Power company: रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण 1 नवंबर 2000 को हुआ था। इसके 15 दिन बाद छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल के गठन की अधिसूचना जारी हुई थी। इस लिहाज से आज से राज्य का ऊर्जा सेक्टर रजत जयंती वर्ष शुरू हो रहा है। 24 वर्षों के इस लंबे सफर में राज्य के ऊर्जा सेक्टर ने कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की है। हालांकि बिजली बोर्ड विधिवत 1 दिसंबर 2000 को पूरी तरह अस्तित्व में आया।
15 नवंबर, 1 दिसंबर के साथ एक और तारीख राज्य के ऊर्जा सेक्टर के लिए यादगार है, वह है 19 दिसंबर। 2008 में 19 दिसंबर को ही बिजली बोर्ड का पुनर्गठन कर पांच कंपनी बनाई गई थी। इन 24 वर्षों में बिजली बोर्ड से लेकर पावर कंपनी तक दर्जनभर से ज्यादा चेयरमैन हुए। हर एक के कार्यकाल की कई उपलब्धियां हैं।
बिजली बोर्ड से पावर कंपनी तक के अब तक के अध्यक्षों के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें इन सबके बीच हम आपको छत्तीसगढ़ के बिजली के छत्तीसगढ़ में प्रवेश से लेकर अब तक के सफर की पूरी कहानी बताने जा रहे हैं।
Power company: जानिए.. छत्तीसगढ़ में पहली बार कहां पहुंची थी बिजली
छत्तीसगढ़ को देश का पहला जीरो पावर कट स्टेट होने गौरव प्राप्त है, आज राज्य में कहीं 5 मिनट के लिए बिजली कट जाए तो बिजली कंपनी के शिकायत केंद्रों और मोबाइल एप पर शिकायतों का ढेर लग जाती है, लेकिन इसी राज्य में एक समय घंटो बिजली गुल रहती थी। राज्य में पहली बार कहां बिजली पहुंची थी, छत्तीसगढ़ का पहला पावर स्टेशन कहां बना था और छत्तीसगढ़ में पहले बिजली उत्पादन संयंत्र की स्थापना कब हुई थी। आज इन सभी सवालों का जवाब हम बताएंगे।
अंबिकापुर के रास्ते पहुंची थी छत्तीसगढ़ में बिजली
छत्तीसगढ़ में बिजली का प्रवेश राज्य के उत्तरी हिस्से अंबिकापुर से हुई थी। छत्तीसगढ़ में पावर सेक्टर के विकास पर छत्तीसगढ़ बिजली वितरण कंपनी के प्रकाशन अधिकारी विकास शर्मा ने एक लेख लिखा है। विकास शर्मा के लेख में राज्य के ऊर्जा सेक्टर को लेकर कई रोचक जानकारी है। विकास शर्मा के लेख के अनुसार छत्तीसगढ़ में पहले बिजली उत्पादन संयंत्र की स्थापना सन 1915 में अंबिकापुर में हुई थी।
छत्तीसगढ़ में स्थापित पहले बिजली संयंत्र की क्षमता 30.5 किलोवाट थी। 1953 में इसका विस्तार किया गया और क्षमता 173 किलोवाट तक पहुंच गई। गौर करें यहां मेगावाट नहीं किलो वाट की बात हो रही है। उत्पादन क्षमता बढ़ाए जाने के 5 साल बाद 1958 में राज्य में बिजली उपभोक्ताओं की संख्या 262 थी। अंबिकापुर के बाद बैकुंठपुर में दूसरे संयंत्र की स्थापना हुई, जिसकी क्षमता 15 किलो वाट थी। बाद में इसकी क्षमता का भी विस्तार किया गया।
Power company: जानिए.. प्रदेश के किस शहर में कब पहुंची बिजली
अंबिकापुर में सबसे पहले 1915 में बिजली की रौशनी बिखरी थी। रायपुर और राजनांदगांव में 1928 में बिजली पहुंची, उससे पहले सारगंढ़ में 1924 और 1926 में छुईखदान में बिजली पहुंच चुकी थी। उत्तर में बैकुंठपुर और दक्षिण में जगदलपुर 1928 में बिजली से रौशन हुए। बिलासपुर में 1934 में बिजली पहुंची तो जशपुर में 1941 में। रायगढ़ 1931 और खैरागढ़ 1930 में रौशन हुआ।
जानिए.. छत्तीसगढ़ में कब हुई थी पहले पावर प्लांट की स्थापना
छत्तीसगढ़ का पहला ताप विद्युत संयंत्र (पावर प्लांट) की स्थापना 25 जून 1957 को हुई थी। पहले पावर प्लांट की नींव कोरबा में तत्कालीन मुख्यमंत्री कैलाश नाथ काटजू ने रखी थी। सौ मेगावाट उत्पादन क्षमता के इस पावर प्लांट की स्थापना के साथ कोरबा में ऊर्जा धुरी बनने का सफर शुरू हुआ था। आज कोरबा में हजारों मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है।
Power company: राज्य बना तब छत्तीसगढ़ के ऊर्जा सेक्टर की तस्वीर
वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई तब यहां बिजली व्यवस्था बदहाल थी। विद्युतीकृत गांवों की संख्या बहुत कम थी, जहां थी भी वहां कई- कई दिनों तक बिजली नहीं आती थी। शहरों में घंटो पावर कट रहता था।
राज्य बना तब छत्तीसगढ़ के हिस्से में आए पावर प्लांटों की कुल उत्पादन क्षमता 1360 मेगावाट थी। इसमें 120 मेगावाट हाईडल और बाकी 1240 मेगावाट थर्मल पावर था।
नवंबर 2000 में छत्तीसगढ़ में घरेलू बिजली उपभोक्ताओं की संख्या 18 लाख 90 हजार 998 थी। और औद्योगिक कनेक्शनों की संख्या केवल 530 थी। उस वक्त बिजली की अधिकतम मांग 1334 मेगावाट थी।
अब यह तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। बिजली की मांग 6 हजार मेगावाट के पार जा चुकी है। निम्न दाब उपभोक्ताओं की संख्या 64 लाख के करीब पहुंच चुकी है, जबकि उच्च दाब उपभोक्ताओं की संख्या बढ़कर 3 हजार 956 हो गई है।