CAG Report: एजी की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों का हाल
1 min readCAG Report: रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र 2024 के अंतिम दिन 26 जुलाई को सदन में नियंत्रका महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट पेश की गई। इसमें सीएजी ने राज्य की स्वास्थ्य सुविधाओं पर डिटेल में अपनी रिपोर्ट दी है।
CAG Report: स्वास्थ्य सेवाएं की उपलब्धता एवं प्रबंधन
आईपीएचएस मानकों के अंतर्गत आवश्यक सभी दस विशेषज्ञ सेवाएं राज्य के 23 डीएच में से केवल पाँच (22 प्रतिशत) में उपलब्ध थीं। 12 डीएच में त्वचाविज्ञान एवं वेनेरोलॉजी को छोड़कर नौ आवश्यक सेवाएं थीं जबकि डीएच, कोंडागांव में केवल चार विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध थीं। इसी प्रकार, सीएचसी में सामान्य चिकित्सा, सामान्य सर्जरी, प्रसूति एवं स्त्री रोग एवं शिशु रोग में बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) सेवाएं क्रमशः 104 (60 प्रतिशत), 148 (86 प्रतिशत), 126 (73 प्रतिशत) एवं 133 (77 प्रतिशत) उपलब्ध नहीं थीं। 776 पीएचसी में से 282 (36 प्रतिशत) में आईपीएचएस मानकों के अनुसार ओपीडी सेवाएं प्रदान करने के लिए चिकित्सक (चिकित्सा अधिकारी) उपलब्ध नहीं थे।
CAG Report: जानिये कैसा है छत्तीसगढ़ में अस्पतालों का हाल
कैंसर यूनिट (जीएमसीएच, जगदलपुर) एवं हृदयरोग विज्ञान, वृक्क विज्ञान एवं तंत्रिका विज्ञान विभाग (जीएमसीएच, राजनांदगांव) में बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) सेवाएं विशेषज्ञ चिकित्सकों की अनुपलब्धता के कारण आठ साल से अधिक समय से प्रारंभ नहीं की जा सकी थी।
प्रति चिकित्सक प्रति वर्ष औसत बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) मामले जीएमसीएच (28,804 एवं 7,723 के बीच) में सबसे अधिक थे, इसके बाद सीएचसी (19,659 एवं 4,451 के बीच) एवं डीएच (10,437 एवं 3,834 के बीच) में थे। 2016-22 के दौरान, 11 स्वास्थ्य संस्थानों (डीएच/सीएचसी / जीएमसीएच) में प्रति पंजीकरण काउंटर प्रति घंटे मरीजों की संख्या मानकों (20) से अधिक थी।
CAG Report: आईपीएचएस मानकों की क्या है स्थिति
सात नमूना जाँच किए गए डीएच में से केवल एक में सभी पाँच बुनियादी आंतरिक रोगी सेवाएं (सामान्य चिकित्सा, सामान्य सर्जरी, नेत्र विज्ञान, दुर्घटना एवं आघात, शिशुरोग) के लिए आईपीएचएस मानकों के अनुसार आईपीडी वार्ड / बिस्तर उपलब्ध थे। दो डीएच में, पाँच में से चार सेवाओं हेतु आईपीएचएस मानकों के अनुसार बिस्तर की संख्या उपलब्ध थी। डीएच बालोद के पाँच वार्डों में से किसी में भी आवश्यक संख्या में बिस्तर नहीं थे। सात नमूना जाँच किए गए डीएच में से चार में बर्न वार्ड उपलब्ध नहीं था।
सात में से पाँच डीएच में बिस्तर अधिभोग दर (बीओआर) आईपीएचएस मानक 80 प्रतिशत से कम थी। डीएच सूरजपुर एवं बैकुंठपुर का औसत बीओआर क्रमशः 137 एवं 185 प्रतिशत था जो की आवश्यकता के विरूद्ध बिस्तरों की अपर्याप्त संख्या को दर्शाता है। डीएच, सुकमा का औसत बेड टर्नओवर दर 173 था जबकि डीएच रायपुर में यह अन्य डीएच की तुलना में काफी कम (16.50) था।
ऑपरेशन थिएटर (ओटी) सेवाएं सभी नमूना जाँच किए गए जीएमसीएच एवं डीएच में उपलब्ध थीं। आईपीएचएस मानकों के अनुसार सभी 12 सर्जिकल प्रक्रियाएं केवल दो डीएच में उपलब्ध थीं। शेष पाँच डीएच में, सर्जिकल प्रक्रियाओं की अनुपलब्धता एक से चार के बीच थी। नमूना जाँच किए गए 14 सीएचसी में से तीन (21 प्रतिशत) में एवं नमूना जाँच किए 14 पीएचसी में से सात (50 प्रतिशत) में ओटी सेवा उपलब्ध नहीं थी।
जानिये..राज्य में सर्जरी की सुविधाओं की क्या है स्थिति
सात नमूना जाँच किए गए डीएच में से केवल तीन में सभी चार सर्जरी सेवाएं (सामान्य सर्जरी, ईएनटी, ऑर्थोपेडिक्स एवं नेत्र विज्ञान) उपलब्ध थीं। दो डीएच में तीन प्रकार की सर्जरी एवं एक डीएच में केवल दो प्रकार की सर्जरी उपलब्ध थीं। एक वर्ष में प्रति सर्जन 194 सर्जरी के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले, चार डीएच में नेत्र विज्ञान में प्रति सर्जन औसत सर्जरी से अधिक है। इसी प्रकार, जनरल सर्जरी विभाग में एक डीएच एवं अस्थि रोग विज्ञान विभाग में एक डीएच में यह राष्ट्रीय औसत से अधिक था।
