CSEB पावर कंपनी मुख्यालय शिफ्टिंग का “ऊपर से आदेश”, इसके पीछे कहीं….
CSEB रायपुर। पावर कंपनी मुख्यालय की शिफ्टिंग अनावश्यक व्यय है। इससे कंपनी पर आर्थिक भार बढ़ेगा और इसका सीधा असर कंपनी के कर्मचारियों और आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। इसी वजह से कंपनी के पर और वर्तमान इंजीनियर, अधिकारी और कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं। कंपनी के कर्मचारियों का तर्क है कि मौजूदा परिसर में जब पर्याप्त जगह है तो फिर नया मुख्यालय बनाने के लिए करोड़ों रुपए क्यों खर्च करना। मुख्यालय शिफ्टिंग के विरोध में बिजली कर्मचारी महासंघ ने आंदोलन की शुरुआत भी कर दी है।
महासंघ की तरफ से एक बार प्रदर्शन किया जा चुका है, फिर 13 जनवरी को प्रदर्शन की तैयारी है। इस बीच छत्तीसगढ़ रिटायर्ड पावर इंजीनियर्स आफिसर्स एसोसिएशन ने भी इसके विरोध में सीधे मुख्यमंत्री और कंपनी प्रबंधन को पत्र लिखा है।
ऊपर से आदेश का हवाल दे कर शुरू की गई इस प्रक्रिया में बड़े खेल की आशंका जताई जा रही है। चर्चा है कि पूरा खेल डंगनिया के प्राइम लोकेशन पर स्थित जमीन का है। दरअसल मुख्यालय शिफ्ट करके वर्तमान मुख्यालय की अरबों की जमीन भू माफिया को सौंपने की तैयारी है।
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CSEB एसोसिएशन के एसजी ओक ने मुख्यालय शिफ्टिंग को गैर जरूरी बताया है। उन्होंने लिखा है कि नए मुख्यालय भवन के निर्माण के लिए सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी तेजी से चल रही है। हालांकि अभी यह खर्च 200 करोड़ का बताया जा रहा है, लेकिन सभी जानते हैं कि वास्तव में यह इसके दोगुने से भी ज्यादा होगा। एसोसिएशन के विचार से यह नितांत अनावश्यक है। इस संबंध में निम्नांकित बिन्दु महत्वपूर्ण हैं :-
CSEB1. स्वयं के वर्तमान परिसर में पर्याप्त उपलब्धता वर्तमान मुख्यालय परिसर विद्युत कंपनियों के स्वयं के आधिपत्य में है एवं यह पूरी तरह से पर्याप्त है। पिछले कुछ वर्षों में परिसर में कुछ कार्यालय भवन बनाये गये हैं। हाल ही में तीन कार्यालय भवनों का निर्माण हुआ हैं, जिनमें से एक का तो अभी तक उद्घाटन भी नहीं हुआ है।
अगर कार्यालयों हेतु और भी स्थान की आवश्यकता है तो अलग-अलग भवन बनाये जाने के बजाये बहुमंजिला कार्यालय भवन बनाया जा सकता है। यही नहीं, अभी भी परिसर में कुछ अत्यंत पुराने अनुपयोगी भवन हैं जिनके स्थान पर भी नया निर्माण किया जा सकता है। ऐसे में मुख्यालय स्थानांतरण का कोई औचित्य नहीं है।
2. अनावश्यक वित्तीय बोझ जो कार्य मौजूदा परिसर में अधिकतम मात्र 05 करोड़ रुपये में आसानी से संभव है उसके लिये नदा रायपुर में लगभग 200 करोड़ रुपये खर्च कर के उपभोक्ताओं पर बोझ डालना न केवल अनावश्यक है बल्कि गैर जिम्मेदाराना भी है।
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CSEB 3. मुख्यालय स्थानांतरण से असुविधा वर्तमान मुख्यालय परिसर तक पहुँचना बाहर से आने वाले कार्मिकों / सेवा प्रदाताओं / उपभोक्ताओं / सेवानिवृत्त कार्मिकों सभी के लिये सुविधाजनक है जबकि प्रस्तावित स्थानांतरण से सभी की कठिनाई बढ़ जायेगी।
उपरोक्त के मद्देनजर यह समझ से परे है कि प्रस्तावित स्थानांतरण का उद्देश्य क्या है ? अत्यंत गंभीर बात यह भी है कि किसी भी अधिकारी के पास इस मुद्दे पर कोई उत्तर नहीं है, केवल एक ही जवाब है कि जो कुछ किया जा रहा है वह ऊपर से आदेश के तहत किया जा रहा है।
किसी को भी यह नहीं पता कि आखिर “ऊपर से आदेश” का अर्थ क्या है। वहीं कार्मिकों में ही नहीं वरन् जनता में भी दबे पांव यह चर्चा मुखर है कि इस सबसे आखिर में वर्तमान कार्यालय भूमि को भू माफिया को सौंपने का रास्ता ही खुलेगा।
विनम्र निवेदन है कि अगर बिजली कंपनियों के पास 500 करोड़ रुपये अतिरिक्त उपलब्ध ही हैं, तो बेहतर होगा कि या तो यह राशि पेंशन फंड में जमा करा दी जाये या विद्युत कर्मियों को प्रोत्साहन के रूप में दी जाये या विद्युत उपभोक्ताओं के हित में खर्च की जाये, परंतु अनावश्यक खर्च न की जाये।
CSEB उपरोक्त परिपेक्ष्य में बिजली कंपनियों का प्रस्तावित मुख्यालय स्थानांतरण निश्चित रूप से न केवल सभी के लिये कष्टप्रद है वरन् शासन की छवि के लिये हानिकारक भी है, अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि कृपया तत्काल हस्तक्षेप कर जिम्मेदार अधिकारियों को मुख्यालय स्थानांतरण बाबत् चल रही समस्त गतिविधियों पर अविलम्ब रोक लगाने के लिए आदेशित करें ताकि एक ओर उपभोक्ता हितों की रक्षा की जा सके वहीं दूसरी ओर शासन की छवि धूमिल होने से बचाई जा सके।