February 13, 2025

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Dr Reshma Ansari डॉ. रेशमा अंसारी की विविध रसों से सरोबार गजल संग्रह आरजू बस यही का विमोचन

Dr Reshma Ansari रायपुर। डॉ. रेशमा अंसारी के गजल संग्रह आरजू बस यही का विमोचन महाराष्ट्र के नादेड़ स्थित शंकर राव चव्हाण स्मृती भवन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में किया गया। विमोचन करने वालो में चीन, श्रीलंका, और मॉरीशस के प्रसिद्ध प्रवासी साहित्यकार शामिल थें।

बता दें कि डॉ. अंसारी मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की प्राध्यापक और विभागाध्यक्ष हैं। महाराष्ट्र के नादेंड स्थित यशवंत महाविद्यालय द्वारा भारतीय ज्ञान प्रणालीः वैश्विक परिदृश्य विषय पर 10 और 11 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी की मुख्य वक्ता के रूप में मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी को आमंत्रित किया गया था।

Dr Reshma Ansari वरिष्‍ठ साहित्‍यकार डॉ. सुधीर शर्मा ने लिखि है भूमिका

इस मौके पर डा. रेशमा अंसारी के नवीनतम गजल संग्रह आरजू बस यही का विमोचन प्रवासी साहित्यकारों डॉ. विवेकमणी त्रिपाठी चीन, डॉ.अनुशा नीलमणी श्रीलंका, डॉ. तनुजा बिहारी के हाथों किया गया। इस अवसर पर प्राध्यापक और साहित्यकार डॉ. नूरजहं रहमतुल्ला आसाम, यशवंत महाविद्यालय नादेंड के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप पाईकराव, डॉ. सुनील जाधव, डॉ.साईंनाथ साहू, डॉ. लक्ष्मण काले, डॉ.परविंदर कौर महाजन, डॉ. जहीरूद्दीन पठान, डॉ. रजिया शेख, डॉ. शहनाज सहित विभिन्न राज्यों के प्राध्यापकगण, शोधार्थीगण एवं विद्यार्थीगण उपस्थित थे।

इस गजल संग्रह की भूमिका में वरिष्ठ साहित्यकार और कल्याण महाविद्यालय भिलाई के विभागाध्यक्ष डॉ. सुधीर शर्मा ने लिखा है कि इस गजल संग्रह में आज के हालात की तस्वीर, गरीबी को मिटाने की भूख, जिंदगी की अनमोल कहानी, हवाओं से बातचीत, विवादों को दूर करने की समझाइश, मोबाइल के प्रति बढ़ते आकर्षण की चिंता, राजनीति को नसीहत, नये साल की सौगात, जिंदगी का सुकून, यादों का गुलदस्ता, गांव की खुशबू और उसके सूनेपन की चिंता, मेहमानों की एंठ और न जाने कितने अऩुभवों को प्रस्तुत कर पाठकों के मन को विविध रसों से सरोबार करती है।

Dr Reshma Ansari कुल मिलाकर ये गजलें अनुभूतियों के विराट संसार को अपनी आवाज देती है। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित डॉ. रेशमा अंसारी ने कहा कि साहित्य नैतिक मूल्यों की शिक्षा देता है। आधुनिक परिवेश में नैतिक मूल्यों का क्षरण रोकने के प्रयास किये जाने चाहिए।

नई शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा सिखना आवश्यक है। इस सेमीनार में प्रमुख रूप से महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक राव जी चौव्हाण, पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री डी.पी. सावंत, कार्यकारी सदस्य नरेंद्र चौव्हाण सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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