Nigam Chunav: छत्तीसगढ़ में अब 2025 में ही होगा नगरीय निकाय चुनाव, जानिए..क्यों टल गया
1 min readNigam Chunav: रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्थानीय निकाय चुनाव (नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत) निर्धारित समय पर नहीं हो पाएगा। निकाय चुनाव कम से कम एक महीने टलेगा। 2019 में 15 नवंबर स्थानीय चुनाव के कार्यक्रमों की घोषणा 15 नवंबर को कर दी गई थी। मतगदान और मतगणना की प्रक्रिया 25 दिसंबर को पूरी हो गई थी, जबकि निकायों में नई परिषदों का गठन जनवरी 2020 के पहले सप्ताह में हो गया था।
जानिए..क्यों समय पर चुनाव होने पर है संशय
नगर पालिका अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार मौजूदा परिषद का कार्यकाल खत्म होने से पहले नई परिषद का गठन करने का नियम है। पिछली बार जनवरी के पहले सप्ताह में सभी निकायों में परिषद का गठन हो गया था। ऐसे में इस बार भी जनवरी के पहले सप्ताह तक चुनाव की प्रक्रिया संपन्न होनी है, लेकिन इसके आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
इस बार नवंबर आधा बीत गया है, लेकिन अब तक चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा नहीं हुई है। राज्य निर्वाचन आयोग की तैयारियों को देखते हुए अभी इसका लक्षण भी नहीं दिख रहा है।
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इस बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने स्थानीय निकाय चुनाव के लिए मतदाता सूची तैयार करने के कार्यक्रम में संशोधन कर दिया है। अब मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 11 दिसंबर को होगा। मतदाता सूची तैयार होने के बाद ही चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा हो सकता है।
ऐसे में यदि 15 दिसंबर के आसपास भी राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा करता है तो भी जनवरी से पहले मतदान नहीं हो पाएगा, क्योंकि चुनाव की अधिसूचना जारी की तारीख से कम से कम 25 दिन बाद मतदान होता है।
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Nigam Chunav: जानिए.. क्यों बदला गया मतदाता सूची का कार्यक्रम
मतदाता सूची तैयार करने के कार्यक्रम में बदलाव नए नियमों की वजह से किया गया है। राज्य सरकार ने अध्यादेश जारी करके नियमों में बदलाव किया है। इसके तहत अब 1 अक्टूबर को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वालों का नाम भी मतदाता सूची में शामिल किया जाना है। अभी तक 1 जनवरी को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले के नाम ही मतदाता सूची में शामिल किए जाते थे। इस बदलाव के कारण वोटर लिस्ट में नए सिरे से नाम जोड़े जा रहे हैं।
Nigam Chunav: अभी तैयारी भी पूरी नहीं
स्थानीय निकाय चुनाव के लिए मतदाता सूची का काम चल रहा है। निकायों में वार्डों के परिसीमन की भी प्रक्रिया चल रही है। परिसीमन के बाद वार्डों का आरक्षण होना है। वहीं, चुनाव कराने वाले अधिकारियों- कर्मचारियों की ट्रेनिंग भी होनी है। इस तरह देखा जाए तो अभी काफी काम बचा हुआ है। हालांकि यह सब प्रक्रिया मतदाता सूची तैयार होने तक पूरी हो जाएगी।
Nigam Chunav: निगम और पंचायत चुनाव एक साथ
जानकारों के अनुसार स्थानीय निकाय चुनाव टालने के पीछे सरकार का इरादा त्रिस्तरीय पंचायत और स्थानीय चुनाव एक साथ कराने का है। पंचायतों का कार्यकाल फरवरी में पूरा हो रहा है।
चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पहले सरकार करेगी दो और बदलाव
स्थानीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के कार्यक्रमों की घोषणा से पहले राज्य सरकार स्थानीय निकाय चुनावों में दो और बड़े बदलाव करेगी। इसमें एक बदलाव महापौर और अध्यक्षों का चुनाव प्रत्यक्षण प्रणाली से कराने के लिए नियमों में संशोधन किया जाएगा।
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भाजपा सरकार ने इस बार के संकेत दिए हैं कि इस बार महापौर और अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता करेगी। इसके साथ ही एक और बदलाव होगा। वह होगा चुनाव बैलेट के स्थान पर इस बार ईवीएम से कराया जाएगा।
इन दोनों बदलावों के लिए राज्य सरकार को नगर पालिका अधिनियम में संशोधन करना पड़ेगा, क्योंकि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने इन नियमों में बदलाव कर दिया था।
जनवरी में होगी प्रशासकों की नियुक्ति
स्थानीय निकाय चुनाव टलने के साथ ही जनवरी में सभी निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति होना तय है, क्योंकि मौजूदा नगर पालिका अधिनियम में निर्वाचित परिषद का कार्यकाल बढ़ाए जाने का कोई प्रावधान नहीं है और न ही निकाय को खाली रखा जा सकता है। ऐसे में सरकार सभी निकायों में प्रशासक बैठाएगी। निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति के लिए सरकार पहले ही अध्यादेश जारी कर चुकी है। इसके अनुसार निर्वाचित परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद राज्य सरकार छह महीने के लिए प्रशासक की नियुक्ति कर सकती है।