा को महत्वपूर्ण बताते हुए शिक्षकों- पालकों और समाज के नागरिकों से बच्चों के भविष्य को सही दिशा देने का आव्हान किया।
बच्चों को समाज की मुख्य धारा में लाना दत्तक ग्रहण का प्रमुख उद्देश्य
कारा के प्रतिनिधि मनीष त्रिपाठी ने कहा कि किसी बच्चे का सर्वाधिक विकास परिवार में ही होता है। बच्चों को समाज की मुख्य धारा में लाना और परिवार देना विनियम दत्तक ग्रहण कानून का मुख्य उद्देश्य है। रूपांशी पाण्डेय ने बताया कि दत्तक ग्रहण को प्रोत्साहित करने के लिए नवंबर को दत्तक ग्रहण माह के रूप में मनाया जाता है।
दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए महत्वपूर्ण संशोधन करते हुए दत्तक ग्रहण विनियम 2022 लागू किया गया है। इसमें जिला दंडाधिकारी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेटद् की भूमिका को सशक्त बनाया गया है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी का उत्तरदायित्व बढ़ाया गया है। हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम 1956 में आवश्यक संशोधन किए गए हैं। उन्होंने बताया कि दत्तक ग्रहण से संबंधित समस्याओं के निराकरण के लिए हेल्प डेस्क भी बनाया गया है।
दत्तक ग्रहण का काम संवेदनशीलता और ममत्व से जुड़ा
संचालक दिव्या मिश्रा ने कहा कि दत्तक ग्रहण का काम संवेदनशीलता और ममत्व से जुड़ा है इसलिए ऐसे बच्चे जिनके पास परिवार नही हैं और जिन्हें देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता है उसकी योजना को मिशन वात्सल्य का नाम दिया गया है। दत्तक ग्रहण के लिए काम करते समय हम सब में मां की तरह अभिभावक की भावना और स्नेह होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों के दत्तक ग्रहण में तेजी लाने के लिए कलेक्टरों का संवेदीकरण भी जरूरी है। जितनी शीघ्रता से काम होगा उतनी जल्दी हम बच्चों को परिवार और सुरक्षित भविष्य दे पाएंगे।
दत्तक ग्रहण में मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका
दत्तक ग्रहण में मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, इसलिए उन्हें भी कार्यशाला में प्रमुख रूप से शामिल किया गया। उन्हें बताया गया कि बच्चों की मेडिकल एक्जामिनेशन रिपोर्ट ध्यान से बनाया जाना चाहिए। बच्चों की दिव्यांगता या बीमारी का पहले से पता रहने पर परिवार विखंडन से बच सकता है।
कार्यशाला के आयोजन का उद्देश्य बताते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त संचालक नंदलाल चौधरी ने कहा कि दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को सरल बनाने और इसमें लगने वाले समय को कम करने के लिए नए विनियम में आवश्यक संशोधन किए गए हैं। बच्चे को जल्दी जैविक या विधिक परिवार मिले। यह विनियम का प्रमुख उद्देश्य है। समय से बच्चे को परिवार और देखरेख देने से उसका भविष्य संवर सकता है।
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कार्यशाला में राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष तेजकुंवर नेताम, केंद्रीय दत्तक ग्रहण प्राधिकरण के प्रतिनिधि मनीष त्रिपाठी और वरिष्ठ अधिकारी रूपांशी पाण्डेय, महिला एवं बाल विकास विभाग की संचालक दिव्या मिश्रा, स्वास्थ्य संचालनालय के राज्य समन्वयक डॉ. वीआर भगत, यूनिसेफ के प्रतिनिधि अभिषेक सिंह शामिल हुए।
कार्यशाला में प्रदेश के बाल कल्याण समितियों के अध्यक्षए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारीए जिला बाल संरक्षण अधिकारी संरक्षण अधिकारी गैर संस्थागत देखरेख बाल गृहों के अधीक्षक और विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण के प्रतिनिधि शामिल हुए।