Service Recruitment Rules: आयुक्त कार्यालय, विभागीय जांच सेवा भर्ती नियम
1 min readService Recruitment Rules: रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने आयुक्त कार्यालय, विभागीय जांच सेवा भर्ती नियम, 2024 जारी किया है। इस संबंध में जारी अधिसूचना के अनुसार इसका संक्षिप्त नाम तथा प्रारंभ. (1) ये नियम छत्तीसगढ़ आयुक्त कार्यालय, विभागीय जांच सेवा भर्ती नियम, 2024 कहलायेंगे।
(2) ये राजपत्र में इनके प्रकाशन की तारीख से प्रवृत्त होंगे।
2. परिभाषाएं. इन नियमों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, –
(क) सेवा के संबंध में “नियुक्ति प्राधिकारी” से अभिप्रेत है अनुसूची-एक में यथा विनिर्दिष्ट प्राधिकारी:
(ख) “परीक्षा” से अभिप्रेत है इन नियमों के नियम 11 के अधीन सेवा में भर्ती हेतु आयोजित प्रतियोगी परीक्षा;
(ग) “शासन” से अभिप्रेत है छत्तीसगढ़ शासन;
(घ) “राज्यपाल” से अभिप्रेत है छत्तीसगढ़ के राज्यपाल;
(ड.) “अन्य पिछड़े वर्ग” से अभिप्रेत है राज्य शासन द्वारा समय-समय पर यथा संशोधित अधिसूचना क्र. एफ-8-5-पच्चीस-4-84, दिनांक 26 दिसम्बर, 1984 द्वारा यथा विनिर्दिष्ट नागरिकों के अन्य पिछड़े वर्गः
(च) “अनुसूची” से अभिप्रेत है इन नियमों से संलग्न अनुसूची;
(छ) “अनुसूचित जाति” से अभिप्रेत है भारत के संविधान के अनुच्छेद 341 के अधीन इस राज्य के संबंध में यथा विनिर्दिष्ट अनुसूचित जातिः
(ज) “अनुसूचित जनजाति” से अभिप्रेत है भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 के अधीन इस राज्य के संबंध में यथा विनिर्दिष्ट अनुसूचित जनजातिः
(झ) “चयन समिति” से अभिप्रेत है नियम 11 एवं 13 के अधीन गठित क्रमशः चयन समिति/विभागीय पदोन्नति समितिः
(ञ) “सेवा” से अभिप्रेत है छत्तीसगढ़ आयुक्त कार्यालय, विभागीय जांच सेवा;
(ट) “राज्य” से अभिप्रेत है छत्तीसगढ़ राज्य।
(3) विस्तार तथा लागू होना. छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्तें) नियम, 1961 में अन्तर्विष्ट उपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ये नियम सेवा के प्रत्येक सदस्य पर लागू होंगे।
(4) सेवा का गठन.- सेवा में निम्नलिखित व्यक्ति सम्मिलित होंगे, अर्थात्ः –
(1) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के प्रारम्भ होने के समय, अनुसूची-एक में विनिर्दिष्ट पदों को मूल रूप से या स्थानापन्न हैसियत से धारण कर रहे हों;
(2) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के प्रारंभ होने के पूर्व सेवा में भर्ती किये गये हों; और
(3) वे व्यक्ति, जो इन नियमों के उपबन्धों के अनुसार सेवा में भर्ती किये गये हों।
