September 21, 2024

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Chhattisgarh: गोवंश की हत्‍या पर सरकार सख्‍त: जानिए.. पकड़े गए तो होगी कितने साल की सजा और कितना जुर्माना

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Chhattisgarh: प्रदेश में गोवंश व दुधारू पशुओं का अनाधिकृत परिवहन तस्करी, वध व मांस की बिक्री आदि घटनायें प्रकाश में आई है। इन घटनाओं में संलिप्त अभियुक्तों को चिन्हित करते हुए इनके विरूद्ध प्रभावी विधिसम्मत निरोधात्मक कार्यवाही किया जाना आवश्यक है। विदित हो कि इस अपराध पर प्रभावी नियंत्रण न हो पाने के कारण इस क्रूर प्रवृत्ति के प्रति जनता में काफी आक्रोश उत्पन्न होता है, जिससे साम्प्रदायिक सौहार्द और कानून व्यवस्था भी प्रभावित होती है। इस प्रकार के अवैध कृत्यों में संलिप्त आरोपियों के विरूद्ध एक विशेष अभियान चलाकर समूल उन्मूलन किया जावे। उक्त घटनाओं की रोकथाम के लिए निम्नलिखित निर्देश दिए जाते है :-

कानूनी प्रावधानों का उपयोग :- उपरोक्त घटनाओं के रोकथाम व नियंत्रण हेतु निम्नलिखित अधिनियम व नियम प्रभावशील है:-
(1) छ.ग. कृषिक पशु परिरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2011
(2) छ.ग. कृषिक पशु परिरक्षण नियम, 2014
(3) पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम, 1960
(4) पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण नियम, 2017

राज्य में छ.ग. कृषिक पशु परिरक्षण अधिनियम, 2004 के प्रमुख प्रावधान निम्नानुसार हैः-

  • अधिनियम की धारा 4 कृषिक पशुओं के वध का प्रतिषेध।
  • अधिनियम की धारा 5 कृषिक पशुओं के मांस रखने पर प्रतिषेध
  • अधिनियम की धारा 6 वध में गौवंश के परिवहन पर प्रतिषेध साथ ही कृषिक पशु के परिवहन में प्रयुक्त वाहन और परिवहन किये जा रहे पशुओं को जप्त करने का भी प्रावधान है।
  • अधिनियम की धारा 4,5 एवं 6 के किसी उपबंधों का उल्लंघन करने या उल्लंघन करने का प्रयास या दुष्प्रेरण करने पर, सात साल तक का कारावास या रू 50,000/- के जुर्माने से या दोनों से दण्डनीय होगा। (धारा-10)
  • अधिनियम की धारा 11 के अधीन अधिनियम के किन्ही प्रावधानो के मामले में सबूत या भार अभियुक्त पर होगा।
  • अधिनियम की धारा 12 के अधीन समस्त अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय है।
  • छत्तीसगढ़ कृषिक पशु परिरक्षण नियम, 2024 के नियम 7 अनुसार धारा 4, 5 एवं 6 के किसी उल्लंघन की दशा में पुलिस किसी यान, कृषिक पशु या उसके मांस को अधिहत करने के लिए सशक्त होगी और जिला मजिस्ट्रेट ऐसे यानों, कृषिक पशु या उसके मांस को बीएनएसस की धारा 103 के उपबंधों के अनुसार निम्नलिखित रीति में अधिहत करेगा, अर्थातः-
    (क) वह यान को कब्जे में लेगा। (ख) वह कृषिक पशु या उसके मांस को, छत्तीसगढ़ गौ-सेवा आयोग से पंजीकृत किसी संस्था अथवा व्यक्ति की अभिरक्षा में भेजेगा, तथा
    (ग) कृषिक पशु के मांस का, पशुधन विभाग द्वारा ऐसी रीति में, जैसा कि वह उचित समझे, निराकरण करेगा।
  • कृषिक पशु सभी आयु के गायें, बछड़ा बछिया और पाड़ा, पड़िया, सांड, बैल, भैंसा, भैसें शामिल है।
  • पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11 अनुसार पशुओं को मारने, टोकर मारेगा, उस पर अत्यधिक सवारी करेगा, अत्यधिक बोझ लादेगा या किसी यान मे ऐसे रीति से ले जायेगा जिससे उसे यातना पहुंचती है या उसे परिरूद्ध करेगा, पर्याप्त खाना, जल या आश्रय नही देगा, उनके विरूद्ध दांडिक कार्यवाही किये जाने का प्रावधान किया गया है।

