November 21, 2024

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CG Safarnama: जानिए.. राज्‍य स्‍थापना से पहले आज के सीएम हाउस में कौन रहता था, राजभवन पहले क्‍या था?

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CG Safarnama

CG Safarnama: रायपुर। मध्‍य प्रदेश के 5 संभाग और 16 जिलों को मिलाकर 1 नवंबर 2000 को छत्‍तीसगढ़ पृथक राज्‍य का गठन किया गया। राज्‍य गठन की घोषणा के साथ ही तय हो गया कि रायपुर को इस नए राज्‍य की राजधानी बनाई जाएगी। इसके बाद आनन- फानन में पूरी तैयारी शुरू हुई।

तत्‍कालीन प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती तीन प्रमुख भवनों की तलाश थी। इनमें राजभवन, मंत्रालय और मुख्‍यमंत्री का निवास शामिल था। तब अफसरों ने रायपुर में मौजूद सरकारी भवनों के हिसाब से इसकी व्‍यवस्‍था की।

अविभाजित मध्‍य प्रदेश में रायपुर बड़ा संभागीय मुख्‍यालय था। इसकी वजह से ज्‍यादार प्रमुख विभागों के बड़े-बड़े कार्यालय व अफसरों के निवास मौजूद थे। यानी काम चलाने के लिए भवन पर्याप्‍त थे, लेकिन उनका चयन कठिन था।

CG Safarnama: जानिए.. सीएम हाउस के लिए तैयार किया गया था दूसरा भवन, लेकिन..

छत्तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री निवास के लिए शंकर नगर के एक पुराने और बड़े भवन का चयन किया गया। उस भवन में सीएम हाउस के हिसाब से आवश्‍यक बदलाव भी किया गया, लेकिन तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री अजीत जोगी से उसे नापसंद कर दिया। इसके पीछे कारण भी था। शंकर नगर की जिस बिल्डिंग को सीएम हाउस बनाया गया वह मेन रोड थे, ऐसे में आम लोगों को काफी दिक्‍कत होती।

इन सब बातों को ध्‍यान में रखते हुए जोगी ने उस भवन को सीएम हाउस बनाने से मना कर दिय। सीएम हाउस के लिए तैयार किए गए उस भवन को राजकीय अतिथि गृह बना दिया गया, जिसे पहुना के नाम से जाना जाता है।

CG Safarnama: जानिए.. पहले कौन रहता था सीएम हाउस में

सिविल लाइन का जो भवन आज सीएम हाउस है, वहां अविभाजित मध्‍य प्रदेश के दौर में रायपुर कलेक्‍टर रहा करते थे। आज का सीएम हाउस पहले कलेक्‍टर बंगला था। चूंकि अजीत जोगी रायपुर कलेक्‍टर रह चुके थे, इसलिए वे उस बंगले के बारे में अच्‍छे से जातने थे। बताया जाता है कि जोगी की ही सलाह पर तब के कलेक्‍टर बंगले को सीएम हाउस बनाया गया।

CG Safarnama: जानिए.. राज्‍य बनने से पहले  राजभवन  क्‍या था

जैसा कि ज्ञात है कि अविभाजित मध्‍य प्रदेश के रायपुर बड़ा और महत्‍वपूर्ण संभागीय मुख्‍यालय था। रायपुर का रियासतकालीन इतिहास भी था। इस वजह से यहां अंग्रेजों के जमाने की भी कई बिल्डिंग आज भी मौजूद है। आज जिस भवन में राज्‍यपाल रहते हैं, छत्‍तीसगढ़ का राजभवन अविभाजित मध्‍य प्रदेश में सर्किट हाउस हुआ करता था। यह वीवीआईपी सर्किट हाउस था। इसी के पीछे दूसरा सर्किट हाउस था, वहां आज भी सर्किट हाउस है।

CG Safarnama: सबसे बड़े अस्‍पताल को बना दिया गया मंत्रालय

छत्‍तीसगढ़ का मंत्रालय अब नवा रायपुर शिफ्ट हो चुका है, लेकिन राज्‍य बना तक रायपुर के सबसे बड़े अस्‍तपाल जिसे डीके अस्‍पताल के नाम से जाना जाता था, उस भवन को मंत्रालय में बनाया गया। यह संयोग ही था कि राज्‍य बनने से पहले ही आज के अंबेडकर अस्‍पताल का निर्माण लगभग पूरा हो चुका था। तब यह 500 बिस्‍तर वाला अस्‍पताल था। डीके अस्‍पताल को वहीं शिफ्ट कर दिया गया।

मंत्रालय जब तक रायपुर में रहा तब तक उसका नाम डीकेएस (दाऊ कल्‍याण सिंह) भवन के नाम से जाना जाता था। अब फिर उस भवन में अस्‍पताल चालू हो गया है।

शंकर नगर के जिन बंगलों में मंत्री रहते हैं, वो सभी रायपुर संभाग और जिला के अफसरों के बंगले थे। शंकर नगर रोड पर जिस भवन में पीएससी का कार्यालय था, वह सिंचाई विभाग का भवन था। इसी तरह पुराना पुलिस मुख्‍यालय पहले बीएड कॉलेज था। उस भवन को पीएचक्‍यू बनाने के लिए बीएड कॉलेज को शंकर नगर शिफ्ट किया गया था।

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छत्‍तीसगढ़ के लोग सीधे और सहज हैं, लेकिन कई मामलों में बड़े सख्‍त भी हैं। जनता और पार्टी के साथ दगाबाजी करने वाले 12 नेताओं को यहां की जनता ने ऐसी सजा दी कि उनमें से ज्‍यादातर का राजनीतिक करियर ही खत्‍म हो गया। इनमें कई बड़े और दिग्‍गज नेता शामिल थे। पूरा कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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इसी छत्‍तीसगढ़ में हत्‍या के एक मामले में मुख्‍यमंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में बादल में गिरफ्तारी भी हुई। सीएम के खिलाफ एफआईआर का यह मामला छत्‍तीसगढ़ के पहले राजनीतिक हत्‍याकांड से जुड़ा हुआ है। किस मुख्‍यमंत्री के खिलाफ हत्‍या का मुकदमा दर्ज हुआ था, जानने के लिए यहां क्लिक करें

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 किसी प्रदेश के मुख्‍यमंत्री के साथ धक्‍का- मुक्‍की सामान्‍य बात नहीं है। छत्‍तीसगढ़ में ऐसी घटना हो चुकी है। भीड़ न केवल धक्‍का मुक्‍की किया बल्कि कुर्ता भी फाड़ दिया। इधर, प्रदेश कार्यालय में एक नेता के समर्थकों ने ऐसा उत्‍पात मचाया कि वहां मौजूद राष्‍ट्रीय नेताओं को भी जान बचाने के लिए छिपना पड़ा। इस खबर को विस्‍तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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छत्‍तीसगढ़ के पहले मुख्‍यमंत्री कांग्रेस के अजीत जोगी थे और दूसरे मुख्‍यमंत्री भाजपा के डॉ. रमन सिंह थे। दोनों अलग-अलग पार्टी के थे, लेकिन दोनों के साथ एक गजब का संयोग जुड़ा हुआ है। इस संयोग के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें

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