Chhattisgarh ऐसे शासकीय सेवकों खिलाफ सीधे ब्रेक इन सर्विस की कार्रवाई, देखिए- जीएडी का आर्डर
Chhattisgarh रायपुर। छत्तीसगढ़ में ट्रांसफर आर्डर जारी होने के साथ ही उसके खिलाफ कोर्ट जाना आम हो बात हो गई है। तबादला आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल करने के बाद ज्यादातर शासकीय सेवक नए स्थान पर ज्वाइनिंग नहीं देते।
इस तरह के बढ़े मामलों पर अब छत्तीसगढ़ सरकार ने बेहद कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने आज इस संबंध में राज्य के सभी विभाग प्रमुखों को तीन पन्नों का एक आर्डर जारी किया है। इसमें तबादला आदेश के पालन को लेकर विस्तार से निर्देश दिए गए हैं।
Chhattisgarh जानिए.. क्या कहा है सामान्य प्रशासन विभाग ने
जीएडी ने कहा कि सरकार प्रशासनिक दृष्टिकोण से समय-समय पर अधिकारियों-कर्मचारियों का दूसरे स्थान पर पदस्थापना या स्थानांतरित करती है। यह बात देखने में आया है कि तबादला के बाद प्रभावित अधिकारी / कर्मचारी अपने नए पदस्थापना स्थान पर उपस्थित होने के बजाय तबादला आदेश के विरूद्ध न्यायालय में याचिका दायर कर देते हैं। ऐसे कई मामलों में न्यायालय संबंधित अधिकारी-कर्मचारी को स्थगन देते हैं।
स्थगन की अवधि में संबंधित अधिकारी-कर्मचारी अपने कर्तव्य से अनुपस्थित रहते हैं। साथ ही उस अवधि के लिए वेतन, भत्ते की मांग करते हैं, जब वे अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहते हैं। तबादला एक सतत प्रक्रिया है। इसके पीछे शासन की यह मंशा रहती है कि सरकार की तरफ से संचालित सभी योजनाएं सुचारू रूप से संचालित हो सके। साथ ही शासकीय अधिकारियों/कर्मचारियों के अभाव में योजनाएं प्रभावित न हो।
Chhattisgarh सेवा शर्तों में शामिल है तबादला
जीएडी ने अपने आदेश में कहा है कि जब कोई व्यक्ति सरकारी सेवा में नियोजित हो जाता है तो तबादला की प्रक्रिया सेवा की शर्तों में अंतर्निहित हो जाती है, जब तक कि सेवा की शर्तों को नियंत्रित करने वाले कुछ प्रावधानों के तहत इसे विशेष रूप से प्रतिबंधित नहीं किया जाता है। सेवा की ऐसी शर्तों और नियमों के तहत, किसी कर्मचारी को अपने वर्तमान पदस्थापना स्थान से भारमुक्त होने के बाद अनुपस्थित रहने या तबादला के फलस्वरूप नवीन पदस्थापना स्थान पर उपस्थित होने से इनकार करने का कोई अधिकार नहीं रह जाता है।
हालांकि अपने तबादला से व्यथित शासकीय सेवक को स्थानांतरित स्थान पर उपस्थित होने और तबादला के विरूद्ध अपनी शिकायतों के निराकरण के लिए नियमों के तहत् उपलब्ध उपायों का लाभ उठाने का पूरा अधिकार है।
शासकीय सेवकों के तबादला में मुख्य रूप से यह उद्देश्य निहित होता है कि नवीन स्थानों पर कुछ महत्वपूर्ण रिक्तियों को भरना है। जिससे राज्य सरकार द्वारा संचालित सभी योजनायें सुचारू रूप से संचालित हो सके। स्थानांतरित शासकीय सेवक स्थानांतरित स्थान पर कार्यभार ग्रहण नहीं करते हैं तो स्थानांतरित पद रिक्त रहेगी और ऐसे में पूरी क्षमता के साथ उत्कृष्ठ सेवा प्रदान करने का लक्ष्य विफल हो जाता है।
Chhattisgarh तबादला को लेकर जानिए.. सामान्य प्रशासन विभाग ने क्या दिया है निर्देश
