Code of Conduct for Ministers: मंत्रियों के लिए आचार संहिता, ये काम नहीं कर सकते हैं मंत्री
1 min readCode of Conduct for Ministers: संविधान में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत मंत्रियों के लिए आदर्शन आचार संहिता की व्यवस्था है। यह नियम केंद्र और राज्य दोनों के ही मंत्रियों पर लागू होता है। ये नियम न केवल मंत्री बल्कि उनके परिवारों पर भी लागू होता है।
संविधान के उपबंधों, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 तथा उस समय लागू किसी अन्य कानून के अनुपालन के अतिरिक्त, कोई भी व्यक्ति मंत्री का प्रद ग्रहण करने के तत्काल बाद तथा किसी भी सूरत में पद ग्रहण करने की तारीख से दो माह की अवधि के भीतर
क) प्रधानमंत्री, अथवा मुख्यमंत्री, जैसा भी मामला हो, को अपनी तथा अपने परिवार के सदस्यों की परिसंपत्तियों एवं देयताओं और व्यापारिक हितों के ब्यौरे की जानकारी देगा। दी जाने वाली जानकारी के ब्यौरे में सभी अचल सम्पति के ब्यौरे तथा (1) शेयरों और डिबेंचरों (ii) पास नकद एवं (iii) आभूषणों की कुल अनुमानित कीमत शामिल होगी। परिसंपत्तियों एवं देयताओं का ऐसा विवरण उस वित्त वर्ष के संबंध में हो सकता है जिसके संबंध में मंत्री द्वारा आयकर विवरणी पहले ही प्रस्तुत कर दी गई हो;
ख) ऐसे किसी व्यापार, जिसमें मंत्री के रूप में नियुक्ति से पूर्व उसके हित थे, के स्वामित्व के अधिकार से स्वयं को वंचित करने के अतिरिक्त सभी संबंध समाप्त करेगा और इसका संचालन एवं प्रबंधन नहीं करेगा; और
ग) ऐसी व्यापारिक संस्था के संबंध में, जो संबंधित सरकार अथवा उस सरकार के उपक्रमों को सामान की आपूर्ति करती है अथवा सेवाएं मुहैया कराती है (व्यवसाय अथवा व्यापार की सामान्य प्रक्रिया में और मानक अथवा बाजार दरों पर, को छोड़कर) अथवा जिसका व्यापार मुख्यतः संबंधित सरकार से प्राप्त की गई अथवा की जाने वाली अनुज्ञतियों, परमिटों, कोटा, पट्टेआदि पर निर्भर करता है, स्वयं को उक्त व्यापार में अपने सभी हितों और इसके प्रबंधन के अधिकार से भी वंचित करेगा।
परन्तु, फिर भी वह (ख) के मामले में प्रबंधन में अपने हित तथा (ग) के मामले में स्वामित्व और प्रबंधन दोनों ही, अपनी पत्नी (अथवा पति, जैसा भी मामला हो) के अलावा अपने परिवार के किसी ऐसे वयस्क सदस्य अथवा वयस्क रिश्तेदार को अन्तरित कर सकता है, जो मंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति से पूर्व उक्त व्यापार के संचालन अथवा प्रबंधन अथवा स्वामित्व के साथ जुड़ा रहा हो। पब्लिक लिमिटेड कम्पनियों में शेयर धारण के नामले में अपने हितों से स्वयं को वंचित करने का प्रश्न ही नहीं उठता केवल इस बात को छोड़कर कि जहां प्रधानमंत्री, अथवा मुख्यमंत्री जैसा भी मामला हो, ऐसा मानते हैं कि उनके शेयर धारण का स्वरूप अथवा परिणाम ऐसा है जिससे सरकारी ड्यूटियों के निर्वहन में उन्हें परेशानी हो सकती है।
Code of Conduct for Ministers: नहीं कर सकते हैं किसी भी तरह का कारोबार
2. पद ग्रहण करने के बाद तथा जितने समय तक वह मंत्री पद पर बने रहते हैं; वहः-
(क) अपनी परिसम्पत्तियों और देयताओं के बारे में एक उद्द्घोषणा वार्षिक रूप से पिछले वित्तीय वर्ष के लिए 31 अगस्त तक प्रधानमंत्री अथवा मुख्यमंत्री, जैसा भी मामला हो, को भेजेंगे;
(ख) कोई अचल सम्पत्ति सरकार से नहीं खरीदेंगे और न ही बेचेंगे सिवाए इसके जब ऐसी सम्पत्ति को सरकार द्वारा सामान्य प्रक्रिया में अनिवार्य रूप से अर्जित की जाती है;
(ग) कोई व्यापार आरंभ नहीं करेंगे अथवा इसमें शामिल नहीं होंगे:
