Budget 2024: मोदी सरकार 3.0 का पहला बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि करों को सरल बनाने, करदाता सेवाओं में सुधार करने, कर निश्चितता प्रदान करने और मुकदमेबाजी कम करने के अपने प्रयासों को जारी रखते हुए हम सरकार की विकास और कल्याणकारी योजनाओं के वित्तपोषण के लिए राजस्व बढ़ाने का कार्य करेंगे।
हमारा सदैव प्रयास कराधान को सरल बनाने का रहा है। हमने पिछले पाँच वर्षों में अनेक उपाय किए हैं जिसमें कॉरपोरेट टैक्स और व्यक्तिगत आयकर के लिए छूटों और कटौतियों के बिना सरलीकृत कर व्यवस्थाएं प्रारम्भ करना शामिल है। करदाताओं द्वारा इसकी सराहना की गई है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में 58 प्रतिशत कॉरपोरेट टैक्स सरलीकृत टैक्स व्यवस्था द्वारा जमा हुआ। इसी प्रकार पिछले राजकोषीय (वर्ष) के लिए अब तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार दो तिहाई से अधिक करदाताओं ने नई आयकर व्यवस्था का लाभ उठाया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि अब मैं आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा की घोषणा कर रही हूँ। इसका उद्देश्य अधिनियम को संक्षिप्त, स्पष्ट, पढ़ने और समझने में आसान बनाना है। इससे विवादों और मुकदमेबाजी में कमी आएगी जिससे करदाताओं को कर में निश्चितता प्राप्त होगी। इससे मुकदमेबाजी से जुड़ी मांग में कमी आएगी। इसे छह महीनों में पूरा किए जाने का प्रस्ताव है।
धर्मार्थ संस्थाओं के कर संबंधी प्रावधानों, टीडीएस रेट व्यवस्था, पुनः निर्धारण एवं सर्च के प्रावधानों तथा कैपिटल गेन कराधान के लिए कर व्यवस्था को सरल बनाकर वित्त विधेयक में एक शुरूआत की जा रही है।
धर्मार्थ संस्थाओं के लिए कर में छूट की दो व्यवस्थाओं को मिलाकर एक करने का प्रस्ताव है। अनेक भुगतानों पर 5 प्रतिशत टीडीएस दर को घटा कर 2 प्रतिशत टीडीएस दर किया जा रहा है और म्युचुअल फंडों या यूटीआई द्वारा यूनिटों की पुनः खरीद से भुगतानों में 20 प्रतिशत टीडीएस दर को समाप्त किया जा रहा है। ई-कॉमर्स ऑपरेटरों पर टीडीएस दर को 1 प्रतिशत से कम करके 0.1 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। साथ ही, टीसीएस की राशि को वेतन पर कटौती किए जाने वाले टीडीएस की गणना में लाभ दिए जाने का प्रस्ताव है।
इसके अलावा, मैं टीडीएस के भुगतान में विलम्ब को टीडीएस के लिए विवरणी फाइल करने की नियत तारीख तक डिक्रिमिनलाईज करने का प्रस्ताव करती हूँ। मैं टीडीएस बकायों के लिए एक मानक कार्यप्रणाली प्रक्रिया (एसओपी) लाने और ऐसे बकायों के लिए कम्पाउंडिग दिशा-निर्देशों को सरल तथा युक्तिसंगत बनाने की भी योजना बना रही हूँ।
वित्त मंत्री ने कहा कि मैं रिओपनिंग और पुनः निर्धारण के प्रावधानों को पूरी तरह से सरल बनाने का प्रस्ताव करती हूँ। अब के बाद कोई निर्धारण, निर्धारण वर्ष के समाप्त होने के तीन वर्षों के बाद केवल तभी फिर से खोला जा सकेगा जब निर्धारण वर्ष के समाप्त होने से लेकर अधिकतम 5 वर्षों की अवधि तक कर से छूट प्राप्त आय ` 50 लाख या उससे अधिक हो। सर्च मामलों में भी, दस वर्षों की मौजूदा समय सीमा के स्थान पर सर्च के वर्ष से पहले छह वर्ष की समय सीमा करने का प्रस्ताव है। इससे कर-अनिश्चितताओं और विवादों में कमी आएगी।
कैपीटल गेन कराधान को भी अत्यधिक सरल बनाए जाने का प्रस्ताव है। कुछ वित्तीय परिसंपत्तियों के संबंध में लघु अवधि के लाभों पर अब से कर 20 प्रतिशत की दर से लगेगा जबकि अन्य सभी वित्तीय परिसंपत्तियों और सभी गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों पर लागू कर दर जारी रहेगी। दूसरी ओर, सभी वित्तीय और गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों पर दीर्घ अवधि के लाभों पर 12.5 प्रतिशत का कर दर लगेगा। निम्न और मध्यम आय वाले वर्गों के लाभ के लिए, मैं परिसंपत्तियों पर कैपीटल गेन के छूट की सीमा को बढ़ाकर ` 1.25 लाख प्रतिवर्ष करने का प्रस्ताव करती हूँ।
एक वर्ष से अधिक समय तक रखी गई सूचीबद्ध वित्तीय परिसंपत्तियों को दीर्घकालिक के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा जबकि गैर-सूचीबद्ध वित्तीय परिसंपत्तियों और सभी गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों को दीर्घकालिक के रूप में वर्गीकृत किए जाने के लिए इन्हें कम से कम दो वर्षों के लिए रखना होगा। गैर-सूचीबद्ध बांड और डिबेंचर्स, डेब्ट म्युचुअल फंडों और मार्केट लिंक्ड डिबेंचरों पर समस्त होल्डिंग पीरियड हेतु कैपीटल गेन टैक्स लागू कर दर से देय होगा।