Chhattisgarh: विवेचना के दौरान की जाने वाली कार्यवाही :-

गौवंश एवं दुधारू पशुओं की तस्करी एवं वध की घटनाओं के रोकथाम हेतु आसूचना तंत्र विकसित किया जाये।
गौवंश का वध व वध किये जाने का प्रयास किये जाने की सूचना प्राप्त होने पर, घटना पर तत्काल संज्ञान लेते हुये सुसंगत धाराओं में अपराध दर्ज कर अभियुक्तों की पहचान स्थापित करते हुये कार्यवाही की जाये।

गौवंश एवं दुधारू पशुओं को अवैध परिवहन (तस्करी) के दौरान जप्त करने पर नियमानुसार संबंधित विभाग से समन्वय स्थापित करते हुये गौशाला/कांजी हाउस या संबंधित संस्था को सुपुर्दगी में दिया जावे।

पशु वध शालाओं के विरुद्ध जिला मजिस्ट्रेट के साथ समन्वय स्थापित करते हुये विधिसम्मत कार्यवाही किया जावे।

गौवंश का परिवहन सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी निर्धारित प्रारूप में अनुज्ञापत्र के बिना परिवहन न हो, यह सुनिश्चित किया जाये।

अनुज्ञापत्र धारक वाहनों में मवेशी के परिवहन करते समय पृथक से ऐसे वाहनों पर फ्लैक्स/बैनर लगाकर चिन्हाकिंत किया जाये, कि ऐसे वाहन में गौवंश का परिवहन किया जा रहा है।

अवैध रूप से गौवंश परिवहन करने वाले वाहनों को राजसात किया जाये एवं वाहन मालिक पर भी आपराधिक दाण्डिक कार्यवाही किया जाये।

प्रकरण में फरार आरोपियों की गिरफ्तारी हेतु प्रभावी कार्यवाही किया जाना सुनिश्चित करें।

आरोपी, संदिग्ध, गवाह व मुखबीर से सघन पूछताछ करते हुये सूचना एकत्रित किया जाये।संवेदनशील क्षेत्र एवं संदिग्धों को चिन्हाकित करना :-

    • विगत वर्षों में हुई घटनाओं की जानकारी संकलित व सूचीबद्ध करते हुये तस्करी के रूट, संवेदनशील क्षेत्र को चिन्हित करते हुए विशेष कार्य योजना तैयार किया जाये।
    • जिला/थाना स्तर पर गौवध तथा गौवंश की तस्करी की घटनाओं में संलिप्त व्यक्तियों को चिन्हित कर इनके विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही किया जाये।
    • तस्करों के Modus Operandi (कार्यप्रणाली) का अध्ययन करें जैसे तस्करी के उपयोग में लाये जाने वाले मार्ग, अंधेरे में परिवहन करना, ग्रामीण/सुनसान सड़क का प्रयोग करना आदि।
      Chhattisgarh: 4. सर्विलेंस व पेट्रोलिंग :-
    • अइ प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में विशेष रूप से अवैध परिवहन (तस्करी) रोकने हेतु संवेदनशील क्षेत्रों में स्थैतिक सर्विलेंस पाइंट स्थापित किया जायें।
    • तस्करी में प्रयोग होने वाले संभावित मार्गो पर निरंतर पेट्रोलिंग किया जाये।

