Encounter By CG Police : छत्तीसगढ़ में अब तक हुए एनकाउंटर, जानिए.. छत्तीसगढ़ में कब-कब पुलिस ने किए हैं एनकाउंटर..
Encounter By CG Police :रायपुर। छत्तीसगढ़ नक्सल प्रभावित राज्य है। ऐसे में यहां मुठभेड़ और फायरिंग आम बात है, लेकिन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से बाहर पुलिस के रिवाल्वरों से गोली केवल चांदमारी के दौरान ही निकलती है। इसके बाद रिवल्वर होलेस्टर में और रायफल कंधों पर ही नजर आते हैं।
दुर्ग पुलिस ने अब से कुछ देर पर जयंती स्टेडियम के पीछे एक आपराधी को एनकाउंटर में मार गिराया है। मारे गए आरोपी का नाम अमित जोशी है। दुर्ग एसपी जितेंद्र शुक्ला के अनुसार अमित के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। फिलहाल वो चार महीने पहले हुए गोलीकांड के मामले में फरार चल रहा था।
दुर्ग पुलिस के अनुसार फरार चल रहे अमित की तलाश लगातार की जा रही थी। पुलिस ने अपने खुफिया तंत्र को भी लगा रखा था। आज अमित के जयंती स्टेडियम के पास देखे जाने की सूचना मिली। पुलिस की एक पार्टी उसकी घेराबंदी करने मौके पर पहुंच गई, लेकिन अमित ने पुलिस को देखते ही पुलिस पर फायर कर दिया। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी गोली चलाई, जिसमें अमित मारा गया।
Encounter By CG Police : छत्तीसगढ़ में यह पांचवां एनकाउंटर
नक्सल क्षेत्रों के बाहर छत्तीसगढ़ में यह पांचवां एनाकाउंटर है। इससे पहले हुए चार में से तीन एनकाउंटर भी दुर्ग पुलिस के नाम ही दर्ज है। इसमें एक एनाकाउंटर का नेतृत्व अजातशत्रु बहादुर सिंह ने किया था। वहीं, दूसरा एनकाउंटर सचिन शुक्ला के कार्यकाल में हुआ था। दोनों अफसरों ने जब एनकाउंटर का नेतृत्व किया था तब वे राज्य पुलिस सेवा के अफसर थे। सचिन शुक्ला अब रिटायर हो चुके हैं।
जानिए.. छत्तीसगढ़ का पहला एनकाउंटर कब हुआ था
छत्तीसगढ़ में पहला एनकाउंटर राज्य बनने के एक साल के भीतर ही हो गया था। यह घटना 2001 की है। इस एनकाउंटर का नेतृत्व तत्कालीन सीएसपी अजातशत्रु बहादुर सिंह ने किया था।
मामला महाराष्ट्र के एक व्यापारी के अपहरण से जुड़ा था। इस वारदात में छत्तीसगढ़ के साथ ही मध्यप्रदेश के भी आरोपी शामिल थे। इसमें एमपी राज्य सशस्त्र बल का भगोड़ा सुभाष सिंह भी शामिल था।
अपहरण के बाद आरोपी दो टीम में बंट गए थे। एक पार्टी व्यपारी को लेकर छिपी हुई थी। दूसरी पार्टी फिरौती का रकम लेकर लौट रही थी।
अजातशत्रु बहादुर सिंह के अनुसार आरोपियों के जोरा के आगे ग्रामीण क्षेत्र में देखे जाने की सूचना पर पुलिस पार्टी घेराबंदी करने निकली। पुलिस ने फिरौती की रकम लेकर भाग रहे तीन आरोपियों को घेर लिया।
उसमें सुभाष सिंह के साथ सतीश और सुखवीर भी शामिल था। पुलिस को देखते ही सुभाष सिंह ने फायर खोल दिया। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की इसमें दुर्ग का कुख्यात अपराधी सुखवीर मारा गया। बाकी दोनों अपराधी जिंदा पकड़ लिए गए।
Encounter By CG Police : भिलाई में ही हुआ दूसरा एनकाउंटर
छत्तीसगढ़ का दूसरा एनकाउंटर भी भिलाई में ही हुआ। यह घटना 2005 में हुई। पुलिस ने महादेव महार हत्यकांड में शामिल तपन सरकार गिरोह के गोविंद विश्वकर्मा को मार गिराया था। इस मुठभेड़ की कमान सचिन शुक्ला और राजीव शर्मा ने संभाली थी।
बताया जाता है कि हत्या के बाद से फरार गोविंद के भिलाई में छिपे होने की जानकारी मिलने पर पुलिस ने उसकी घेराबंदी की। पुलिस को देखकर गोविंद ने फायर कर दिया। इस पर पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की जिसमें गोली लगने से गोविंद की मौत हो गई।
2010 में नक्सली नागेश को किया था ढेर
दुर्ग पुलिस ने ही 2010 में नक्सली कमांडर नागेश का एनकाउंटर किया था। नार्थ बस्तर माड़ डिविजनल कमेटी का सदस्य नागेश अपनी पत्नी के साथ रावघाट क्षेत्र में कारतूस खरीदने के लिए पहुंचा था। गोपनीय सूचना के आधार पर पुलिस ने उसकी घेराबंदी की तो नागेश ने पुलिस की टीम पर फायरिंग कर दी। जवाबी कार्रवाई में नागेश और उसकी पत्नी मारे गए।
Encounter By CG Police : 2012 में कोरबा में हुआ था एनाकाउंटर
छत्तीसगढ़ के इतिहास का चौथा एनकाउंटर 2012 में कोरबा में हुआ। वहां कोरबा पुलिस ने बिलासपुर के कुख्यता आपराधी चुन्नू गर्ग को मार गिराया था। चुन्नू पर एक पुलिस वाले की हत्या का आरोप था। जब यह एनकाउंटर हुआ तक कोरबा में एसपी सुदंरराज पी. थे। इन दिनों सुंदरराज पी. आईजी बस्तर हैं और नक्सलियों के खिलाफ जंग का नेतृत्व कर रहे हैं।