जीएसटी के तहत सभी बड़ी करदाता सेवाओं और सीमा शुल्क तथा आयकर के अधीन ज्यादातर सेवाओं को डिजिटल रूप में ला दिया गया है। सीमा शुल्क और आयकर की सभी शेष सेवाओं जिनमें ऑर्डर गिविंग इफेक्ट व रैक्टिफिकेशन सम्मिलित हैं, को अगले दो वर्षों के दौरान डिजिटलीकरण किया जाएगा और उन्हें पेपर-लेस बनाया जाएगा।
जहाँ एक ओर विभिन्न अपीलीय मंचों पर अपीलों के लंबित मामलों को कम करने के हमारे समन्वित प्रयासों से अच्छे नतीजे दिखने शुरू हो गए हैं, वहीं दूसरी ओर इस पर प्राथमिकता से ध्यान दिया जाना जारी रहेगा। प्रथम अपीलों के लंबित मामलों को निपटाने के लिए, मैंने ऐसी अपीलों विशेषकर बड़े टैक्स के मामलों वाली अपीलों पर सुनवाई तथा निर्णय करने के लिए और अधिक अधिकारियों की तैनाती करने की योजना बनाई है।
अपील में लंबित कतिपय आयकर विवादों के समाधान के लिए, मैं विवाद से विश्वास योजना, 2024 का भी प्रस्ताव कर रही हूँ। इसके अलावा, टैक्स अधिकरणों, उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में प्रत्यक्ष करों, उत्पाद शुल्क और सेवा कर से संबंधित अपीलों को दायर करने के लिए मौद्रिक सीमाओं को क्रमशः ` 60 लाख, ` 2 करोड़ और ` 5 करोड़ तक बढ़ाने का प्रस्ताव करती हूँ।
अंतरराष्ट्रीय कराधान में मुकदमेबाजी कम करने और निश्चितता प्रदान करने के विचार से हम सेफ हार्बर नियमों के दायरे का विस्तार करेंगे और उन्हें अधिक आकर्षक बनाएंगे। हम ट्रांसफर प्राइसिंग निर्धारण प्रक्रिया को भी सरल और सुचारू बनाएंगे।
मेरे पास निवेश को बढ़ावा देने और रोजगार को पोषित करने के कुछ प्रस्ताव हैं। सबसे पहले, भारतीय स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को प्रोत्साहित करने, उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देने और इनोवेशन को समर्थन देने के लिए, मैं निवेशकों के सभी वर्गों के लिए तथाकथित एंजेल टैक्स को समाप्त करने का प्रस्ताव करती हूं। दूसरा, भारत में क्रूज पर्यटन की बहुत संभावनाएं हैं। रोजगार का सृजन करने वाले इस उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए, मैं देश में घरेलू क्रूज का संचालन करने वाली विदेशी शिपिंग कंपनियों के लिए एक सरल कर व्यवस्था का प्रस्ताव करती हूं।
तीसरा, हीरे की कटिंग और पॉलिशिंग का भारतीय उद्योग, जो बड़ी संख्या में कुशल कारीगरों को रोजगार देता है, विश्व में अग्रणी है। इस क्षेत्र को और बढ़ावा देने के लिए, हम देश में अपरिष्कृत हीरा बेचने वाली विदेशी खनन कंपनियों के लिए सेफ हार्बर दरों का प्रावधान करेंगे।
चौथा, हमारी विकास की आवश्यकताओं के लिए विदेशी पूंजी आकर्षित करने हेतु, मैं विदेशी कंपनियों पर कारपोरेट कर दर को 40 प्रतिशत से घटाकर 35 प्रतिशत करने का प्रस्ताव करती हूँ।
कर आधार का विस्तार करने के लिए मैं दो प्रस्ताव कर रही हूं। पहला, फ्यूचर्स और ऑप्सन्स के विकल्पों पर सिक्यूरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स को बढ़ाकर क्रमशः 0.02 प्रतिशत और 0.1 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। दूसरा, इक्विटी हेतु, मैं शेयरों की बायबैक पर प्राप्त आय पर शेयरधारकों के स्तर पर करारोपण का प्रस्ताव करती हूँ।
सामाजिक सुरक्षा लाभ में सुधार हेतु, एनपीएस में नियोजनकर्ता द्वारा किए जा रहे योगदान को कर्मचारी के वेतन के 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। इसी प्रकार, निजी क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और उपक्रमों में नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनने वाले कर्मचारियों की आय से वेतन के 14 प्रतिशत तक व्यय की कटौती का प्रावधान करने का प्रस्ताव है।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करने वाले भारतीय व्यावसायिकों को ईएसओपी मिलता है और वे विदेशों में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और अन्य चल आस्तियों में निवेश करते हैं। काला धन अधिनियम के तहत ऐसी छोटी विदेशी परिसंपत्तियों की सूचना नहीं देने पर दंड का प्रावधान है। ` 20 लाख तक की चल परिसंपत्तियों की ऐसी सूचना नहीं देने को गैर-दांडिक बनाने का प्रस्ताव है।
वित्त विधेयक के अन्य प्रमुख प्रस्ताव निम्नलिखित से संबंधित हैं:
• 2 प्रतिशत के इक्वलाइजेशन लेवी को वापस लेना,
• आईएफएससी में कुछ निधियों और निकायों के लिए कर लाभों का विस्तार; और।
• फुल एंड ट्रू डिस्क्लोजर पर बेनामीदार को शास्ति और अभियोजन से उन्मुक्ति ताकि बेनामी संव्यवहार (प्रतिषेध) अधिनियम, 1988 के अधीन अभियोजन में सुधार हो।