CG NEWS, छत्तीसगढ़ में महापौर के चुनाव के साथ कार्यकाल और हटाए जाने की प्रक्रिया में बदला, अध्यादेश जारी
CG NEWS: रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब महापौर का चुनाव प्रत्यक्षण प्रणाली से होगा। राज्य सरकार ने आज नगर पालिका अधिनियम में संशोधन का अध्यादेश जारी कर दिया है।
इसके साथ ही राज्य में अब होने वाले नगरीय निकाय के चुनाव में महापौर और अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता करेगी। इसके साथ ही राज्य सरकार ने महापौर को हटाने की प्रक्रिया और नियमों में भी बदलाव किया है।
CG NEWS: महापौर को पद से हटाने के नियमों में बदलाव
अध्यादेश के अनुसार किसी निगम क्षेत्र में मतदान करने वाले मतदाताओं की कुल संख्या के आधे से अधिक बहुमत द्वारा गुप्त मतदान से वापस बुलाया जाए तो महापौर को कुर्सी छोड़नी पड़ेगी। लेकिन महापौर को वापस बुलाने की ऐसी कोई प्रकिया तब तक आरंभ नहीं की जाएगी जब तक कि निर्वाचित पार्षदों की कुल संख्या के कम से कम तीन चौथाई पार्षदों द्वारा प्रस्ताव पर हस्ताक्षर न कर दिए जाएं और उसे संभागीय आयुक्त को प्रस्तुत न कर दिया जाए।ऐसी प्रक्रिया उस तारीख से जब ऐसा महापौर निर्वाचित होता है और अपना पद धारण करता है, दो वर्ष की कालावधि के भीतर आरंभ नहीं की जाएगी।किसी उप-चुनाव में निर्वाचित महापौर की आधी कालावधि का अवसान न हो गया हो, आरंभ नहीं की जाएगी। लेकिन यह और भी कि महापौर को वापस बुलाए जाने की प्रकिया उसकी संपूर्ण अवधि में एक बार ही आरंभ की जाएगी।
संभागीय आयुक्त अपना समाधान कर लेने और यह सत्यापित कर लेने के पश्चात् कि उप-धारा में विनिर्दिष्ट तीन चौथाई पार्षदों ने वापस बुलाए जाने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजेगा और राज्य सरकार उसे राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देशित करेगी।
राज्य निर्वाचन आयोग निर्देश प्राप्त होने पर, वापस बुलाए जाने के प्रस्ताव पर, ऐसी रीति में, जैसी कि विहित की जाए, मतदान करवाने की व्यवस्था करेगा।
महापौर चुनाव के लिए न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष
राज्य सरकार ने महापौर का चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष तय कर दी है। अध्यादेश के अनुसार इसी तरह पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष तय की गई है।
CG NEWS: मेयर और पार्षद दोनों चुनाव लड़ सकते हैं एक साथ
कोई व्यक्ति महापौर और पार्षद दोनों चुनाव एक साथ लड़ सकता है। ऐसे व्यक्ति यदि दोनों चुनाव जीत जाता है तो सात दिन के भीतर उसे दोनों में से किसी एक पद को छोड़ना पड़ेगा।
CG NEWS: अध्यादेश में यह भी खासयदि कोई नगरपालिक क्षेत्र, महापौर का निर्वाचन करने में असफल रहता है या कोई वार्ड, पार्षद का निर्वाचन करने में असफल रहता है, यथास्थिति, ऐसे नगरपालिक क्षेत्र या वार्ड के स्थान को भरने के लिये छः माह के भीतर नई निर्वाचन कार्यवाहियां प्रारंभ की जाएंगी और जब तक उस स्थान को भरा नहीं जाता, उसे आकस्मिक रिक्ति समझा जायेगा :
परन्तु अधिनियम के अधीन अध्यक्ष या समिति में से किसी के निर्वाचन की कार्यवाहियां, ऐसे स्थान का निर्वाचन लंबित रहते, स्थगित नहीं की जायेंगी।”ऐसे नगरपालिक निगमों में, जहाँ अनुसूचित जातियों तथा/अथवा अनुसूचित जनजातियों के लिए 50 प्रतिशत से कम स्थान आरक्षित किये गये हैं, वहाँ यथासंभव निकटतम रूप से कुल स्थानों की संख्या के 50 प्रतिशत की अधिकतम सीमा के अध्यधीन रहते हुए, शेष स्थान, अन्य पिछड़ा वर्गो के लिए, उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षित किये जाएंगे और ऐसे स्थान भिन्न-भिन्न वार्डो के लिए ऐसी रीति में, जैसा कि विहित किया जाए, चक्रानुक्रम से आवंटित किये जायेंगेःपरंतु, यह कि उप-धारा (1) के अधीन अनुसूचित जातियों तथा/अथवा अनुसूचित जनजातियों का कुल आरक्षण 50 प्रतिशत या 50 प्रतिशत से अधिक है, तो अन्य पिछड़ा वर्गों (ओ.बी.सी.) के लिए स्थान आरक्षित नहीं किया जाएगाःपरन्तु यह और कि यदि इस प्रकार आरक्षित रखे गए किसी वार्ड से पार्षद के रूप में निर्वाचन के लिए अन्य पिछड़े वर्गों के किसी भी सदस्य द्वारा कोई नामांकन पत्र फाइल नहीं किया जाता है तो, कलेक्टर उस वार्ड को अनारक्षित वार्ड के रूप में घोषित करने के लिए सक्षम होगा।
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राज्य के महापौर के पदों की कुल संख्या में अनुसूचित जातियों तथा/अथवा अनुसूचित जनजातियों के लिए 50 प्रतिशत से कम स्थान आरक्षित होने पर यथासंभव निकटतम रूप से कुल स्थानों की संख्या के 50 प्रतिशत की अधिकतम सीमा के अधीन रहते हुए शेष स्थान अन्य पिछड़े वर्गो के लिए, उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षित रखे जाएंगेःपरन्तु उप-धारा (1) के अधीन अनुसूचित जातियों तथा/अथवा अनुसूचित जनजातियों का कुल आरक्षण 50 प्रतिशत या 50 प्रतिशत से अधिक होने की स्थिति में, अन्य पिछड़े वर्गों के लिए स्थान आरक्षित नहीं किया जाएगा।