
Anwar Dhebar रायपुर। छत्तीसगढ़ चर्चित शराब घोटाले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कारोबारी अनवर ढेबर को जमानत दे दी है। अनवर ढेबर रायपुर के पूर्व महापौर एजाज ढेबर के भाई हैं। अनवर पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। अदालत ने लंबित ट्रायल, जांच की प्रगति में देरी और निरंतर हिरासत को अनुपयुक्त ठहराते हुए यह राहत दी है।
अभी जेल में ही रहना पड़ेगा
सुप्रीम कोर्ट से अनवर ढेबर को जमानत मिल गई है, लेकिन अभी वे जेल बाहर नहीं आ पाएंगे। ढेबर के खिलाफ पर EOW-ACB ने भी मुकदमा दर्ज कर रखा है। इस मामले में ढेबर अभी न्यायिक हिरासत में हैं। ढेबर तभी जेल से बाहर आ सकते हैं, जब उन्हें इस मामले में भी जमानत मिल जाए।
Anwar Dhebar जानिए.. अनवर ढेबर की कब हुई थी गिरफ्तारी
सुनवाई के दौरान पीठ ने यह ध्यान दिलाया कि इससे पूर्व भी इसी विषय से संबंधित एक अन्य ECIR (प्रवर्तन केस सूचना रिपोर्ट) के तहत अनवर ढेबर ने करीब 80 दिन से जेल में रह चुके हैं। 8 अगस्त 2024 को गिरफ्तार किया गया था। ED ने अब तक मूल शिकायत के साथ तीन पूरक आरोपपत्र दाखिल किए हैं, जिनमें 40 गवाहों को सूचीबद्ध किया गया है। इसके बावजूद, सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि अब तक न तो कोई संज्ञान लिया गया है और न ही ट्रायल शुरू हुआ है, जिससे अनवर की निरंतर हिरासत को अनुचित ठहराया गया।
बचाव पक्ष के वकील ने दिया तर्क
अनवर ढेबर की तरफ से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अर्शदीप सिंह खुराना ने दलील दी कि राज्य की EOW-ACB ने दर्ज मामले में 450 गवाहों को सूचीबद्ध किया है और जांच अभी भी प्रारंभिक चरण में है। “ऐसे में सुनवाई शुरू होने की कोई निकट भविष्य में संभावना नहीं है, और अधिकतम सजा सात साल की है।
Anwar Dhebar शर्तों के साथ मिली जमानत
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने आदेश दिया कि अनवर ढेबर को एक सप्ताह के भीतर विशेष अदालत में प्रस्तुत किया जाए और ईडी की सुनवाई के बाद उन्हें शर्तों पर जमानत दी जाए।
विशेष अदालत में जमा करना होगा पासपोर्ट
अदालत ने यह भी निर्देशित किया कि अनवर ढेबर अपना पासपोर्ट विशेष अदालत में जमा करें (यदि हो), नियमित रूप से अदालत में उपस्थित रहें और ट्रायल में पूर्ण सहयोग सुनिश्चित करें।
टुटेजा को भी मिल चुकी है जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में सह-आरोपी रहे पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को भी 15 अप्रैल को जमानत दी थी। उस समय अदालत ने पाया था कि टुटेजा के खिलाफ संज्ञान आदेश को निरस्त कर दिया गया है।