High Court: रायपुर। सरकारी कर्मचरियों के खिलाफ होने वाले विभागीय जांच (डीई) को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। एक मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि रिटायरमेंट के बाद भी विभागीय जांच जारी रह सकती है। रिटायरमेंट के बाद विभागीय जांच में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ दंड को लेकर भी हाईकोर्ट ने अपने फैसले में निर्देश दिया है।
जानिए.. रिटायरमेंट के बाद सरकारी कर्मचारी को दंड दिया जा सकता है या नहीं
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने इस महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सेवानिवृत्ति से पहले शुरू की गई विभागीय जांच की प्रक्रिया रिटायरमेंट के बाद भी जारी रह सकती है, लेकिन दोषी पाए जाने पर सेवानिवृत्ति कर्मचारी को दंड देने का अधिकार विभागीय अफसरों के पास नहीं हैं। किसी सेवानिवृत्त कर्मचारी को केवल राज्यपाल के निर्देश पर ही दंड दिया जा सकता है।
मध्य प्रदेश वन विभाग से रिटायर हुए रेंजर हरिवल्लभ चतुर्वेदी को सेवानिवृत्ति होने के बाद सेवा के दौरान गड़बड़ी के आरोप में जुर्माना लगाया गया था। चतुर्वेदी ने विभाग के इस आदेश को चुनौती दिया था। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को राहत देते हुए विभाग की तरफ से जारी जुर्माना आदेश को रद्द कर दिया।
दरअसल याचिकाकर्ता सेवानिवृत्ति रेंजर चतुर्वेदी पर सर्विस के दौरान बिना अनुमति के सड़क बनवाने का आरोप था। चतुर्वेदी की वजह से सरकार को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। इस मामले में चतुर्वेदी के खिलाफ सर्विस रुल के हिसाब से अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंसा की गई।
विभागीय जांच चतुर्वेदी के रिटायरमेंट के पहले शुरू हुआ, लेकिन जांच पूरी होने तक वे सेवानिवृत्ति हो गए। इसके बाद विभाग ने जुर्माना लगाया। चूंकि सेवानिवृत्ति होने के बाद दंड देने का अधिकार विभाग के पास नहीं है इसी वजह से चतुर्वेदी ने वकील के माध्यम से विभाग के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दिया था।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में विभागीय आदेश को खारिज करते हुए राज्य सरकार को याचिकाकर्ता चतुर्वेद के रोके गए सभी भुगतान दो महीने के भीतर देने का आदेश दिया था। साथ ही पूरी राशि 6 प्रतिशत ब्याज के साथ चतुर्वेदी को देने का आदेश दिया है।