सभी नमूना जाँच किए गए डीएच में आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध थीं, लेकिन सात जाँच किए गए डीएच में से चार में आईपीएचएस मानकों के अनुसार आपातकालीन वार्ड में आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं।
राज्य के 172 सीएचसी में से 25 (15 प्रतिशत) में नियमित एवं आपातकालीन देखभाल उपलब्ध नहीं थी। 14 नमूना जाँच किए गए पीएचसी में से दो में चयनित आपातकालीन सेवाओं जैसे दुर्घटना, प्राथमिक चिकित्सा, चोट के टांके आदि के 24 घंटे प्रबंधन की सुविधा उपलब्ध नहीं थी।
सात नमूना जाँच किए गए डीएच में से चार में गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) सुविधा उपलब्ध नहीं थी। एनआईसीयू (जीएमसीएच बिलासपुर) में बिस्तरों की उपलब्धता (25) प्रति दिन औसत रोगी भार (33) से कम थी एवं इस प्रकार दो नवजात शिशुओं को एक ही बिस्तर साझा करना पड़ा।
क्या कहता है राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 की रिपोर्ट
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 की रिपोर्ट के अनुसार, केवल 60 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान चार एएनसी प्राप्त हुईं एवं केवल 26.30 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को 180 दिनों के लिए आयरन फोलिक एसिड की गोलियाँ प्रदान की गईं।
वर्ष 2016-21 के दौरान संस्थागत जन्म / प्रसव 70.20 प्रतिशत से बढ़कर 85.70 प्रतिशत हो गया। सी-सेक्शन प्रसव में भी 2015-16 में 9.9 प्रतिशत से 2020-21 में 15.2 प्रतिशत वृद्धि हुई है, लेकिन राज्य में लोक स्वास्थ्य संस्थानों (8.9 प्रतिशत) की तुलना में निजी स्वास्थ्य संस्थानों में यह बहुत अधिक (57 प्रतिशत) था।
राज्य के 23 डीएच में से पाँच (22 प्रतिशत) में विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (एसएनसीयू) सेवा उपलब्ध नहीं थी एवं नवजात मृत्यु दर (15) डीएच कोंडागांव में सबसे अधिक एवं डीएच बिलासपुर में सबसे कम (0.23) थी।
जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके)
केन्द्रीय क्षेत्र की योजनाओ जैसे की जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके), जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) तथा मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य से संबंधित अन्य कार्यक्रमों के अनुचित कार्यान्वयन के साथ पर्याप्त मातृ एवं नवजात सुविधाओं / सेवाओं की कमी ने मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य देखभाल को विपरीत ढंग से प्रभावित किया है। इसके परिणामस्वरूप राज्य में राष्ट्रीय औसत की तुलना में आईएमआर एवं एमएमआर अधिक हो सकता है, जैसा कि एनएफएचएस 5 सर्वेक्षण में दर्शाया गया है।
आईपीएचएस के अन्तर्गत आवश्यक सभी इमेजिंग (रेडियोलॉजी) सेवाएं नमूना जाँच किए गए किसी भी डीएच/सीएचसी में उपलब्ध नहीं थे। सात नमूना जाँच किए गए डीएच में से पाँच में तनाव परीक्षण एवं ईको सुविधा उपलब्ध नहीं थी। पाँच में से तीन जीएमसीएच में एमआरआई सेवाएं उपलब्ध नहीं थीं। नमूना जाँच किए गए 14 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में से केवल एक में अल्ट्रा सोनोग्राफी सुविधा उपलब्ध थी। आईपीएचएस मानकों के अनुसार आवश्यक रोग संबंधी जाँच की पूरी श्रृंखला किसी भी नमूना जाँच किए गए स्वास्थ्य संस्थानों (जीएमसीएच / डीएच/सीएचसी) में उपलब्ध नहीं थी।
एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) एम्बुलेंस
