आरक्षण संशोधन विधेयक: मार्च तक इंतजार के राज्यपाल के बयान पर घमासान तेज
1 min readरायपुर। Chaturpost.com (चतुरपोस्ट.कॉम)
आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर राज्यपाल अनुसुईया उइके के बयान पर सियासी घमासान तेज हो गया है। राज्यपाल के इस बयान पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित पूरी कांग्रेस पार्टी हमलावर है। कांग्रेस कह रही है कि आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल भाजपा प्रमुख की तरह बोल रही हैं।
वहीं, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सवाल किया है कि क्या मार्च में कोई मुहूर्त निकला है। अब सीएम के इस बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है कि यूपीए सरकार के दौरान राहुल गांधी द्वारा विधेयक की प्रति फाड़ने का उल्लेख करते हुए कांग्रेस पर हमला किया है।
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राज्यपाल ने आरक्षण विधेयक पर क्या कहा है
आरक्षण संशोधन विधेयक राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए लंबित है। कांग्रेस दिन गिन-गिन कर सवाल कर रही है कि विधेयक पर हस्ताक्षर कब होगा। यही सवाल रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया ने राज्यपाल अनुसुईया उइके से की। इस पर राज्यपाल ने मार्च तक इंतजार करने की बात कहते हुए आगे बढ़ गईं।
बघेल ने पूछा- मुहूर्त का इंतजार कर रही हैं राज्यपाल
राज्यपाल उइके के मार्च तक इंतजार करने के बयान पर मुख्यमंत्री बघेल ने राज्यपाल पर संवैधानिक अधिकारोंका दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। मुख्यमंत्री ने प्रश्न किया कि क्या राज्यपाल हस्ताक्षर करने के लिए मुहूर्त का इंतजार कर रही हैं। बघेल ने पूछा कि मार्च में कौन सा मुहूर्त है जब वे हस्ताक्षर करेंगी। बघेल ने आरोप लगाया कि भाजपा के इशारे पर राज्यपाल ने विधेयक को रोक रखा है।
राज्यपाल के बचाव में सामने आए डॉ. रमन
मुख्यमंत्री बघेल और कांग्रेस पार्टी की तरफ से राज्यपाल पर हो रहे हमलों का जवाब पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन ने दिया है। पूर्व सीएम ने कहा कि दशकों की सत्ता के बाद कांग्रेस ने संवैधानिक पदों को अपनी विरासत समझ लिया है। एक समय था जब @RahulGandhi ने देश के सामने अपनी सरकार का अध्यादेश फाड़कर प्रधानमंत्री पद का अपमान किया था। एक आज का छत्तीगढ़ है जहां दाऊ @bhupeshbaghel आदिवासी महिला राज्यपाल पर आए दिन आक्षेप मढ़ रहे हैं।
दिसंबर में पारित हुआ है आरक्षण संशोधन विधेयक
बता दें कि प्रदेश विधानसभा ने करीब महीनेभर पहले दिसंबर में आरक्षण संशोधन विधेयक पारित किया है। इसमें अनुसूचित जनजाति 32, अनुसूचित जाति को 13 और अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत के साथ ही आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग को चार प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव है। विधानसभा से पारित यह विधेयक फिलहाल राज्यपाल के विचाराधीन है।