(5) वर्गीकरण, वेतनमान इत्यादि. सेवा का वर्गीकरण, सेवा में सम्मिलित पदों की संख्या तथा उससे संलग्न वेतनमान, अनुसूची-एक में अन्तर्विष्ट प्रावधानों के अनुसार होंगेः परन्तु शासन, सेवा में सम्मिलित पदों की संख्या एवं वेतनमान में, समय-समय पर, या तो स्थायी या अस्थायी आधार पर, वृद्धि या कमी कर सकेगा।
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भर्ती का तरीका. – (1) इन नियमों के प्रारंभ होने के पश्चात्, सेवा में भर्ती निम्नलिखित तरीकों से की जायेगी, अर्थात्ः –
(क) प्रतियोगी परीक्षा अथवा मेरिट के आधार पर चयन के माध्यम से सीधी भर्ती द्वारा; (ख) सेवा के सदस्यों की पदोन्नति द्वारा; तथा
(ग) ऐसे व्यक्तियों के स्थानांतरण / प्रतिनियुक्ति द्वारा, जो ऐसी सेवाओं में ऐसे पदों को मूल हैसियत में धारण करते हों, जैसा कि इस निमित्त विनिर्दिष्ट किया जाये।
(2) उप-नियम (1) के खण्ड (क), (ख) या (ग) के अधीन भर्ती किये गये व्यक्तियों की संख्या, अनुसूची-एक में यथा विनिर्दिष्ट कर्तव्य पदों की संख्या के, अनुसूची-दो में दर्शाये गये प्रतिशत से किसी भी समय अधिक नहीं होगी।
(3) इन नियमों के उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए, भर्ती की किसी विशिष्ट कालावधि के दौरान भरे जाने के लिए अपेक्षित सेवा में किसी विशिष्ट रिक्ति या रिक्तियों को, भरे जाने के प्रयोजन के लिये अपनाया जाने वाला भर्ती का तरीका या तरीके तथा ऐसे तरीके द्वारा भर्ती किये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या, प्रत्येक अवसर पर शासन द्वारा अवधारित की जाएगी।
(4) उप-नियम (1) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, यदि नियुक्ति प्राधिकारी की राय में, सेवा की अत्यावश्यकताओं को देखते हुए ऐसा करना अपेक्षित हो, तो वह, शासन के सामान्य प्रशासन विभाग की पूर्व सहमति से, सेवा में भर्ती के उन तरीकों को छोड़, जिनको उक्त उप-नियम में विनिर्दिष्ट किया गया है, ऐसे अन्य तरीके अपना सकेगा, जिसे वह इस निमित्त जारी किये गये आदेश द्वारा विहित करे।
(5) मेरिट के आधार पर चयन के माध्यम से सीधी भर्ती द्वारा भरे जाने वाले पदों के लिए मानदण्ड, शासन द्वारा विहित किये जायेंगे। तथापि, नियुक्ति प्राधिकारी के लिये यह आवश्यक होगा कि वह इस प्रयोजन के लिये एक चयन समिति गठित करे, जो इन मापदण्डों से भिन्न कोई अन्य युक्तिसंगत मापदण्ड शासन की सहमति से अपना सकेगी। (6) सेवा में भर्ती के समय, छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण) अधिनियम, 1994 (क्र. 21 सन् 1994) के प्रावधान तथा शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी निर्देश (यथा संशोधित) लागू होंगे।
7. सेवा में नियुक्ति.
