Chhaya Verma: रायपुर। पूर्व राज्यसभा सांसद और छत्तीसगढ़ कांग्रेस की वरिष्ठ नेता छाया वर्मा को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। झारखंड में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने छाया वर्मा को आब्जर्वर नियुक्त किया है। उन्हें हजारीबाग संसदीय क्षेत्र का आब्जर्वर नियुक्त किया गया है।
जानिए.. हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र में कितनी हैं विधानसभा की सीटें
झारखंड का जहारीबाग संसदीय क्षेत्र काफी बड़ा है। इस संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की कुल 4 सीटें शामिल हैं। इनमें बरही, बडकागांव, मांडू और हजारीबाग शामिल है। 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में हजारीबाग सीट से भाजपा के मनीष जायवाल 6 लाख 54 हजार 613 वोट से जीत दर्ज की है। लोकसभा के लिहाज से यह सीट बीजेपी का परंपरागत गढ़ रहा है। इस सीट से जसवंत सिन्ह के पुत्र जयंत सिन्हा 2019 में सांसद चुने गए थे। इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया गया था।
Chhaya Verma: जानिए..कौन हैं छाया वार्मा
पूर्व राज्यसभा सांसद छाया वर्मा को कांग्रेस ने हजारीबाग संसदीय सीट का आब्जर्वर नियुक्त किया है। छाया वर्मा का मायका बिलासपुर में हैं। 1980 में उनका विवाह डॉ. दयाराम वर्मा से हुआ था। डॉ. वर्मा सरकारी डॉक्टर थे। वे दो बार जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। 2016 में उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया गया। 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने धरसींवा विधानसभा सीट से सीटिंग एमएलए अनिता शर्मा का टिकट काट के छाया वर्मा को टिकट दिया गया था, लेकिन वे भाजपा के अनुज शर्मा से हार गईं।
छाया वर्मा लंबे समय से कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हैं। उन्हें पूर्व सीएम भूपेश बघेल का करीबी माना जाता है। Chhaya Verma को झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए आब्जर्वर बनाए जाने से राष्ट्रीय राजनीति में उनका कद बढ़ा है।
एआईसीसी की तरफ से जारी नियुक्ति आदेश में उन्हें हजारीबाग संसदीय क्षेत्र में शामिल विधानसभा क्षेत्रों में काम करने के लिए कहा गया है। साथ ही राष्ट्रीय महामंत्री और झारखंड के प्रभारी के संपर्क में रहने के लिए कहा गया है। कांग्रेस नेताओं के अनुसार झारखंड चुनाव में छत्तीसगढ़ के अभी और नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
झारखंड, छत्तीसगढ़ पड़ोसी राज्य है। सरगुजा संभाग से इसकी सीमा लगती है। इतना ही नहीं दोनों राज्यों के आदिवासियों की परंपरा लगभग एक जैसी है। इससे पहले भी झारखंड में हुए विधानसभा के चुनाव के दौरान प्रदेश के कई नेताओं को वहां की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। तब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी।