November 21, 2024

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Power company: बिजली कंपनी में फिर लागू हुआ आईडी एक्ट, सरकार ने जारी अधिसूचना

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Power company: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ की तीनों सरकारी बिजली कंपनियों में औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 (आईडी एक्ट) लागू कर दिया गया है। अभी सरकारी‍ बिजली कंपनियों में छत्तीसगढ़ औद्योगिक संबंध अधिनियम 1960 (आईआर एक्ट) लागू था। इसे करीब 4 साल पहले कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने लागू किया था।

Power company: जानिए…कब से लागू होगा औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947

बिजली उत्‍पादन, पारेषण और वितरण कंपनी में औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 लागू करने के संबंध में सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। यह अधिसूचना 11 सितंबर 2024 को जारी किया गया है, लेकिन 22 मार्च 2024 से लागू किया गया है। इससे 22 मार्च 2024 के बाद हुए सभी विवाद का निराकरण अब औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के तहत होगी।

जानिए.. पुराने विवादों क्‍या होगा

कंपनी की तरफ से जारी लिखित बयान में बताया गया है कि पूर्व में श्रम न्यायालय, औद्योगिक न्यायालय में दायर और लंबित प्रकरणों में कार्यवाही पूर्ववत् औद्योगिक संबंध अधिनियम के अनुसार की जाएगी। स्‍पष्‍ट है कि ये विवाद पुराने कानून के ही दायरे में रहेंगे और उसके प्रावधानों के तहत इसका निराकरण होगा।

बघेल सरकार ने बदला था नियम कंपनी के कर्मचारी नेताओं के अनुसार बिजली कंपनियों के गठन के समय तत्‍कालीन डॉ. रमन सिंह सरकार ने औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 ही लागू किया था, लेकिन 4 साल पहले भूपेश बघेल की सरकार ने छत्तीसगढ़ औद्योगिक संबंध अधिनियम 1960 लागू कर दिया। भूपेश सरकार ने न केवल बिजली कंपनी बल्कि कुल 16 उद्योगों जिसमें सीमेंट और इस्पात शामिल थे वहां लागू किया गया था।

डॉ. रमन सिंह की सरकार ने 1 अक्टूबर 2012 में छत्तीसगढ़ औद्योगिक संबंध अधिनियम 1960 इन्‍हें बाहर कर दिया था। जानकारों के अनुसार बघेल सरकार का मालूम था कि उद्योगों में आज भी भाजपा के महासंघ की तुलना में कांग्रेस के कर्मचारी संगठन इंटक का दबदबा इसे देखते हुए कांग्रेस सरकार ने छत्तीसगढ़ औद्योगिक संबंध अधिनियम 1960 लागू कर दिया था।

Power company: जानिए… औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 और छत्तीसगढ़ औद्योगिक संबंध अधिनियम 1960 में क्‍या है अंतर

औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 केंद्रीय कानून है, जबकि छत्तीसगढ़ औद्योगिक संबंध अधिनियम 1960 राज्‍य का है। राज्‍य के कानून के हिसाब से जिस किसी कर्मचारी या श्रमिक संगठन का संबंधित उद्योग में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या का 25 प्रतिशत या उससे अधिक सदस्‍य हैं तो वह मैनेजमेंट में अपना प्रतिनिधि नियुक्त करा सकते हैं।

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