High Court संविदा कर्मियों के सेवा विस्‍तार और नियमितिकरण पर आया हाईकोर्ट का फैसला: जस्टिस ने कहा…

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High Court रायपुर। हाईकोर्ट ने संविदा कर्मचारियों के नियमितिकरण और सेवा विस्‍तार को लेकर फैसला सुनाया है। बिलासपुर स्थित सिम्‍स यानी छत्तीसगढ़ इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस के संविदा कर्मियों ने इस संबंध में याचिका दाखिल की थी। इन लोगों ने नियमितिकरण की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

संविदा अवधि के साथ कर दी सेवा समाप्‍त

दरअसल, याचिका करने वाले एनेस्थीसिया टेक्नीशियन, स्वीपर, वार्ड बॉय और कुक और ओटी टेक्नीशियन के पद पर संविदा में काम कर चुके हैं। सिम्स प्रबंधन ने संविदा की अवधि समाप्त होने के बाद सभी की सेवाएं समाप्त कर दी थी। इनकी याचिका की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे के सिंगल बेंच में हुई।

जानिए.. क्‍या कहा कोर्ट ने

सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। जस्टिस दुबे ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गएग निर्णय का हवाला भी दिया है। जस्टिस रजनी दुबे ने अपने फैसले में लिखा है कि संविदा कर्मचारियों को सेवा विस्तार का अधिकार नहीं होता। कोर्ट ने कहा है कि प्रक्रिया के तहत नियुक्ति नहीं हुई तो नियमितकरण का दावा भी नहीं किया जा सकता है।

High Court जून 2015 में किया गया था सेवा समाप्‍त

सिम्स में यदुनंदन पोर्चे, अनिल श्रीवास्तव, जगदीश मुखी, सुनील सिंह सहित 23 लोगों की संविदा नियुक्ति हुई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि संविदा नियुक्ति के बाद वर्ष 1996, 2001, 2002, 2003, 2005 और 2008 से कार्य कर रहे थे। सिम्स के डीन ने संविदा अवधि समाप्त होने की बात कहते हुए 1 जून 2015 को नोटिस जारी किया। इसके बाद 30 जून 2015 से सेवा समाप्ति की जानकारी देते हुए नियुक्ति को समाप्त कर दिया।

नियमितिकरण की सहमति के बाद पलटने का आरोप

नियुक्ति को समाप्त करने के बाद 5 जून 2015 को नए संविदा पदों पर भर्ती के लिए नया विज्ञापन जारी किया गया। याचिका के अनुसार उन्हीं पदों पर संविदा भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था जिस पद पर हम सब काम कर रहे थे। मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद यह तय किया गया था कि पांच साल से अधिक समय से कार्यरत संविदा कर्मियों की सेवाएं नियमितिकरण तक जारी रहेंगी। डीन ने 5 अप्रैल 2011 को इस पर सहमति जताई थी। इसके बावजूद 1 जून 2015 को सेवाएं समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया।

संविदा नियमों का दिया हवाला

नियमों के आधार पर याचिकाकर्ताओं ने कहा कि 2012 के संविदा नियमों में 5 वर्ष की ना तो बाध्यता है और ना ही अधिकतम सीमा तय करने का कोई प्रावधान ही है। याचिका के अनुसार 17 जनवरी 2014 को सामान्य प्रशासन विभाग ने स्पष्ट किया था कि संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को सीधी भर्ती का लाभ मिलेगा। जीएडी के नियमों के बाद भी संविदा भर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया है। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा है कि संविदा कर्मियों को हटाकर नए संविदा कर्मियों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है।

High Court कोर्ट ने प्रबंधन के फैसले को ठहराया सही

मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने सिम्स के निर्णय को सही ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की संविदा पर सीमित अवधि के लिए नियुक्ति की गई थी। पद से हटाने से पहले नियमानुसार उनको नोटिस दिया गया था। लिहाजा कोई राहत नहीं दी जा सकती।

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chatur postJune 2, 2025
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