CG: रायपुर। छत्तीसगढ़ पाठय पुस्तक निगम (पापुनि) में कितबा रद्दी में बेचने के मामले में सरकार ने निगम के ही दो अफसरों को निलंबत कर दिया है। इनमें वो अफसर भी शामिल हैं, जो मामले की जांच के लिए गठित पांच सदस्यीय कमेटी का हिस्सा थे।
सरकार ने 16 सितंबर को इस कमेटी का गठन किया था और अब कमेटी के उसी सदस्य को निलंबित कर दिया है। पापुनि की किताबें कबाड़ में बेचने के मामले में सरकार ने निगम के महाप्रबंधक प्रेम प्रकाश शर्मा को निलंबित कर दिया है। राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर शर्मा उस जांच कमेटी का भी हिस्सा थे, जो इस मामले की जांच के लिए बनाई गई थी।
उल्लेखनीय है कि शैक्षणिक सत्र 2024-25 में प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चों को बांटने के लिए खरीदी गई किताबें सिलयारी (रायपुर) स्थित रियल बोर्ड पेपर में मिली। कंपनी प्रबंधन ने किताबें कबाड़ में खरीदी थी।
मामला उजागर होने के बाद हड़कंप मच गया। कांग्रेस नेता और रायपुर पश्चिम के पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने इसको लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इस बीच सरकार ने पूरे मामले की जांच के लिए पापुनि के प्रबंध संचालक राजेंद्र कटारा के नेतृत्व में पांच सदस्यी जांच कमेटी गठित कर दी।
CG: जानिए.. कौन-कौन था जांच कमेटी में
किताबें कबाड़ में बेचे जाने की जांच के लिए आईएएस अफसर राजेंद्र कटारा की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी में लोक शिक्ष संचालनालय (डीपीआई) के अतिरिक्त संचालक डॉ. योगेश शिवहरे, शिक्षा विभाग के संयुक्त संभागीय संचालक राकेश पाण्डेय, पापुनि के महाप्रबंधक प्रेम प्रकाश शर्मा और कलेक्टर द्वारा नामांकित जिला प्रशासन के एक अफसर को शामिल किया गया था।
वितरण अधिकारी को भी किया गया निलंबित
इसी मामले में राज्य सरकार ने पापुनि के महाप्रबंधक प्रेम प्रकाश के साथ ही वितरण प्रभारी को राजेन्द्र सिंह ठाकुर को भी निलंबित कर दिया है। ठाकुर पर भी कार्य में लापरवाही बरतने का आरोप लगा है। निलंबन के दौरान ठाकुर का कार्यलय नवा रायपुर स्थित पाठय पुस्तक निगम का मुख्यालय तय किया गया है।
CG: सीएम के पास ही है शिक्षा विभाग
छत्तीगसढ़ में शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी खुद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय संभाल रहे हैं। यह विभाग पहले बृजमोहन अग्रवाल के पास था। रायपुर सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने पहले विधायक पद और फिर कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सीएम ने अग्रवाल का पूरा विभाग अपने पास रख लिया था, लेकिन विधानसभा के मानसून सत्र से पहले संसदीय कार्य विभाग की जिम्मेदारी केदार कश्यप को सौंप दी गई। स्कूल शिक्षा विभाग अब भी मुख्यमंत्री के पास ही है।