    प्रभावी निरोधात्मक कार्यवाही एवं अभिलेखीकरणः-

      • अभियुक्तों द्वारा अवैध तस्करी से अर्जित सम्पत्ति को चिन्हित करते हुये नियमानुसार जप्ती/कुर्की की प्रभावी कार्यवाही किया जावें।
      • विगत वर्षों की घटनाओं में संलिप्त अभियुक्तों की सूची तैयार कर आदतन अपराधियों की हिस्ट्रीशीट खोली जाये।
      • अपराध में संलिप्त सह-अभियुक्तों व सहयोगियों को चिहिन्त कर उन पर सतत् निगरानी रखी जावे।
      • उक्त प्रकरणों में अपराध विवेचना के साथ वित्तीय जांच एवं मनीट्रेल का भी पता लगाये जाये।
      • उक्त घटनाओं की रोकथाम हेतु अन्य विधि प्रवर्तक एजेंसी व राज्यों के साथ भी जानकारी साझा किया जाये।

      प्रकरणों की सतत् मॉनिटरिंग/अभियोजनः-

        • जिला स्तर पर गौवंश के वध तथा गौवंश व दुधारू पशुओं की तस्करी (अवैध परिवहन) से संबंधित समस्त लम्बित प्रकरणों की सूची तैयार कर इनका समुचित पर्यवेक्षण/मानिटरिंग करते हुये शीघ्र कार्यवाही पूर्ण कराकर निराकरण कराया जावे।
        • दोषमुक्ति प्रकरणों की समीक्षा किया जाकर विवेचना की कमियों की पूर्ति हेतु आवश्यक कार्यवाही किया जायें।
        • माननीय न्यायालय में विचाराधीन मामलों की अभियोजन में प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की जाये, जिससे अभियुक्तों की जमानत का लाभ न मिल सके तथा अभियुक्त को अभियोजित किया जा सके।
        • जिला स्तर पर एक राजपत्रित अधिकारी को उक्त घटनाओं की रोकथाम व पर्यवेक्षण करने हेतु नोडल अधिकारी की नियुक्ति किया जाये व इसकी जानकारी सभी थानों/जिला स्तर/सार्वजनिक स्थलों पर प्रदर्शित किया जायें ताकि उक्त घटनाओं के संबंध में जानकारी नोडल अधिकारी को प्रदान की जा सके।

        Chhattisgarh: 7. प्रशिक्षण व क्षमतावर्धनः-

        विवेचना अधिकारियों के लिए नियमित अंतराल में प्रशिक्षण कार्यक्रम व कार्यशाला का आयोजन किया जाये।

        विवेचना अधिकारियों को आवश्यक संसाधन व उपकरण प्रदाय किया जाये ताकि गी तस्करी के प्रकरणों पर पूर्णतः अंकुश लगाया जा सके।

        Chhattisgarh: पुलिस अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाहीः-

          • यदि नियम विरूद्ध परिवहन होना पाया जाता है तो जहां से परिवहन शुरू हुआ और जहां वाहन जप्त किया गया है। उस बीच के समस्त पुलिस अधीक्षक और थाना प्रभारियों के सर्विस बुक में नकारात्मक टीप अंकित की जावेगी और पांच से अधिक बार नकारात्मक टीप अंकित होने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही भी की जावेगी।
          • यदि किसी पुलिस अधिकारी/कर्मचारी की गौवंश के वध तथा गौवंश व दुधारू पशुओं की तस्करी (अवैध परिवहन) की कार्यवाही में किसी प्रकार की शिथिलता व संलिप्तता पायी जाती है, तो उनके विरूद्ध कठोर दण्डात्मक/विभागीय कार्यवाही किया जाये।
          • प्रदेश में गौवंश व दुधारू पशुओं की तस्करी अनाधिकृत परिवहन (तस्करी), वध व मांस की बिक्री आदि की घटनायें रोकने के संबंधी दिये गये उपरोक्त दिशा-निर्देशों का कड़ाई पालन कराया जाना सुनिश्चित करें एवं की गई कार्यवाही से पुलिस मुख्यालय को अवगत कराने का कष्ट करें।

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