इन नियमों के प्रारंभ होने के पश्चात्, सेवा में समस्त नियुक्तियां, नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा की जायेंगी और ऐसी कोई भी नियुक्ति, नियम 6 में विनिर्दिष्ट भर्ती के किसी एक तरीके द्वारा चयन करने के पश्चात् ही की जाएगी, अन्यथा नहीं।
8. सीधी भर्ती के लिये पात्रता की शर्तें. सीधी भर्ती / चयन हेतु पात्र होने के लिये, अभ्यर्थी को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होंगी, अर्थात्ः-
(एक) आयु
(क) वर्ष, जिसमें पद हेतु विज्ञापन प्रकाशित होता है, की जनवरी के प्रथम दिन को अभ्यर्थी ने अनुसूची-तीन के कॉलम (3) में यथा विनिर्दिष्ट आयु पूरी कर ली हो तथा उक्त अनुसूची के कॉलम (4) में यथा विनिर्दिष्ट आयु पूरी न की हो;
(ख) यदि अभ्यर्थी अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों या अन्य पिछड़े वर्गों (गैर-क्रीमी लेयर) का हो, तो उच्चतर आयु सीमा, अधिकतम 5 वर्ष तक शिथिलनीय होगी;
(ग) छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (महिलाओं की नियुक्ति के लिये विशेष उपबंध) नियम, 1997 के उपबंधों के अनुसार, महिला अभ्यर्थियों के लिए भी उच्चतर आयु सीमा, अधिकतम 10 वर्ष तक शिथिलनीय होगी;
(घ) उन अभ्यर्थियों के संबंध में भी, जो छत्तीसगढ़ शासन के कर्मचारी हों अथवा रह चुके हों, नीचे विनिर्दिष्ट की गई सीमा तथा शर्तों के अध्यधीन रहते हुए उच्चतर आयु सीमा शिथिलनीय होगीः-
(एक) ऐसा अभ्यर्थी, जो स्थायी या अस्थायी शासकीय सेवक हो, 38 वर्ष से अधिक आयु का नहीं होना चाहियेः
(दो) ऐसा अभ्यर्थी, जो अस्थायी / स्थायी रूप से पद धारण कर रहा हो तथा किसी अन्य पद के लिये आवेदन कर रहा हो, 38 वर्ष से अधिक आयु का नहीं होना चाहिए। यह रियायत, आकस्मिकता निधि से वेतन प्राप्त करने वाले कर्मचारियों, कार्यभारित कर्मचारियों तथा परियोजना कार्यान्वयन समितियों में कार्यरत कर्मचारियों को भी अनुज्ञेय होगी;
(तीन) ऐसा अभ्यर्थी, जो “छंटनी किया गया शासकीय सेवक” हो, उसे अपनी आयु में से उसके द्वारा पूर्व में की गयी संपूर्ण अस्थायी सेवा की अधिकतम 7 वर्ष तक की कालावधि, भले ही वह एक से अधिक बार की गयी सेवाओं का योग हो, कम करने के लिये अनुज्ञात किया जाएगा, परन्तु इसके परिणामस्वरूप जो आयु निकले, वह उच्चतर आयु सीमा से तीन वर्ष से अधिक न हो।
स्पष्टीकरण- शब्द “छंटनी किये गये शासकीय सेवक” से द्योतक है, ऐसा व्यक्ति जो इस राज्य की या किन्हीं भी संघटक इकाइयों की अस्थायी शासकीय सेवा में कम से कम छः माह की कालावधि तक निरंतर रहा हो और जिसे रोजगार कार्यालय में अपना पंजीयन कराने या शासकीय सेवा में नियोजन हेतु अन्यथा आवेदन करने की तारीख से अधिक से अधिक तीन वर्ष पूर्व स्थापना में कमी किये जाने के कारण सेवोन्मुक्त किया गया हो;
(ङ) ऐसा अभ्यर्थी, जो भूतपूर्व सैनिक हो, उसे अपनी आयु में से उसके द्वारा पूर्व में की गई समस्त प्रतिरक्षा सेवा की कालावधि कम करने के लिये अनुज्ञात किया जायेगा, परन्तु इसके परिणामस्वरूप जो आयु निकले, वह उच्चतर आयु सीमा से तीन वर्ष से अधिक न हो।
