CG News रायपुर। छत्तीसगढ़ में फिर एक बार कर्मचारी राजनीति गरमाने की संभावना बढ़ गई है। इसके संकते प्रदेश के सबसे बड़ी कर्मचारी संगठन कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने इस महीने की शुरुआत में ही दे दिया था। फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल इस महीने उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा से मिला था। इस दौरान फेडरेशन की तरफ से उप मुख्यमंत्री को अपनी पांच सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा कर शीघ्र पूरा करने का आग्रह किया था।
बता दें कि राज्य में फिलहाल नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की वजह से आचार संहिता लागू है। इसके कारण कर्मचारी शांत हैं। आचार संहिता फरवरी के अंतिम सप्ताह तक लागू रहेगा। इसके तुरंत बाद विधानसभा का बजट शुरू हो जाएगा। ऐसे में कर्मचारी बजट सत्र से पहले सरकार पर अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने की कोशिश कर सकते हैं। 15 फरवरी को शहरी क्षेत्रों में चुनाव खत्म होने के साथ कर्मचारी हलचल बढ़ सकती है।
फेडरेशन की तरफ जिन पांच मांगों को उठाया जा रहा है। उसमें महंगाई भत्ता प्रमुख है। प्रदेश के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता केंद्रीय कर्मचारियों से अभी तीन प्रतिशत कम है। यह बढ़ोतरी जुलाई 2024 में होनी थी, जो अब तक नहीं हुई है। इधर, केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता फिर से बढ़ने वाला है। ऐसे में प्रदेश के कर्मचारी जुलाई 2024 से बकाया डीए देने की मांग कर रहे हैं।
भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र (मोदी की गारंटी) में जुलाई 2019 से बकाया एरियर्स देने का भी वादा किया है। कर्मचारी संगठन इस एरियर्स को भविष्य निधि खाता में समायोजित करने की मांग कर रहे हैं।
फेडरेशन पिंगुआ कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग कर रहा है। बता दें कि विभिन्न संवर्गों के शासकीय कर्मचारियों की वेतन विसंगति और अन्य मुद्दों को लेकर सरकार ने आईएएस मनोज कुमार पिंगुआ की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी।
कर्मचारी संगठनों की मांग में चार स्तरीय पदोन्नित वेतनमान भी शामिल है। कर्मचारी 8, 16, 24 और 32 साल की सेवा पूरी करने पर पदोन्नित वेतनमान देने की मांग कर रहे है। कर्मचारी अर्जित अवकाश के नगदीकरण की मियाद 300 दिन करने की मांग कर रहे हैं। कर्मचारी संगठनों की एक बड़ी मांग कैशलेस ईलाज की भी है।