Power Company: महासंघ का शक्ति प्रदर्शन, क्षेत्रीय मुख्यालयों और पावर स्टेशनों के सामने दिखाई ताकत
1 min readPower Company: रायपुर। छत्तीसगढ़ की सरकारी बिजली कंपनी में दीपावली से पहले अनुग्रह राशि की मांग को लेकर कर्मचारी राजनीति गरमाने लगी है। कर्मचरी संगठन दीपावली से पहले सम्मानजनक अनुग्रह राशि की मांग कर रहे हैं। इसके लिए बुधवार से कंपनी में प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया है।
Power Company: बिजली कर्मचरी महासंघ ने बुधवार को प्रदेश में सभी बिजली कंपनी के सभी क्षेत्रीय मुख्यालयों और पॉवर स्टेशनों के सामने गेट मीटिंग किया। इस प्रदर्शन में लगभग सभी स्थानों पर बड़ी संख्या में कर्मचारी शामिल होकर अपनी एकता और ताकत का प्रदर्शन किया।
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि अनुग्रह राशि के साथ ही अपनी अन्य मांगों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। महासंघ की तरफ से अपनी मांगों के संबंध में कंपनी प्रबंधन को ज्ञापन भी सौंपा गया।
Power Company: प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए महासंघ की तरफ से कर्मचारी नेताओं को अलग-अलग स्थान की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। गेट मीटिंग को अरुण देवांगन, डी के यदु, मनोज शर्मा, शंकर नायडू , परमेश्वर कन्नौजे , नीलांबर सिन्हा और कोमल देवांगन देवांगन ने संबोधित किया।
इसी तरह केमल वर्मा, राकेश सैनी, अचिंत बरई, राजेश कहार, केजे प्रकाश और नरेश राव ने भी गेट मीटिंग को संबोधित किया।
गेट मीटिंग में जगदीश गंधर्व, नंद कुमार देवांगन, दुष्यंत साहू, योगेन्द्र साहू, प्रदीप भोंसले, प्रकाश वर्मा, उग्रसेन पटेल, अजय साकार, ज्ञानप्रकाश, युवराज सिन्हा, संतोष वर्मा, रोशन चंद्राकर, दिनु साहू, नवीन सोनी, अभिषेक, टाकेश साहू, राजकुमार साहू, संजय साहू, जय प्रकाश नरोत्तम, मधु सहित सैकड़ों की संख्या में महासंघ के पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुए।
Power Company: अब इससे आगे क्या
महासंघ के अरुण देवांगन ने बताया कि बुधवार का प्रदर्शन कंपनी प्रबंधन को आगाह करने के लिए था। इसके बाद 23 अक्टूबर को पॉवर कंपनी मुख्यालय के सामने प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें प्रदेशभर के बिजली कर्मचारी शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि अनुग्रह राशि सहित बिजली कंपनी के अधिकारियों और कर्मचारियों से जुड़े 18 बिंदुओं का मांग पत्र कंपनी प्रबंधन को सौंपा जा चुका है। उन्होंने कहा कि बुधवार का आंदोलन ड्यूटी खत्म होने के बाद किया गया है, ताकि कंपनी का काम प्रभावित न हो, लेकिन 23 तारीख तक मांग नहीं मानी गई तो फिर उग्र आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।