IAS-IPS रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने आज बस्तर के कलेक्टर और मुंगले की एसपी को हटा दिया है। राजधानी रायपुर के न्यू सर्किट हाउस में दो दिनों तक चले कलेक्टर्स-एसपी कांफ्रेंस के दूसरे ही दिन की गई इस कार्यवाही को मुख्यमंत्री विष्णुदेव की समीक्षा बैठक और दोनों अफसरों के पफार्मेंस से जोड़कर देखा जा रहा है।
जानिए..कौन बना मुंगेली का एसपी
सरकार की तरफ दोपहर में मुंगेली एसपी गिरिजा शंकर जायसवाल के ट्रांसफर का आर्डर जारी किया गया। 2010 बैच के आईपीएस जायसवाल को मुंगेली से हटाकर सीधे पुलिस मुख्यालय में पदस्थ किया गया है। उन्हें बतौर डीआईजी पीएचक्यू में पदस्थ किया गया है। उनके स्थान पर 2013 बैच के आईपीएस भोजराम पटेल को मुंगेली जिले का नया कप्तान बनाया गया है। पटेल अभी सशस्त्र बटालियन के सेनानी हैं और बीजापुर में पदस्थ हैं।
IAS-IPS जानिए..क्यों हटाए गए मुंगेली एसपी जायसवाल
जायसवाल को हटाने का फैसला थोड़ा चौकाने वाली लग सकता है, वजह यह है कि समीक्षा बैठक के दौरान मुंगेली की रिपोर्ट ठीक-ठाक थी, लेकिन जायसवाल को हटाने की वजह पफार्मेंस से ज्यादा 15 अगस्त को हुआ कबूतर कांड को बताया जा रहा है। आपको याद होगा कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुंगेली एसपी जायसवाल के हाथ से कबूतर उड़ा ही नहीं बल्कि मंच से नीचे गिर गया। हल्ला हुआ कि जयसवाल के हाथ में मरा हुआ कबूतर था, हालांकि बाद में बताया गया कि कबूतर बीमार था और ईलाज के बाद ठीक भी हो गया।
इस घटना से एसपी इतने आहत हुए कि उन्होंने कलेक्टर को पत्र लिखकर दोषियों पर कार्यवाही करने के लिए कह गया। बताया जा रहा है कि इसकी वजह से कलेक्टर और एसपी के बीच मनमुटाव चल रहा था।
जानिए..कौन है बस्तर कलेक्टर
राज्य सरकार ने देर शाम एक आदेश जारी कर बस्तर सहित 2 जिलें के कलेक्टर बदल दिए। इस आदेश में कुल 3 आईएएस प्रभावित हुए। इनमें एक बस्तर के मौजूदा कलेक्टर विजय दयाराम के, सुकमा कलेक्टर हरीष एस और भिलाई नगर निगम आयुक्त देवेश ध्रव शामिल हैं। सुकमा कलेक्टर और 2015 बैच के आईएएस हरीष को बस्तर का नया कलेक्टश्र बनाया गया है। वहीं भिलाई निगम आयुक्त 2018 बैच के देवेश ध्रुव को उनके स्थान पर सुकमा का कलेक्टश्र बनाया गया है। बस्तर से हटाए गए 2015 बैच के दयाराम को राजधानी बुला लिया गया है, उन्हें राज्य कौशल विकास अभिकरण का सीईओ बनाया गया है।
IAS-IPS जानिए..क्यों हटाए गए बस्तर कलेक्टर
बस्तर के कलेक्टर दयाराम को हटाने के पीछे दो कारण है। एक प्रशासनिक और दूसरा राजनीतिक। प्रशासनिक कारण यह है कि जिलों में मनरेगा सहित अन्य योजनाओं का हाल बेहाल है। दयाराम गृहमंत्री अमित शाह के मापदंडों पर भी खरे नहीं बैठ रहे हैं। अफसरों के अनुसार गृह मंत्री शाह ने 2026 तक बस्तर से नक्सलवाद को खत्म करने का टास्क दिया है। साथ ही उन्होंने बस्तर में विकास के लिए अच्छे अफसरों को पदस्थ करने के लिए कहा है। ऐसे अफसर जो काम करने के साथ अच्छा रिजल्ट दे सकें। बताया जा रहा है कि दयाराम इसमें फीट नहीं बैठ रहे थे।
दयाराम को हटाए जाने के पीछे भाजपा की अंदरुनी राजनीति को भी एक कारण बताया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार दयाराम की काफी पहले छुट्टी कर दी गई रहती, लेकिन प्रदेश संगठन के एक बड़े नेता जो बस्तर से ही आते हैं उनकी निकटता के कारण वे बचते रहे, हालांकि उन्हीं नेता जी के कारण दयाराम सरकार के निशाने पर भी रहे हैं।
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