CG News निकाय चुनाव लड़ने वालों पर रहेगी प्रशासन की दोहरी नजर, देखिए- सरकार का नया आदेश
CG News रायपुर। छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव (नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत) का चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों पर प्रशासन की दोहरी नजर रहेगी। निकाय चुनाव में धन बल को रोकने लिए जिला और संभाग स्तर पर कमेटी का गठन किया जाएगा। इसको लेकर राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है।
देना होगा खर्च का पूरा हिसाब
नगर पालिक निगम के महापौर या नगर पालिका परिषद या नगर पंचायत के अध्यक्ष के निर्वाचन में प्रत्येक अभ्यर्थी को चुनावी खर्च की पूरी की जानकारी देनी होगी। निर्वाचन की तारीख से 30 (तीस) दिन के अंदर अपने निर्वाचन व्ययों का लेखा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचित अधिकारी के पास दाखिल करे। चूंकि राज्य निर्वाचन आयोग, निर्वाचन में धन-बल की अनिष्टकारी भूमिका को रोकने के लिए अन्य उपायों के साथ-साथ यह आवश्यक और वांछनीय मानता है कि अभ्यर्थी द्वारा दाखिल किये जाने वाले निर्वाचन व्ययों का लेखा यथाशक्य व्यापक और वास्तविक व्यय को प्रतिबिंबित करने वाला हो, और चूंकि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा नगरपालिका निर्वाचनों में व्यय लेखा संधारण और प्रस्तुति के संदर्भ में निर्वाचन व्यय (लेखा संधारण और प्रस्तुति) आदेश, दिनांक 12 दिसम्बर 2024 जारी किया गया है।
CG News जानिए… निकाय चुनाव में कैसे होगी खर्च की निगरानी
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार, लागू होना और प्रारम्भ
(1) इस आदेश का संक्षिप्त नाम निर्वाचन व्यय (मीडिया प्रमाणन और अनुवीक्षण समिति गठन और दत्त मूल्य समाचार विनियमन) आदेश, 2024 है।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ पर है।
(3) यह “छत्तीसगढ़ राजपत्र” में प्रकाशन की तारीख से प्रवृत्त होगा।
परिभाषाएं और अभिव्यक्ति इस आदेश में, जब तक कि सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-
(क) “अभ्यर्थी” से अभिप्रेत है ऐसा व्यक्ति जो किसी नगरपालिक निगम में महापौर या किसी नगरपालिका परिषद या नगर पंचायत में अध्यक्ष के पद के लिए कराए जा रहे निर्वाचन में सम्यक रूप से नामनिर्दिष्ट हुआ है,
(ख) “कंडिका” से अभिप्रेत है इस आदेश की कडिका;
(ग) “निर्वाचन” से अभिप्रेत है किसी नगरपालिक निगम में महापौर या किसी नगरपालिका परिषद या नगर पंचायत में अध्यक्ष के पद के लिए कराए जाने वाला निर्वाचन;
(घ) “निर्वाचन लडने वाला अभ्यर्थी” से अभिप्रेत है ऐसा व्यक्ति जो किसी नगरपालिक निगम में महापौर या किसी नगरपालिका परिषद या नगर पंचायत में अध्यक्ष पद के लिए कराए जा रहे निर्वाचन में सम्यक रूप से नामनिर्दिष्ट हुआ है तथा जिसने निर्वाचन नियमों में विनिर्दिष्ट कालावधि के भीतर अपनी अभ्यर्थिता वापस नही ली है,
(ङ) “निर्वाचन व्यय” से अभिप्रेत है किसी निर्वाचन के संबंध में किसी अभ्यर्थी या उसके निर्वाचन अभिकर्ता द्वारा उपगत या प्राधिकृत व्यय, जो उसके नाम निर्दिष्ट होने और निर्वाचन के परिणाम की घोषणा की तारीख के बीच, (जिसके अन्तर्गत ये दोनों तारीखें आती है) किया गया है,