स्पष्टीकरण- शब्द “भूतपूर्व सैनिक” से द्योतक है, ऐसा व्यक्ति, जो निम्नलिखित प्रवर्गों में से किसी एक प्रवर्ग का हो तथा जो भारत सरकार के अधीन कम से कम 6 माह की कालावधि तक निरंतर नियोजित रहा हो तथा जिसकी किसी रोजगार कार्यालय में अपना पंजीयन कराने अथवा शासकीय सेवा में नियोजन हेतु अन्यथा आवेदन करने की तारीख से अधिक से अधिक तीन वर्ष पूर्व मितव्ययिता इकाई की सिफारिशों के परिणामस्वरूप अथवा स्थापना में सामान्य रूप से कमी किये जाने के कारण छंटनी की गयी हो, अर्थात्ः-
(एक) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिन्हें समय पूर्व सेवानिवृत्ति रियायतों (मस्टरिंग आऊट कन्सेशन) के अधीन निर्मुक्त कर दिया गया हो;
(दो) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिन्हें दुबारा नामांकित किया गया हो और जिन्हें- (क) अल्पकालीन वचनबंध अवधि पूर्ण हो जाने पर;
(ख) नामांकन की शर्तें पूर्ण हो जाने पर, सेवोन्मुक्त कर दिया गया हो; (तीन) मद्रास सिविल यूनिट के भूतपूर्व कार्मिकः
(चार) ऐसे भूतपूर्व सैनिक (सैनिक तथा असैनिक), जिन्हें उनकी संविदा पूरी होने पर सेवोन्मुक्त किया गया हो, (जिनमें अल्पावधि सेवा के नियमित कमीशन प्राप्त अधिकारी भी शामिल हैं);
(पांच) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिन्हें अवकाश रिक्तियों पर छः माह से अधिक समय तक निरंतर कार्य करने के पश्चात् सेवोन्मुक्त किया गया हो;
(छः) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिन्हें अशक्त होने के कारण सेवा से अलग किया गया हो;
(सात) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिन्हें इस आधार पर सेवोन्मुक्त किया गया हो कि वे अब दक्ष सैनिक बनने योग्य नहीं हैं;
(आठ) ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिन्हें गोली लग जाने, घाव आदि हो जाने के कारण चिकित्सीय आधार पर सेवा से अलग कर दिया गया हो।
(च) अस्पृश्यता निवारण नियम, 1984 के अधीन अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत पुरस्कृत दम्पत्तियों के सवर्ण दंपत्ति के संबंध में उच्चतर आयु सीमा 5 वर्ष तक शिथिलनीय होगी।
(छ) शहीद राजीव पांडे सम्मान, गुण्डाधूर सम्मान, महाराजा प्रवीरचंद भंजदेव सम्मान प्राप्त अभ्यर्थियों तथा राष्ट्रीय युवा पुरस्कार प्राप्त युवा अभ्यर्थियों के संबंध में भी, उच्चतर आयु सीमा 5 वर्ष तक शिथिलनीय होगी।
(ज) ऐसे अभ्यर्थियों के संबंध में, जो छत्तीसगढ़ राज्य निगम / मण्डल के कर्मचारी हैं, उच्चतर आयु सीमा, 38 वर्ष की आयु तक शिथिलनीय होगी।
(झ) स्वयंसेवी नगर सैनिकों तथा नगर सेना के नॉन कमीशंड अधिकारियों के मामले में, उनके द्वारा पूर्व में इस प्रकार की गई नगर सेना सेवा की कालावधि के लिये, उच्चतर आयु सीमा में, 8 वर्ष की सीमा के अध्यधीन रहते हुए, छूट दी जायेगी, किन्तु किसी भी दशा में उनकी आयु 38 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
(ञ) अभ्यर्थियों, जिन्हें उनके प्रवर्ग (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/महिला/विधवा/तलाकशुदा इत्यादि) के आधार पर अधिकतम आयु सीमा में छूट का लाभ अभिप्राप्त है, को अधिकतम आयु सीमा में उपलब्ध अतिरिक्त छूट यथावत मिलती रहेगी, किन्तु उपरोक्त उल्लिखित किसी एक या एक से अधिक संवर्गों के अधीन छूट का लाभ प्राप्त करने के उपरांत, अधिकतम आयु किसी भी दशा में 45 वर्ष से अधिक नहीं होगी।
(ट) उपरोक्त के अलावा आयु सीमा के संबंध में, शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी निर्देश भी लागू होंगे।