(घ) यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके परिवार के सदस्य उस सरकार को सामान की आपूर्ति करने अथवा सेवाएं प्रदान करने के काम में लगी हुई व्यापार संस्थाओं को आरंभ नहीं कर रहे हैं अथवा उनमें हिस्सा नहीं ले रहे हैं (व्यवसाय अथवा व्यापार की सामान्य प्रक्रिया में और मानक अथवा बाजार दरों पर, को छोड़कर) अथवा उस सरकार से अनुज्ञज्ज्ञप्तियों, परमिटों, कोटा, पट्टे आदि प्रदान किए जाने पर मुख्यतः निर्भर नहीं है।
(ङ) यदि उनके परिवार का कोई सदस्य कोई अन्य कारोबार शुरू करता है अथवा उसके संचालन अथवा प्रबंधन में शामिल होता है तो इस मामले की सूचना प्रधानमंत्री अथवा मुख्यमंत्री जैसा भी मामला हो, को देगा।
Code of Conduct for Ministers: 3.1 किसी भी मंत्री को-
(क) व्यक्तिगत रूप से अथवा अपने परिवार के किसी सदस्य के माध्यम से राजनैतिक, धर्मार्थ अथवा अन्यथा किसी प्रयोजनार्थ अंशदान स्वीकार नहीं करना चाहिए। यदि किसी पंजीकृत सोसायटी अथवा किसी धर्मार्थ निकाय, अथवा किसी लोक प्राधिकारी द्वारा मान्यताप्राप्त कोई संस्था, अथवा किसी राजनैतिक दल के लिए अभिप्रेत कोई पर्स अथवा चैक उन्हें भेंट किया जाता है, तो इसे यथासंभव शीघ्र की उस संगठन को अन्तरित किया जाना चाहिए जिसके लिए यह अभिप्रेत है; और
(ख) स्वयं को (i) किसी पंजीकृत सोसायटी, अथवा किसी धर्मार्थ निकाय, अथवा किसी लोक प्राधिकारी द्वारा मान्यताप्राप्त संस्था तथा (ii) किसी राजनीतिक दल के लाभ के निहितार्थ छोड़कर निधियां (फंड) इकत्र करने में शामिल नहीं होना चाहिए। तथापि, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे अंशदान उनके बजाय संबंधित सोसायटी, अथवा निकाय अथवा संस्था अथवा दल के किसी विशिष्ट पदाधिकारी को भेजे जाते हैं। इसके पहले उपर्युक्तानुसार एकत्र की गई निधियों के वितरण संबंधी कार्य के साथ जुड़े रहने से मंत्री को कोई तनिक भी नहीं रोकेगा।
3.2 किसी मंत्री, केन्द्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और राज्य सरकारों/संघ शासित क्षेत्रों के अन्य मंत्रियों सहित, को अपने पति/पत्नी और आश्रितों को विदेशी सरकार, भारत में या विदेश में, या किसी विदेशी संगठन (वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों सहित) में प्रधानमंत्री की पूर्व अनुमति के बिना रोजगार ग्रहण करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। यदि मंत्री की पत्नी या आश्रित पहले से ही ऐसे रोजगार में हैं तो उस मामले की जानकारी प्रधानमंत्री को इस निर्णय के लिए दी जानी चाहिए कि क्या इस रोजगार को जारी रखा जाना चाहिए या नहीं। सामान्य नियम के अनुसार, विदेशी मिशन में रोजगार पर पूर्ण रोक होनी चाहिए।
Code of Conduct for Ministers: 4.1 किसी मंत्री को चाहिए कि –
(क) नजदीकी रिश्तेदारों को छोड़कर किसी से कीमती उपहार ग्रहण न करे, और उसे या उसके परिवार के सदस्य को ऐसे किसी व्यक्ति से उपहार स्वीकार नहीं करना चाहिए जिसके साथ उसका सरकारी लेन-देन हो, और
(ख) न ही उसके परिवार के सदस्य को ऐसे संविदा ऋण की अनुमति हो जिससे उसके कर्तव्यों को वहन करने में बाधा हो या प्रभाव पड़े।
4.2 कोई मंत्री, जब वह विदेश में जाता है या भारत में विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से, उपहार प्राप्त कर सकता है। ऐसे उपहारों की दो श्रेणियां हैं। पहली श्रेणी में प्रतीकात्मक प्रकृति के उपहार जैसे सम्मान कृपाण, समारोह संबंधी परिधान आदि शामिल है जो प्राप्तकर्ता द्वारा अपने पास रखे जा सकते हैं। दूसरी श्रेणी में वे उपहार होंगे जो प्रतीकात्मक प्रकृति के नहीं है। यदि इसका मूल्य 5000/-रुपये से कम है तो यह मंत्री द्वारा रखा जा सकता है। हालांकि यदि उपहार के अनुमानित मूल्य के बारे में कोई संदेह है तो मामला मूल्यांकन के लिए तोशाखाना को भेजा जाना चाहिए।