(च) “मीडिया प्रमाणन और अनुवीक्षण समिति (संक्षेप में एमसीएमसी)” से अभिप्रेत है कंडिका 3 अथवा 4 के अन्तर्गत गठित समितिः
(छ) “दत्त मूल्य समाचार (संक्षेप में दमूस) से अभिप्रेत है कोई भी खबर या विश्लेषण जो प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में नकद या अन्य किसी रूप में प्रतिफल के लिए प्रकाशित किया गया है; और
(ज) प्रयुक्त किये गये उन शब्दों तथा पदों का जो इस आदेश में परिभाषित नहीं किये गये हैं, वही अर्थ होगा जो, यथास्थिति, छत्तीसगढ़ नगरपालिक निगम अधिनियम, 1956 (क्रमांक 23 सन् 1956) [छत्तीसगढ़ नगरपालिक निगम (संशोधन) अध्यादेश, (क्रमांक 5 सन् 2024)] और छत्तीसगढ़ नगरपालिका अधिनियम, 1961 (क्रमांक 37 सन् 1961) [छत्तीसगढ़ नगरपालिका (संशोधन) अध्यादेश, (क्रमांक 4 सन् 2024)] या छत्तीसगढ़ नगरपालिका निर्वाचन नियम, 1994 में उनके लिए दिया गया है।
CG News जिला स्तरीय मीडिया प्रमाणन और अनुवीक्षण समिति (MCMC)
3.1 प्रत्येक जिले में निर्वाचन के लिए निम्नलिखित सदस्यों की जिला स्तरीय एमसीएमसी गठित की जावेगी-
(क) जिला निर्वाचन अधिकारी अध्यक्ष
(ख) जिला में पदस्थ उप संचालक / सहायक संचालक, जनसम्पर्क सदस्य सचिव
(ग) कलेक्टर द्वारा मनोनीत जिला में प्रचलित प्रमुख सदस्य
समाचार पत्रों के संवादाताओं में से एक प्रतिनिधि
CG News समिति को दो भिन्न कार्य करने होंगे:-
(1) विज्ञापनों के प्रमाणन के लिए ऐसे विज्ञापनों पर विचार कर उन पर निर्णय लेना।
(2) शिकायतों/दमूस के मामलों इत्यादि की अनुवीक्षण व्यवस्था द्वारा जांच करना।
3.3 एमसीएमसी सभी प्रकार के मीडिया यथा, समाचार पत्र, प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, केबल नेटवर्क, इंटरनेट, सोशल मीडिया इत्यादि की निम्नलिखित के लिए बारीकी से जांच करेगाः-
(क) दमूस के मामले में जांच कर यह निष्कर्ष पर पहुंचने पर कि मामला दमूस श्रेणी का है, निर्वाचन व्यय लेखों में प्रकाशित सामग्री पर वास्तविक व्यय को शामिल करने के लिए अभ्यर्थियों को नोटिस जारी करने के लिए रिटर्निंग ऑफिसर को सूचना देगा, चाहे अभ्यर्थी ने चैनल / समाचार पत्र को वह राशि दी है या नहीं दी है। संबंधित रिटर्निंग ऑफिसर संबंधित अभ्यर्थी को सुनवाई का समुचित अवसर देने के उपरान्त उनके निर्वाचन व्यय लेखों में प्रकाशित सामग्री पर वास्तविक व्यय को शामिल करने के लिए उनको आदेश देगा। दमूस के संदेहास्पद मामले में नोटिस की प्रति व्यय प्रेक्षक को भी मार्क की जाएगी। यह समितिदमूस के उन मामलों पर भी सक्रियतापूर्वक विचार करेगा, जो इसे व्यय प्रेक्षक/निर्वाचन व्यय प्रभारी द्वारा भेजे गये हैं।
(ख) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया में राजनैतिक विज्ञापनों का अनुवीक्षण, यह देखने के लिए कि समिति द्वारा प्रमाणन के पश्चात् ही तथा प्रमाणन अनुसार प्रसारण किया गया है।
यह भी पढ़िए- पार्षद चुनाव के लिए खर्च नई लिमिट जारी, जानिए.. कब कितना कर सकेंगे खर्च पार्षद प्रत्याशी
(ग) निर्वाचन अनुवीक्षण दृष्टिकोण से अभ्यर्थियों के संबंध में अन्य मीडिया में राजनैतिक विज्ञापनों का अनुवीक्षण, (प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से या अन्य द्वारा अभ्यर्थियों की निर्वाचन संभावनाओं को प्रभावित करने के लिए अपील या विज्ञापन या प्रचार भी शामिल होगा)।