टीप- (1) ऐसे अभ्यर्थी, जिन्हें उपरोक्त नियम 8 के खण्ड (एक) के उप-खण्ड
(घ) के पैरा (एक) तथा (दो) में उल्लिखित आयु संबंधी रियायतों के अधीन परीक्षा / चयन में प्रवेश दिया गया हो, यदि वे आवेदन प्रस्तुत करने के पश्चात्, या तो परीक्षा / चयन के पूर्व या उसके पश्चात् सेवा से त्यागपत्र दे देते हैं, तो वे नियुक्ति हेतु पात्र नहीं होंगे। तथापि, यदि आवेदन पत्र भेजने के पश्चात् सेवा या पद से उनकी छंटनी कर दी जाती है, तो वे पात्र बने रहेंगे।
(2) किसी भी अन्य मामले में ये आयु सीमाएं शिथिल नहीं की जायेंगी। विभागीय अभ्यर्थियों को परीक्षा / चयन हेतु उपस्थित होने के लिए, नियुक्ति प्राधिकारी की पूर्व अनुमति अभिप्राप्त करनी होगी।
(दो) शैक्षणिक अर्हताएं- अभ्यर्थी के पास सेवा के लिये विहित ऐसी शैक्षणिक अर्हताएं होना चाहिए, जैसा कि अनुसूची-तीन के कॉलम (5) में दर्शित है।
(तीन) शुल्कः- (क) अभ्यर्थी को नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा यथा विहित शुल्क का भुगतान करना होगा।
(ख) चिकित्सा शुल्क- उन अभ्यर्थियों को, जिन्हें चिकित्सा मंडल के समक्ष उपस्थित होने के लिए अपेक्षित किया गया हो, चिकित्सीय परीक्षा के पूर्व चिकित्सा मंडल के अध्यक्ष को शासन द्वारा यथा विहित शुल्क का भुगतान करना होगा।
Service Recruitment Rules: 9. निरर्हता.-
(1) अभ्यर्थी की ओर से अपनी अभ्यर्थिता के लिये किन्हीं भी साधनों से, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, समर्थन अभिप्राप्त करने के किसी भी प्रयास को, नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा परीक्षा / चयन में उपस्थित होने के लिये निरर्हता माना जायेगा।
(2) कोई भी पुरूष अभ्यर्थी, जिसकी एक से अधिक पत्नियां जीवित हों और कोई भी महिला अभ्यर्थी, जिसने ऐसे पुरूष से विवाह किया हो, जिसकी पहले ही एक पत्नी जीवित हो, किसी सेवा या पद में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा / होगीः
परन्तु यदि शासन का यह समाधान हो जाए कि ऐसा करने के विशेष कारण हैं, तो शासन, ऐसे अभ्यर्थियों को इस नियम के प्रवर्तन से छूट दे सकेगा।
(3) कोई भी अभ्यर्थी, किसी सेवा या पद पर तब तक नियुक्त नहीं किया जाएगा, जब तक कि उसे ऐसी स्वास्थ्य परीक्षा में, जैसा कि विहित किया जाये, मानसिक या शारीरिक रूप से स्वस्थ, तथा किसी मानसिक या शारीरिक दोष जो किसी सेवा या पद के कर्तव्य को पूरा करने में बाधा डाल सकता हो से मुक्त, घोषित न कर दिया जायेः
परन्तु आपवादिक मामलों में, अभ्यर्थी को उसकी स्वास्थ्य परीक्षा के पूर्व किसी सेवा या पद पर इस शर्त के अधीन अस्थायी नियुक्ति दी जा सकेगी कि यदि वह चिकित्सीय रूप से अस्वस्थ पाया जाता है, तो उसकी सेवाएं तत्काल समाप्त की जा सकेंगी।
(4) कोई भी अभ्यर्थी, किसी सेवा या पद के लिए उस स्थिति में पात्र नहीं होगा, यदि नियुक्ति प्राधिकारी का, ऐसी सम्यक् जांच, जैसा कि वह आवश्यक समझे, के पश्चात्, यह समाधान हो जाये कि वह (अभ्यर्थी) ऐसी सेवा या पद के लिए उपयुक्त नहीं है।
(5) कोई भी अभ्यर्थी, जिसे महिलाओं के विरुद्ध किसी अपराध के लिये सिद्धदोष ठहराया गया हो, किसी सेवा या पद के लिए पात्र नहीं होगाः
