
RTO रायपुर। अरपा-भैंसाझार नहर के लिए जमीन अधिग्रहण में हुए भ्रष्टाचार के मामले में सरकार ने जिम्मेदार तत्काली कोटा एसडीएम आनंदरुप तिवारी को निलंबित कर दिया है। तिवारी फिलहाल क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) बिलासपुर के पद पर पदस्थ हैं। राज्य सेवा के 2016 बैच के अधिकारी तिवारी को निलंबित करने के साथ ही बिलासपुर संभाग आयुक्त कार्यालय में अटैच किया गया है।
48 गुना ज्यादा मुआवजा देने का है आरोप
अफसरों के अनुसार लगभग 1131 करोड़ रुपए की इस परियोजना में 48 गुना अधिक मुआवजा बांटने का आरोप है। यह मुआवजा किसानों के बदले उन व्यापारियों को बंटा गया, जिनकी जमीन योजना में आ ही नहीं रहती थी। यह पूरा खेल पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान कोरोना में हुआ। जिला प्रशासन की चांज में दो एसडीएम, दो पटवारी और इंजीनियरों के साथ 11 लोगों को दोषी पाया गया।
RTO कागजों में बदल दिया गया एलाइमेंट
जांच रिपोर्ट के अनुसार पटवारी मुकेश साहू के जरिये पूरा खेल किया गया। पटवारी ने कागजों में नहर के एलाइमेंट को ही बदल दिया। और 200 मीटर आगे खिसका दिया। पवन अग्रवाल की बंजर जमीन से नहर निकलना बताते हुए तीन करोड़ 42 लाख रुपए का खेल कर दिया है। पवन अग्रवाल की जिस जमीन पर नहर निर्माण होना बताया जा रहा है वह वह बंजर है। जमीन की कीमत बढ़ाने के लिए पटवारी ने दोफसली बता दिया। झोपड़ी को कागज में मकान बना दिया। वहीं, मनोज अग्रवाल के स्वामित्व वाली 29 डिसमिल जमीन का पहले अधिग्रहण किया जा चुका था।
किसानों को आज तक नहीं मिला मुआवजा
जांच में यह भी बता चला किजिन किसानों की जमीन पर नहर बनी उन किसानों को आजतक मुआवजा नहीं मिल पाया है। ये किसान आज भी मुआवजा के लिए भटक रहे हैं।
RTO लागत पर पड़ा भ्रष्टाचार का भार
इस प्रोजेक्ट की शुरुआत लागत 606 करोड़ आंकी गई थी, लेकिन प्रोजेक्ट में देरी समेत अन्य कारणों से लागत बढ़ती गई। वर्तमान में यह बढ़कर 1141.90 करोड़ हो गई है। परियोजना के तहत 370.55 किलोमीटर नहर निर्माण होना है। वर्तमान में229.46 किलोमीटर नहर बन पाया है।
जिला प्रशासन की जांच में ये लोग पाए गए दोषी
जिला प्रशासन की जांच में तत्कालीन एसडीएम कोटा आनंदरुप तिवारी और कीर्तिमान सिंह राठौर, नायब तहसीलदार मोहरसाय सिदार, आरआई हुल सिंह, पटवारी दिलशाद अहमद, पटवारी मुकेश साहू सकरी के साथ सिंचाई विभाग के तत्कालीन ईई कोटा आरएस नायडू व एके तिवारी, तत्कालीन एसडीओ तखतपुर आरपी द्विवेदी, तत्कालीन एसडीओ कोटा राजेंद्र प्रसाद मिश्रा, और सब इंजीनियर तखतपुर आरके राजपूत को दोषी पाया गया।
