CSPGCL के पावर प्लांट में रहस्यमय चोरी, इस घोटाले की फाइल चोरी होने की चर्चा
1 min readCSPGCL कोरबा। छत्तीगसढ़ की सरकारी बिजली उत्पादन कंपनी (CSPGCL) के कोरबा स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप बिजली घर (DSPM) में कथिततौर पर चोरी हुई है। चोरी कंपनी के सिविल आफिस में हुई है। चोरों ने कार्यालय का तीन ताला तोड़ा है, इतना ही नहीं वहां लगे सीसीटीवी कैमरा को भी क्षतिग्रस्त कर दिया है।
संयंत्र के सिविल आफिस से क्या चोरी हुआ है इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है, लेकिन चर्चा है कि चोरी में राख परिवहन से जुड़ी फाइल और दस्तावेज गायब हुए हैं। सिविल आफिस में चोरी की यह घटना गुरुवार की रात में हुई है। बताया जा रहा है कि गुरुवार को छठ के अवसर पर छुट्टी थी, इसके बावजूद कुछ लोग देर रात तक आफिस में बैठे थे और सुबह ताला टूटा हुआ मिला। अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस मामले की पुलिस में शिकायत की गई है या नहीं।
CSPGCL राखड़ परिवहन में गड़बड़ी का मामला
इस चोरी में जिस कथित राखड़ घोटाला की फाइल चोरी होने की चर्चा है वह राखड़ परिवहन से जुड़ा है। दरअसल, एनजीटी ने 2029 तक देश के सभी पावर प्लांटों को राखड़ डैम खाली करने का निर्देश दिया है। इसके बाद से सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के पावर प्लांट अपने यहां से निकलने वाले फ्लाई एश से निस्तारण की कोशिश में लगे हैं।
अफसरों के अनुसार सीएसपीजीसीएल के कोरबा स्थिति तीन पावर प्लांटों का फ्लाई एश मानिकपुर में साऊथ ईस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के खाली खदानों में भरा जा रहा है। यह प्रक्रिया 2022 से चल रही है। लगातार राख कोरबा से मानिकपुर भेजा जा रहा है। दिसंबर 2023 में पर्यावरण संरक्षण मंडल के तत्काली क्षेत्रीय अधिकारी शैलेंद्र पिस्दा राख परिवहन की रिपोर्ट मांगी।
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कंपनी की तरफ से बताया गया कि अक्टूबर, नंबर और दिसंबर 2023 में तीन महीने में कुल 3 लाख 23 हजार 666 क्यूबिक मीटर रखा मानिकपुर भेजा गया है। वहीं, एसईसीएल के मानिकपुर प्रबंधन ने रिपोर्ट भेजी की उनके यहां केवल 52 हजार 500 क्यूबिक मीटर ही रखा पहुंची है। इस तरह कुल 2 लाख 71 हजार 166 क्यूबिक मीटर रखा गायब हो गई।
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बाद में यह जानकारी आरटीआई के माध्यम से सर्वाजनिक हुई, लेकिन उससे पहले पिस्दा का ट्रांसफर हो गया। मामला आरटीआई में उजागर होने के बाद सवाल उठने लगा कि आखिर इतनी रखा गई कहां। बताया गया कि राख परिवहन करने वाली ट्रांसपोर्ट कंपनियों को 180 रुपये क्यूबिक मीटर के हिसाब से भुगतान किया जाता है। इस हिसाब से गायब हुए राख का परिवहन शुल्क 5 करोड़ रुपये से ज्यादा होता है।
कहां हुई गड़बड़ी इसका जवाब नहीं मिल रहा
इस मामलें में दो तरह की गड़बड़ी होने की आशंका है। पहली कि ट्रांसपोर्ट वाले ने राखड़ डैम से फ्लाई उठाकर मानिकपुर की बजाय कहीं और गिरा दिया। दूसरा राख का परिवहन हुआ ही नहीं और ट्रांसपोटरों को ऐसे ही भुगतान कर दिया गया। इन दोनों ही काम भ्रष्टाचार की श्रेणी में आएगा।