(1) स्थानांतरित किए गए शासकीय सेवक को तबादला आदेश जारी होने के 10 दिवस के भीतर कार्यमुक्त किया जाए। यदि संबंधित शासकीय सेवक निर्धारित समयावधि में कार्यमुक्त नहीं होता है तो उसे सक्ष्म अधिकारी द्वारा एकक्षीय भारमुक्त करने के आदेश दिए जाए तथा तबादला आदेश क्रियान्वित हुआ माना जाए। यदि शासकीय सेवक द्वारा तबादला आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो उसके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावे।
(2) शासकीय सेवकों द्वारा 07 दिवस के भीतर तबादला आदेश का पालन न किए जाने की स्थिति में संबंधित शासकीय सेवक के विरूद्ध निलम्बन की कार्यवाही की जाए और अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित व्यक्ति के विरूद्ध “ब्रेक-इन-सर्विस” की कार्यवाही की जाए।
(3) स्थानांतरित शासकीय सेवक यदि 07 दिनों से अधिक अवधि के लिए लघुकृत अवकाश लेता है तो उसे मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा जाए। यदि मेडिकल बोर्ड द्वारा अनुशंसा नहीं की जाती है अथवा शासकीय सेवक अन्य अवकाश के लिए आवेदन करता है या अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहता है तो ऐसी अवधि को अनाधिकृत अनुपस्थिति मानकर इसे “डाईज-नॉन” किया जाए।
NTPC और CSPGCL के बीच MoU, सीएम विष्णुदेव ने बताया नए युग की शुरुआत, चेयरमैन डॉ. रोहित बोलें..
(4) स्थानांतरित किए गए शासकीय सेवक का अवकाश नई पदस्थापना वाले कार्यालय से ही स्वीकृत किया जाएगा।
(5) यदि अनुसूचित क्षेत्रों के शासकीय सेवक का गैर-अनुसूचित क्षेत्र में तबादला करने के प्रस्ताव है, तो उसके एवजीदार का भी प्रस्ताव (जो गैर-अनुसूचित क्षेत्र से हो) अनिवार्यतः रखा जाए। शहरी क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रिक्तियों का जो असंतुलन (इमबैलेंस) है, उसे संतुलित (बैलेंस) करने का विशेष ध्यान रखा जाए।
(6) अनुसूचित क्षेत्र से गैर अनुसूचित क्षेत्र में स्थानांतरित किसी भी अधिकारी / कर्मचारी को उसके कार्यालय प्रमुख या नियंत्रण अधिकारी द्वारा तब तक कार्यमुक्त न किया जाए, जब तक कि उसका एवजीदार कार्य पर उपस्थित न हो जाए, तथापि अत्यावश्यक परिस्थितियों में यदि संबंधित कार्यालय में दो तिहाई पद यदि भरे हों तो सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्थानांतरित शासकीय सेवक को कार्यमुक्त करने पर विचार किया जा सकता है।
(7) यदि एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिये निवास स्थान में परिवर्तन के बिना तबादला हुआ है, तो शासकीय सेवक के कार्यमुक्त पश्चात् एक दिन से अधिक पदग्रहणकाल की पात्रता नहीं होगी। स्थान से तात्पर्य नगरपालिका या नगर निगम की सीमा से आने वाले क्षेत्र से है, जिसमें उपनगरीय नगरपालिकायें, अधिसूचित क्षेत्र, केंटोनमेंट और उसी नगर पालिका के आस-पास का क्षेत्र सम्मिलित है।
Chhattisgarh तबादला के फलस्वरूप मुख्यालय परिवर्तन होने पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए संबंधित विभाग / कार्यालय दूरी के आधार पर पदग्रहण काल की सीमा निर्धारित करने के लिए सक्षम है, तथापि यह सीमा किसी भी स्थिति में एक सप्ताह से अधिक नहीं होना चाहिए।