(घ) क्या प्रिंट मीडिया में विज्ञापन अभ्यर्थी के प्राधिकार से दिये गए हैं तथा किस मामले में यह अभ्यर्थी के निर्वाचन व्ययों में डाला जाएगा? यदि विज्ञापन अभ्यर्थी के प्राधिकार के बिना दिया गया है तो भारतीय न्याय संहिता की धारा 176 के उल्लंघन के लिए प्रकाशक के विरूद्ध अभियोजन के लिए कार्रवाई की जा सकती है।
(ड) क्या छत्तीसगढ़ स्थानीय प्राधिकारी (निर्वाचन अपराध) अधिनियम, 1964 की धारा 14-क के अधीन अपेक्षित किसी निर्वाचन पैपलेट, पोस्टर, हँड बिल तथा अन्य दस्तावेजों पर प्रकाशक तथा मुद्रक का नाम और पता लिखा गया है। यदि किसी मुद्रित सामग्री पर मुद्रक या प्रकाशक के नाम का उल्लेख नहीं है तो एमसीएमसी आवश्यक कार्रवाई के लिए इसे रिटर्निंग ऑफिसर के नोटिस में लाएगी। छत्तीसगढ़ स्थानीय प्राधिकारी (निर्वाचन अपराध) अधिनियम, 1964 की धारा 14-क के प्रयोजनार्थ दमूस को भी अन्य दस्तावेजों की श्रेणी में माना जाएगा।
CG News संभाग स्तरीय एमसीएमसी
4.1 जिला स्तरीय एमसीएमसी के आदेश अथवा विनिश्चियन के विरूद्ध कोई भी अपील आदेश अथवा विनिश्चियन की प्राप्ति के 15 दिन के अन्दर संभाग स्तरीय एमसीएमसी को की जा सकेगी।
4.2 प्रत्येक संभाग में निर्वाचन के लिए एक संभाग स्तरीय एमसीएमसी रहेगी, जिसके अध्यक्ष और सदस्य निम्नानुसार होंगे :-
(क) संभागीय आयुक्त अध्यक्ष
(ख) संयुक्त संचालक, जनसंपर्क सदस्य सचिव
(ग) आयुक्त द्वारा मनोनीत संभाग में प्रचलित प्रमुख समाचार पत्रों के संवाददाताओं में से एक संवाददाता सदस्य
4.3 उक्त संभाग स्तरीय एमसीएमसीविज्ञापनों के प्रमाणन और दत्त मूल्य समाचार पर जिला स्तरीय एमसीएमसी के आदेश / विनिश्चयन विरुद्ध अपील पर निर्णय लेगी तथा लिए गये निर्णय से जिला स्तरीय एमसीएमसी को अवगत कराएगी।
CG News संभाग स्तरीय एमसीएमसी के निर्णय के विरूद्ध अपील-
5.1 विज्ञापन के प्रमाणन अथवा दमूस के मामले में संभाग स्तरीय एमसीएमसी के आदेश, निर्णय अथवा विनिश्चियन के विरूद्ध कोई भी अपील राज्य निर्वाचन आयोग को 15 दिन के अन्दर की जायेगी। संभाग स्तरीय एमसीएमसी यदि आवश्यक समझे तो सलाह लेने के लिए आयोग को भी संदर्भ भेज सकती है। जब कभी भी दमूस संबंधी शिकायती मामले आयोग को सीधे भेजे जाएंगे, आयोग ऐसे मामलों पर प्रारंभिक विचार-विमर्श करने के लिए उन्हें संभाग स्तरीय एमसीएमसी को अग्रेषित करेगा।
5.2 जहां जिला अथवा संभाग स्तरीय एमसीएमसी या राज्य निर्वाचन आयोग का किसी मामले में यह निर्णय अथवा विनिश्चिय हो जाता है कि यह एक दमूस मामला है तो ऐसे मामले संबंधित मीडिया के संबंध में आगे की कार्रवाई के लिए भारत प्रेस परिषद अथवा अन्य सक्षम प्राधिकारी को सम्प्रेषित किया जायेगा।
यह भी पढ़िए- Nikay Chunav के लिए चिन्ह जारी, महापौर- अध्यक्ष के लिए फ्राक और ट्रक के साथ 50 चिन्ह, वहीं पार्षदों के लिए..
6. अनुदेश तथा निर्देश जारी करने की निर्वाचन आयोग की शक्ति-निर्वाचन आयोग-
(क) इस आदेश के किसी उपबंध को स्पष्ट करने के लिए,
(2) किसी ऐसी कठिनाई को दूर करने के लिए जो किसी उपबन्ध के क्रियान्वयन के संबंध में उत्पन्न हो, और
किसी ऐसी विशेष स्थिति जिसके बारे में इस आदेश में कोई उपबंध नहीं है या इस आदेश में विद्यमान उपबंध अपर्याप्त है और निर्वाचन आयोग की राय में ऐसे अनुदेश अथवा निर्देश जारी करना आवश्यक है; समुचित अनुदेश तथा निर्देश जारी कर सकेगा।