Nagar Nigam: रायपुर। छत्तीगसगढ़ में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने को लेकर संशय बना हुआ है। राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की तैयारियों में लाग हुआ है।
इस बीच प्रशासन के उच्च पदस्थ सूत्रों की तरफ से इस बात की संभावना व्यक्त की जार ही है कि निकाय चुनाव आगे बढ़ सकता है। इसके पीछे कुछ तकनीकी और संवैधानिक कारण बताए जा रहे हैं। इस बीच दिसंबर में लगभग सभी नगर नगरीय निकायों की निर्वाचित परिषद का कार्यकाल पूरा हो रहा है। ऐसे में सरकार सभी निकायों में प्रशासक बैठा सकती है।
राष्ट्रीय स्तर पर एक राष्ट्र एक चुनाव की बात हो रही है। इधर, छत्तीसगढ़ सरकार भाजपा की इस सोच को प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव यानी नगरीय निकाय और पंचायत में लागू करने की योजना बना रही है। हालांकि इसमें कुछ बाधाएं भी हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग नगरीय निकाय (नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत) के चुनाव की तैयारी शुरू कर चुका है। आयोग की तरफ से नगरीय निकाय चुनाव के लिए मतदाता सूची के पुनरिक्षण का कार्यक्रम जारी कर दिया गया है। एक तरह से आयोग ने निकाय चुनाव समय पर कराने का संकेत दे दिया है, लेकिन इसकी रफ्तार बहुत धीमी है। ऐसे में इसके निर्धारित समय पर पूरा होने की संभावना कम ही दिख रही है।
इधर, वार्डों के परिसीमन भी फंसा हुआ है। इसके साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण तय करने सर्वेक्षण चल रहा है। बिना सर्वेक्षण की रिपोर्ट आए, वार्डों का आरक्षण अटक सकता है। इसकी वजह से चुनाव टलने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
Nagar Nigam: जानिए..कब बढ़ाए जाते हैं प्रशासक
सूत्रों के अनुसार भाजपा और प्रदेश सरकार का एक बड़ा वर्ग निकाय चुनाव को तीन महीने टालना चाहता है, ताकि पंचायत और निकाय चुनाव एक साथ हो सके। नियमानुसार नगरीय निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म होने के बाद अगले चुनाव तक वहां प्रशासक के रूप में अफसरों को बैठाया जा सकता है।
इसमें भाजपा के एक धड़े को राजनीतिक फायदा दिख रहा है। प्रशासकों की पदस्थापना के साथ नगरीय निकायों पर राज्य सरकार का सीधा नियंत्रण हो जाएगा। वहां विकास समेत प्रशासनिक कामों को पूरी ताकत से करना आसान होगा। भाजपा चाहती है कि निकाय चुनाव के पहले वह अपनी छवि भी सुधार ले।
जानकारों का कहना है कि रायपुर समेत प्रदेश के ज्यादातर नगरीय निकायों में इस वक्त कांग्रेस के महापौर या अध्यक्ष हैं। शहरी सरकारों के कामकाज में ढिलाई से लेकर अन्य गलतियों की वजह एंटी इंकेंबेसी का बोझ कांग्रेस पर होगा।
छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अफसरों के अनुसार आयोग ने सर्वेक्षण का काम चालू कर दिया है। लक्ष्य यही है कि अगले महीने (अक्टूबर) तक इसकी अंतरिम रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाए। इस रिपोर्ट के आधार पर चाहे, तो सरकार वार्डों के आरक्षण पर आगे बढ़ सकती है। सर्वे की अंतिम रिपोर्ट आने में एक साल लग जाएगा।
Nagar Nigam: अगले छह महीने में निकायों पर फोकस
भाजपा के जिम्मेदार नेताओं का कहना है कि अगले छह महीने नगरीय निकायों पर सरकार का फोकस होगा, ताकि चुनाव के पहले सरकार की छवि तेज रफ्तार से विकास करने वाली सरकार की बने।
अगर चुनाव तीन महीने टालने का फैसला हो जाता है, तो लगभग 15 नगर निगमों में कम से कम तीन महीने प्रशासक को बैठाकर सिस्टम सुधारने का प्रयास होगा।
राज्य के वरिष्ठ प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो वार्ड स्तर पर सफाई, पानी और बिजली और टैक्स आदि के निर्धारण में जनप्रतिनिधियों के लगातार हस्तक्षेप से ये स्वायत्तशासी संस्थाएं आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हो पा रही हैं। प्रशासक बैठाने की कवायद में इस फॉर्मूले को भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
जानिए… कब खत्म हो रहा है निकायों का कार्यकाल
प्रदेश के सबसे बड़े नगर निगम रायपुर में महापौर का कार्यकाल 4 जनवरी 2025 को समाप्त हो जाएगा। इसके लिए दिसंबर में चुनाव संपन्न कराना होगा। महापौर व उनकी परिषद का शपथ ग्रहण समारोह भी संभवतः बजट के बाद ही हो पाएगा। वार्ड परिसीमन को लेकर अलग-अलग निगमों का मामला कोर्ट तक पहुंच चुका है। इसका निराकरण भी तय समय-सीमा के भीतर करने के लिए शासन को अलग-अलग सीटों का कोटा तय करने आरक्षण नियम भी लागू करना होगा।
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