15 जिलो में एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) एम्बुलेंस की संख्या अपर्याप्त थी। मार्च 2022 की स्थिति में, 108 संजीवनी एक्सप्रेस के अन्तर्गत, 52 की आवश्यकता के विरूद्ध केवल 30 एएलएस वाहन तैनात किए गए थे। 33.99 प्रतिशत मामलों में, एम्बुलेंस का प्रतिक्रिया समय 30 मिनट से अधिक था जबकि 57,398 मामलों (8.59 प्रतिशत) में एम्बुलेंस मरीजों के पास उनके कॉल प्राप्त होने के एक घंटे बाद पहुंची। नौ जिलों में रिस्पांस टाइम 30 मिनट से अधिक रहा।
स्वास्थ्य संस्थानों में आहार संबंधी सेवाएं अपर्याप्त सुविधाओं के कारण जैसे कि समर्पित रसोई, आहार विशेषज्ञ एवं खाद्य सुरक्षा पंजीकरण प्रमाणपत्रों की कमी से प्रभावित हुई। नमूना जाँच किए गए सभी डीएच में लाँड्री सेवाएं उपलब्ध थीं। नमूना जाँच किए गए तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में, लिनन सेवाओं के अभिलेख संधारित नहीं किए गए थे। दो नमूना जाँच किए गए जीएमसीएच में, लिनन को हर दिन नहीं बदला गया था एवं जीएमसीएच रायपुर को छोड़कर, किसी भी परीक्षण जाँच किए गए जीएमसीएच में दैनिक आधार पर बिस्तर लिनन की गुणवत्ता की जाँच नहीं की गई थी।
डीएच एवं जीएमसीएच में 24×7 शवगृह की सुविधा
नमूना जाँच किए गए सभी डीएच एवं जीएमसीएच में 24×7 शवगृह की सुविधा थी लेकिन चार डीएच एवं एक जीएमसीएच में पैथोलॉजिकल पोस्टमॉर्टम की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। प्रत्येक संग्रहीत शव के लिए पहचान टैग/कलाई बैंड प्रदान करने की प्रणाली दो डीएच एवं तीन जीएमसीएच में उपलब्ध नहीं थी।
नमूना जाँच किए गए 26 डीएच/सीएचसी / जीएमसीएच में से नौ स्वास्थ्य संस्थानों में पानी के नमूनों का जैविक परीक्षण / भौतिक परीक्षण नहीं किया गया था।
नमूना जाँच किए गए 27 स्वास्थ्य संस्थानों (डीएच/सीएचसी/पीएचसी / जीएमसीएच / डीकेएसपीजीआई) में से नौ में नागरिक चार्टर प्रदर्शित नहीं किया गया था। 41 स्वास्थ्य संस्थानों (डीएच/सीएचसी / पीएचसी / जीएमसीएच / डीकेएस पीजीआई) में से 39 में एनओसी/अग्नि सुरक्षा लाइसेंस प्राप्त नहीं किया गया था। स्वास्थ्य संस्थानों में स्मोक डिटेक्टर प्रणाली (36), अग्नि हाइड्रेट (36) एवं साइनेज (31) का भी अभाव था। 41 स्वास्थ्य संस्थानों में से 30 में चिकित्सालय संक्रमण नियंत्रण समिति का गठन नहीं किया गया था।
वर्ष 2016-22 के दौरान नमूना जाँच किए गए पाँच जीएमसीएच, 14 सीएचसी एवं 14 पीएचसी में से तीन जीएमसीएच, तीन सीएचसी एवं दो पीएचसी में रोगी संतुष्टि सर्वेक्षण नहीं किया गया था। लेखापरीक्षा ने 450 रोगियों का सर्वेक्षण किया एवं क्रमशः 38. 14 एवं 18 प्रतिशत रोगियों द्वारा साफ-सुथरे शौचालय सुविधाओं की अनुपलब्धता, पर्याप्त बैठने की व्यवस्था एवं निर्धारित दवाओं की अनुपलब्धता व्यक्त की गई।
अनुशंसाएं CAG Report:
लोक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक संख्या में योग्य मानव संसाधन उपलब्ध कराने के लिए छत्तीसगढ़ शासन स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए एक मानव संसाधन नीति तैयार कर सकता है;
छत्तीसगढ़ शासन सभी स्वास्थ्य संस्थानों में आईपीएचएस मानकों के अनुसार चिकित्सकों, स्टाफ नर्स एवं पैरामेडिकल स्टाफ की स्वीकृत संख्या में वृद्धि कर सकता है। क्षेत्रीय असंतुलन को घटाने के लिए सभी डीएच में चिकित्सकों के पद समान रूप से स्वीकृत किए जा सकते है;
छत्तीसगढ़ शासन को स्वीकृत क्षमता के विरुद्ध विशेषज्ञ चिकित्सकों, स्टाफ नर्स एवं पैरामेडिकल स्टाफ की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए;
रोगियों को विशेषज्ञ सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रत्येक विभाग के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक को सभी डीएच एवं सीएचसी में पदस्थापित किया जा सकता है;
उचित नर्सिंग देखभाल के लिए आईसीयू एवं गैर-आईसीयू वाडर्डों में स्टाफ नर्स एवं बिस्तर के अनुपात को बेहतर बनाने के लिए छत्तीसगढ़ शासन को जीएमसीएच में अधिक स्टाफ नर्सों की पदस्थापना करनी चाहिए; एवं छत्तीसगढ़ शासन को उन 130 आयुष स्वास्थ्य संस्थानों में चिकित्सकों की पदस्थापना के लिए कार्यवाही करनी चाहिए जो नियमित चिकित्सकों के बिना संचालित हो रहे थे।