Finance Minister of Chhattisgarh: रायपुर। छत्तीसगढ़ नवंबर 2000 में मध्य प्रदेश से अगल हुआ था। ऐसे में प्रदेश के लिए पहला पूर्ण बजट 2001-02 के लिए पेश किया गया था। तब प्रदेश में मुख्यमंत्री अजीत जोगी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी और वित्त मंत्री रामचंद्र सिंहदेव थे।
छत्तीसगढ़ के 25 वर्षों के इतिहास में केवल पांच ही वित्त मंत्री हुए हैं। मौजूदा वित्त मंत्री ओपी चौधरी पांचवें वित्त मंत्री हैं। राज्य के दो वित्त मंत्रियों के नाम के आगे डॉक्टर लिखा जाता है। इनमें डॉ. रामचंद्र सिंहदेव पीएचडी डिग्री के कारण डॉक्टर लिखते थे, जबकि डॉक्टर रमन सिंह बीएएमएस डॉक्टर हैं।
छत्तीसगढ़ के पहले वित्त मंत्री का नाम डॉ. रामचंद्र सिंहदेव था। कोरिया राज परिवार से आने वाले डॉ. सिंहदेव की फाइनेंस पर अच्छी पकड़ थी और वे वित्तीय अनुशासन के पक्षधर थे। इसी वजह से उन्हें कंजूस वित्त मंत्री भी कहा जाता है। डॉ. सिंहदेव को केवल तीन बजट पेश करने का मौका मिला।
छत्तीसगढ़ के दूसरे वित्त मंत्री भाजपा के अमर अग्रवाल थे। 2003 में जब पहली बार प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तब मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल को अपनी कैबिनेट में वित्त मंत्री बनाया। अमर अग्रवाल केवल तीन साल तक वित्त मंत्री रहे। कुछ नाराजगी के कारण उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। हालांकि उन्हें बाद में मना लिया गया, लेकिन वित्त मंत्रालय फिर उनहें नहीं मिला।
छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा बजट पेश करने का रिकार्ड डॉ. रमन सिंह के नाम पर है। डॉ. रमन ने 2006 में पहला और 2018 में अपना अंतिम बजट पेश किया था। उन्होंने करीब 16 बार बजट पेश किया था। देश में संभवत: वे अकेले वित्त मंत्री होंगे जिन्होंने इतना बजट पेश किया है।
डॉ. रामचंद्र सिंहदेव (Dr. Ramchandra Singhdeo)
कोरिया राजघराने से तालुक रखने वाले स्व.डॉ. रामचंद्र सिंहदेव राज्य के पहले वित्त मंत्री थे। 1967 में पहली बार चुनाव जीतने वाले सिंहदेव अविभाजित मध्यप्रदेश में भी मंत्री रह चुके थे। सिंहदेव को फाइनेंस का बेहतर जानकार माना जाता था। राज्य के शुरुआत तीन बजट उन्होंने ही पेश किए थे। मितव्ययता और स्थापना व्यय पर नकेल कसने को लेकर सिंहदेव विशेष रुप से याद किए जाते हैं।
भाजपा 2003 में पहली बार प्रदेश की सत्ता आई। बिलासपुर से लगातार दूसरी बार चुनाव जीत कर पहुंचे कामर्स ग्रेजुएट अमर अग्रवाल को वित्त विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। प्रदेश के दूसरे वित्त मंत्री अग्रवाल को भी केवल तीन बार बजट पेश करने का मौका मिला। पहले वित्त मंत्री की तरह अग्रवाल भी हाथ टाइट ही रखते थे। 2006 में इन्होंने वित्त मंत्री की कुर्सी छोड़ दी।
अमर अग्रवाल के मंत्री पद छोड़ने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने खुद वित्त विभाग की कमान संभाल ली। 2007 में उन्होंने अपना पहला बजट पेश किया। इसके बाद से वे लगातार वित्त विभाग की कमान संभाले रहे। डॉ. सिंह ने कुल 12 बजट पेश किए। वित्तीय वर्ष 2018-19 में उन्होंने मुख्य बजट के साथ दो अनुपूरक बजट पेश किया था।
2018 में राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री बने भूपेश बघेल ने वित्त विभाग की कमान अपने पास ही रखी। बतौर वित्त मंत्री उन्होंने पहली बार सदन 2018-19 के लिए अनुपूरक बजट पेश किया। इसके बाद उन्होंने 2019-20 का मुख्य बजट और एक अनुपूरक बजट पेश किया है। 2022-23 का बजट बघेल का अंतम बजट था।
ओपी चौधरी वित्त मंत्री बनने वाले राज्य के चौथे विधायक हैं। आईएएस की नौकरी छोड़कर भाजपा में आए चौधरी ने 2023 के चुनाव में रायगढ़ सीट से जीत दर्ज की है। चौधरी ने राज्य में पेपर लेस डिजिटल बजट की शुरुआत की है।