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CSPDCL बिजली वितरण कंपनी के लाइनमैन और ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर, धरसींवा में दर्ज हुआ मामला

CSPDCL रायपुर। धरसींवा थाना में सरकारी बिजली वितरण कंपनी के एक लाइनमैन और ठेकेदार समेत चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है। इनकी लापरवाही के कारण एक युवक की जान तो बच गई लेकिन वह आजीवन विकलांग हो गया। हादसे में घायल हुए युवक की जान बचाने के लिए डॉक्‍टरों को उसका एक हाथ काटना पड़ा है।

इस मामले में पुलिस ने आईपीसी की धारा 337 और 338 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। मामला 6 मार्च 2024 की है। पीड़‍ित बिरझुराम यादव पावर कंपनी के ठेकेदार हीरालाल चंद्राकर, त्रिलोक चंद्राकर और विकास तिवारी की फर्म में काम करता था।

बिरझुराम मंदिर हसौद के सिरसा पारा गुजरा रहने वाला है। अपनी शिकायत में उसने बताया कि वह पांच-छह साल से वह बिजली कंपनी में हीरालाल चन्द्राकर, त्रिलोक चन्द्राकर, विकास तिवारी, फैजल मोहम्मद के अंडर मे बिजली मैकेनिक का काम करता था। 06 मार्च 2024 को सुबह 9बजे वह सिलतरा ड्यूटी आया तो उसके साथ गांव का निकेश निषाद भी था। दोनों सोनु मोनु चौक सिलतरा तालाब के साईड पर पहुंचे।

CSPDCL जहां कंपनी के लाइनमैन फैजल मोहम्मद बिरझु को 11 केवी बिजली खंभा पर चढ़ने के लिए बोला, लेकिन बिरझु ने लाइन चालू होने की बात कहते हुए वह खंभा पर पढ़ने से मना किया तब ठेकेदार हीरालाल चन्द्राकर, त्रिलोक चन्द्राकर, विकास तिवारी, लाईन मेन फैजल मोहम्मद दबाव डालने लगे।

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पुलिस से की गई शिकायत में बिरझु ने बताया कि जब उन लोगों ने बार बार बोला तो मैं बिना दस्ताना बिना सुरक्षा उपकरण के बिजली खम्भा उपर में चढ़ गया। खंभे पर चढ़ते ही 11केवी लाइन से मुझे दाहिने हाथ में झकटा लगा। इससे बिरझु 40 फी उंचे खंभे से नीचे गिरकर बेहोश हो गया। गंभीर रुप से घायल अवस्‍था में बिरझु को पहले धरसींवा अस्‍पताल ले जाया गया।

वहां से डीकेएस में भर्ती कराया गया। इसके बाद काफी दिनों तक उसका ईलाज सरोजना के एक अस्‍पताल में चला। इस दौरान हालत बिगड़ने पर परिवार के लोगों ने उसे कालडा बर्न अस्‍पताल में भर्ती कराया, जहां जान बचाने के लिए उसका दाहिना हाथ काटना पड़ा। इस दौरान ठेकेदार ने ईलाज में किसी तरह की मदद नहीं की।

CSPDCL जानिए.. आईपीसी की धारा 337 और 338 में क्‍या है सजा का प्रवधान

आईपीसी की धारा 337 लापरवाही के कारण किसी के चोटिल होने और 338 किसी के जीवन को खतरे में डालने के मामले में लगाया जाता है। 337 में छह महीने की सजा और जुर्माना या दोनों हो सकता है। इसी तरह 338 में दो साल की कैद और जुर्माना या दोनों हो सकता है।

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