यदि उपहार का मूल्य, मूल्यांकन करने पर 5000/-रुपये की निर्धारित सीमा के अन्दर पाया जाता है तो उपहार मंत्री को लौटा दिया जाएगा। यदि इसका मूल्य 5000/-रुपए से अधिक है तो प्राप्तकर्ता के पास तोशाखाना द्वारा निर्धारित मूल्य और 5000/-रुपये के अन्तर की राशि का भुगतान करके त्तोशाखाना से उपहार खरीदने का विकल्प रहेगा। तोशाखाना द्वारा रखे गए केवल घरेलू वस्तुओं के उपहार जैसे गलीचे, पेंटिंग, फर्नीचर आदि जो 5000/-रुपए से अधिक मूल्य के हैं, राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास या राजभवन में राज्य सम्पति के रूप में रखे जाएंगे। (नोटः उपहार के मूल्य से अभिप्राय, मूल देश में इसके अनुमानित बाजार मूल्य से है।)
4.3 किसी संगठन द्वारा मंत्री/मंत्री का दर्जा/ रैंक धारण करने वाले व्यक्ति को पुरस्कार दिए जाने की स्थिति में निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए-
(क) पुरस्कार पुरस्कार देने वाले संगठन के प्रत्ययपत्रों की जांच की जाए;
(ख) यदि पुरस्कार देने वाले निकाय के प्रत्ययपत्र अनभियोज्य हैं, तो पुरस्कार स्वीकार किया जा सकता है लेकिन नकद स्वीकार नहीं की जानी चाहिए;
(ग) यदि पुरस्कार व्यक्ति द्वारा मंत्री का पद धारण करने से पहले किए गए कार्य से संबंधित है तो ऐसे पुरस्कार ग्रहण किए जा सकते हैं लेकिन ऐसे सभी मामलों में, प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री, जैसा भी मामला हो, की विशिष्ट अनुमति ली जानी चाहिए। मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को, प्रधानमंत्री और केन्द्रीय गृह मंत्री की अनुमति लेनी होगी और
(घ) उन मामलों में, जिनमें किसी मंत्री को ऐसे संगठन से कोई पुरस्कार प्राप्त करना है, जिसके संबंध किसी विदेशी एजेंसी संगठन से हैं तो ऐसे मंत्री/मंत्री का दर्जा/रैंक धारण करने वाले व्यक्ति को भारत के प्रधानमंत्री की पूर्व अनुमति लेनी होगी।
4.4 किसी मंत्री को विदेशी मिशनों द्वारा भारत में या विदेश में आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेने संबंधी मामलों, तथा किसी विदेशी ट्रस्ट, संस्था या संगठन, संयुक्त राष्ट्र संगठनों को छोड़कर, भारत जिसका सदस्य है, की सदस्यता ग्रहण करने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा समय-समय पर दिए गए अनुदेशों का पालन करना चाहिए।
5. किसी मंत्री को चाहिए कि –
(क) सरकारी दौरे के दौरान, जहां तक व्यवहार्य हो, स्वयं से संबंधित आवास या सरकार, सरकारी उपक्रम, सार्वजनिक निकायों या संस्थाओं द्वारा रख-रखाव वाले आवासों (जैसे सर्किट हाउस, डाक बंगलों आदि) या मान्यता प्राप्त होटलों में ही रूकें; और
(ख) जहां तक संभव हो, उसके सम्मान में दिए गए खर्चीले एवं आडंबर पूर्ण प्रीतिभोज में न जाए।
6. जहां ऐसा अन्यथा विनिर्दिष्ट हो, को छोड़कर आचार संहिता की अनुपालना को सुनिश्चित करने के लिए केन्द्रीय मंत्रियों के मामले में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों के मामले में प्रधानमंत्री और केन्द्रीय गृह मंत्री और राज्य के मंत्रियों के मामले में संबंधित मुख्यमंत्री प्राधिकारी होंगे। उक्त प्राधिकारी इस संहिता की कोई कथित या संदिग्ध अवमानना से निपटने के लिए या निर्धारित करने के लिए प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के अनुसार उचित समझी जाने वाली प्रक्रिया का पालन करेगा।
स्पष्टीकरणः इस संहिता में, किसी मंत्री के परिवार में उसकी पत्नी (या पति, मामले के अनुसार) जो कानूनी रूप से अलग न हुआ/हुई हो, नाबालिग बच्चे, और कोई भी व्यक्ति जो मंत्री से खून के रिश्ते या शादी द्वारा जुड़ा हो, तथा पूर्ण रूप से उस पर आश्रित हो, शामिल होंगे।