Dhan Kharidi: सरकार के रवैये से छत्तीसगढ़ के राइस मिलर्स खफा, एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने दो टूक कहा…
Dhan Kharidi: रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान की खरीदी शुरू हो चुकी है, लेकिन कस्टम मिलिंग के लिए राइस मिलरों ने अब तक पंजीयन ही नहीं कराया है। छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन की तरफ से प्रदेश के सभी 33 जिलों में कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपकर सरकार को अपनी मांगों से अवगत करा दिया गया है। इसमें मिलरों ने बारदाना जमा करने और धान का उठाव करने से साफ मना कर दिया है।
छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन की मांगों को लेकर एसोसिएशन के पदाधिकारियों और सरकार के बीच दो बैठक हो चुकी है। रविवार को भी एक बैठक हुई, लेकिन एसोसिएशन की मांगों पर सरकार की तरफ से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिल पाया। इस बीच छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने दो टूक कहा है कि जब तक हमारी मांगों का समाधान नहीं हो जाता तब तक धान का उठाव और कस्टम मिलिंग नहीं करेंगे।
छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने कहा जिस तरह की परिस्थिति है, उसमें हम सरकार का किसी भी तरह से सहयोग नहीं कर सकते हैं। यह बात हमने सरकार के प्रतिनिधियों से भी साफ- साफ कह दी है। उन्होंने बताया कि राइस मिलरों का पुराना भुगतान नहीं हो रहा है। हमारे पास पैसा ही नहीं है तो हम कैसे बारदाना जमा करें या धान का उठाव करें।
Dhan Kharidi: कस्टम मिलिंग की शर्तें पर आपित्त
कस्टम मिलिंग के लिए पंजीयन कराने वाले राइस मिलरों के लिए इस बार राज्य सरकार ने शर्तों में कई तरह का बदलाव किया है। इनमें से कई शर्तों पर राइस मिलर आपत्ति जता रहे हैं। सरकार ने कस्टम मिलिंग के लिए परिसर में सीसीटीवी कैमरा लगाने की शर्त रखी है। यहां तक तो ठीक है, लेकिन उन कैमरों का ऑन लाइन एक्सेस मांग रहे हैं। राइस मिलरों का कहना है कि कई राइस मिलों में संचालकों और काम करने वाले लोगों का परिवार रहता है। एआई के इस दौर में सीसीटीवी फुटेज के जरिये कोई कुछ भी कर सकता है।
राइस मिलरों ने कलेक्टरों को सौंपा है 25 बिंदुओं का मांग पत्र
राइस मिलर्स एसोसिएशनकी तरफ से राज्य के सभी कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपा गया है। इसमें 25 बिंदु हैं। इसमें मिलरों ने पिछले तीन वर्षों का अलग-अलग में बकाया भुगतान करने की मांग की है। नई खरीदी नीति में राइस मिलरों पर पेनाल्टी लगाए जाने के प्रावधान का भी विरोध किया है। छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन की मांगों और कलेक्टरों को सौंपे गए ज्ञापन की विस्तार से जानकारी के लिए यहां क्लिक करें
सरकार की नियत पर संदेह
धान खरीदी को लेकर सरकार के रुख को देखते हुए राइस मिलर ही नहीं किसान भी सरकार की नियत पर संदेह व्यक्त कर रहे हैं। राइस मिलर्स एसोसिएशन के एक पदाधिकारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने 1 लाख 60 हजार टन धान खरीदने के बड़े लक्ष्य की घोषणा तो कर दी है, लेकिन सरकार इसको लेकर गंभीर नहीं दिख रही है।
धान की खरीदी शुरू हो चुकी है, लेकिन कस्टम मिलिंग के लिए राइस मिलों के पंजीयन की प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो पाई। ऐसे में धान उपर्जन केंद्रों में पड़े रहेंगे। इसका असर धान की क्वालिटी पर पड़ेगा। एक अन्य पदाधिकारी ने कहा कि दरअसल देश में चावल का भंडार ज्यादा हो गया है। इसी कारण सरकार धान खरीदी में रुचि नहीं दिख रही है।
इधर, किसान संगठन भी धान खरीदी को लेकर सरकार से नाराज हैं। किसानों का कहना है कि भाजपा ने 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदने का वादा किया था, लेकिन अब टोकन 16 क्विंटल के हिसाब से जारी किया जा रहा है। इसको लेकर एक दिन पहले मुंगले में किसानों ने जमकर हंगामा किया। नाराज किसानों ने चक्का जाम कर दिया था।
Dhan Kharidi: एक के बाद एक बाधा
धान खरीदी में इस बार एक के बाद एक बाधा आ रही है। धान खरीदी शुरू होने से महीनेभर पहले धान खरीदी केंद्रों में काम करने वाले कंप्यूटर आपॅरेटरों ने हड़ताल कर दिया था। करीब महीनेभर तक उनका आंदोलन चला, उन्हें आश्वासन देकर मना लिया गया। इसके बाद सहकारी समितियों के कर्मचारियों ने 4 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल किया। इनकी तीन में से एक मांग मान ली गई। इसके बाद कर्मचारी काम पर लौट गए। अब राइस मिलर नाराज हैं और धान का उठाव नहीं कर रहे हैं।