परन्तु यदि किसी अभ्यर्थी के विरुद्ध न्यायालय में ऐसे मामले लंबित हों, तो उसकी नियुक्ति का मामला तब तक लंबित रखा जायेगा, जब तक कि उस आपराधिक मामले का न्यायालय द्वारा अंतिम विनिश्चय न कर दिया जाए।
(6) कोई भी अभ्यर्थी, जिसने विवाह के लिए नियत की गई न्यूनतम आयु से पूर्व विवाह कर लिया हो, किसी सेवा या पद के लिए पात्र नहीं होगा।
10. अभ्यर्थियों की पात्रता के बारे में नियुक्ति प्राधिकारी का विनिश्चय अंतिम होगा.- (1)
परीक्षा / चयन हेतु अभ्यर्थी की पात्रता या अन्यथा के संबंध में, नियुक्ति प्राधिकारी का विनिश्चय अंतिम होगा और किसी भी अभ्यर्थी को, जिसे नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा प्रवेश प्रमाणपत्र जारी नहीं किया गया है, परीक्षा में / चयन हेतु उपस्थित होने की अनुमति नहीं दी जायेगी।
(2) चयन प्रक्रिया के किसी समय पर अथवा शासन को चयन सूची भेजने के बाद भी, यदि नियुक्ति प्राधिकारी के संज्ञान में यह तथ्य आता है कि अभ्यर्थी ने असत्य जानकारी दी है
अथवा उसके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों में कोई विसंगति पायी गई है, तो वह निरर्हित हो जायेगा एवं उसका चयन / नियुक्ति, नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा समाप्त कर दी जायेगी।
Service Recruitment Rules: 11. प्रतियोगी परीक्षा / चयन द्वारा सीधी भर्ती. –
(1) प्रतियोगी परीक्षा द्वारा सीधी भर्तीः-
(एक)नियुक्ति प्राधिकारी एक चयन समिति गठित करेगा, जिसमें तीन सदस्य सम्मिलित होंगे।
(दो) सेवा में भर्ती के लिये प्रतियोगी परीक्षा ऐसे अंतरालों पर आयोजित की जायेगी, जैसा कि नियुक्ति प्राधिकारी, शासन के परामर्श से, समय-समय पर अवधारित करे।
(तीन) परीक्षा, शासन द्वारा समय-समय पर जारी आदेशों के अनुसार नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा आयोजित की जायेगी।
(2) चयन द्वारा सीधी भर्ती-
(एक) सेवा में अभ्यर्थियों का चयन, ऐसे अन्तरालों पर किया जायेगा, जैसा कि नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा अवधारित किया जाये।
(दो) चयन समिति, नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा समुचित समय अन्तरालों पर गठित की जायेगी।
(3) सेवा में भर्ती के समय, छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण) अधिनियम, 1994 (क्र. 21 सन् 1994) के उपबंध तथा शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा उक्त अधिनियम के अधीन समय-समय पर जारी निर्देश लागू होंगे।
(4) इस प्रकार आरक्षित रिक्तियों को भरते समय, ऐसे अभ्यर्थी, जो अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के सदस्य हैं, की नियुक्ति के लिए उसी क्रम में विचार किया जायेगा, जिस क्रम में उनके नाम नियम 12 में निर्दिष्ट सूची में आये हों, चाहे अन्य अभ्यर्थियों की तुलना में उनका सापेक्षिक रैंक कुछ भी क्यों न हो। (5) अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों (गैर-क्रीमी लेयर) से संबंधित उन अभ्यर्थियों, जिन्हें उनकी प्रशासनिक दक्षता को ध्यान रखते हुए नियुक्ति के लिये नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा पात्र घोषित किया गया हो, को उप-नियम (3) के अनुसार, यथास्थिति, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों (गैर-क्रीमी लेयर) के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित रिक्तियों पर नियुक्त किया जा सकेगा।
