CSPDCL रायपुर। राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर होने वाला परेड देखने की लालसा हर भारतीय की होती है। यूं तो देश का कोई भी नागरिक वहां परेड देखने जा सकता है, लेकिन किसी को सीधे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परेड देखने के लिए बुला लें तो उसकी खुशी कई गुना बढ़ जाएगी। छत्तीसगढ़ के ऐसे ही कुछ लोगों को प्रधानमंत्री ने दिल्ली में परेड देखने के लिए आमंत्रित किया था। पीएम के न्योता पर दिल्ली जाने वाले छत्तीसगढ़ के सभी लोग एक खास योजना के हितग्राही हैं। ऐसी योजना जो प्रधानमंत्री की प्राथमिकता में शामिल है।
बता दें कि नई दिल्ली में जिन लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परेड देखने के लिए बुलाया था वे सभी प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के हितग्राही हैं। अफसरों के अनुसार देशभर से प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के करीब 800 लोगों को दिल्ली में परेड देखने के लिए विशेष रुप से आमंत्रित किया गया था। इनमें छत्तीसगढ़ के हरिशंकर अग्रवाल, रमेश मल्ल, शिवांगी राठौर और निर्मलेंदु शाह शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनीAMP के इंजीनियर एन बिम्बिसार बतौर नोडल अफसर इन हितग्राहियों के साथ दिल्ली गए थे। कंपनी के एमडी भीमसिंह कंवर ने दिल्ली परेड देखने गए राज्य के हितग्राहियों को बधाई और शुभकामना दी है। कंवर ने कहा कि ये सभी हितग्राही योजना के राजदूत और उत्प्रेरक बन गए हैं। बता दें कि राज्य में इस योजना की नोडल एजेंसी सीएसपीडीसीएल ही है।
बता दें कि इस योजना के तहत घरों की छतों पर सोलर प्लांट लगाए जा रहे हैं। एक से तीन किलो वाट तक के प्लांट के लिए केंद्र सरकार की तरफ से सब्सिडी दी जा रही है। तीन किलो वाट का प्लांट लगाने में करीब दो लाख रुपये खर्च होता है। केंद्र सरकार तीन किलो वाट का प्लांट लगाने वालों को 78 रुपये सब्सिडी देती है। यानी करीब एक लाख 20 हजार रुपये में तीन किलोवाट का प्लांट लग जाता है। उत्तर प्रदेश समेत कुछ और राज्य सरकारें अपने स्तर पर भी सब्सिडी दे रही हैं।
प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना से आम उपभोक्ता को बिजली उत्पादक बन सकता है। पावर कंपनी के अफसरों ने बताया कि इस योजना में यह व्यवस्था है कि उपभोक्ता के घर के सोलर प्लांट में जितनी बिजली का उत्पादन होगा, उसमें से जिनती बिजली उसकी खपत के बाद बचेगी, वह पावर कंपनी ले लेगी। इस योजना के हितग्राहियों के घर पर इसके लिए विशेष मीटर लगाए जा रहे हैं ताकि आने और जाने वाली बिजली का पूरा हिसाब रखा जा सकें।