(6) छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (महिलाओं की नियुक्ति के लिए विशेष उपबंध) नियम, 1997 के उपबंधों के अनुसार, 30% पदों को महिला अभ्यर्थियों के लिये आरक्षित रखा जायेगा।
(7) ऐसे मामलों में, जहां सीधी भर्ती द्वारा भरे जाने वाले पदों के लिये कुछ कालावधि का अनुभव आवश्यक शर्त के रूप में विहित किया गया है और नियुक्ति प्राधिकारी की राय में यह पाया जाता है कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों (गैर-क्रीमी लेयर) से संबंधित अभ्यर्थियों की पर्याप्त संख्या में उपलब्ध होने की संभावना नहीं है, तो नियुक्ति प्राधिकारी, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों (गैर-क्रीमी लेयर) के अभ्यर्थियों के संबंध में अनुभव की शर्त को शिथिल कर सकेगा।
(8) उपरोक्त के अतिरिक्त, निःशक्त व्यक्ति तथा भूतपूर्व सैनिक के लिये पदों को, शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों के अनुसार आरक्षित रखा जायेगा।
12. चयन समिति द्वारा अनुशंसित अभ्यर्थियों की सूची (1) चयन समिति, उन अभ्यर्थियों की योग्यता के क्रम में व्यवस्थित एक सूची, जो ऐसे स्तर से अर्हित हों, जैसा कि चयन समिति द्वारा अवधारित किया जाये तथा अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों (गैर-क्रीमी लेयर) से संबंधित उन अभ्यर्थियों, जो यद्यपि उस स्तर से अर्हित नहीं है, किन्तु प्रशासन में दक्षता बनाये रखने का सम्यक् ध्यान रखते हुए सेवा में नियुक्ति के लिए चयन समिति द्वारा उपयुक्त घोषित किये गये हों, की एक सूची मेरिट क्रम में तैयार करेगी तथा नियुक्ति प्राधिकारी को अग्रेषित करेगी। इस प्रकार तैयार की गई सूची, सर्वसाधारण की जानकारी के लिए भी प्रकाशित की जायेगी।
(2) इन नियमों तथा छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्तें) नियम, 1961 के उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए, उपलब्ध रिक्तियों पर अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिये उसी क्रम में विचार किया जायेगा, जिस क्रम में उनके नाम सूची में आये हों।
(3) सूची में किसी अभ्यर्थी का नाम सम्मिलित किये जाने से ही उसे नियुक्ति के लिये कोई अधिकार तब तक प्राप्त नहीं होता, जब तक कि शासन का ऐसी जांच करने के पश्चात्, जैसा कि वह आवश्यक समझे, यह समाधान न हो जाये कि अभ्यर्थी सेवा में नियुक्ति के लिये सभी प्रकार से उपयुक्त है।
Service Recruitment Rules: पदोन्नति द्वारा नियुक्ति. –
(1) पात्र अभ्यर्थियों की पदोन्नति हेतु प्रारंभिक चयन करने के लिए, एक समिति गठित की जायेगी, जिसमें अनुसूची-चार में उल्लिखित सदस्य सम्मिलित होंगेः परन्तु इस उप-नियम के अधीन, समिति के गठन के लिए, छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम, 1994 (क्र. 21 सन् 1994) की धारा 8 के उपबंध भी लागू होंगे।
(2) समिति की बैठक ऐसे अन्तरालों में होगी, जो साधारणतः एक वर्ष से अधिक की न हो।
(3) समिति का कार्यकाल, उसका गठन किये जाने से एक वर्ष या जब तक उसका पुनगर्ठन न हो जाये, इसमें से जो पहले हो, होगा।
(4) पदोन्नति, छत्तीसगढ़ लोक सेवा (पदोन्नति) नियम, 2003 के प्रावधानों के अनुसार की जायेगी।
(5) आरक्षित रिक्तियों में पदोन्नति करने हेतु प्रक्रिया, उप-नियम (3) तथा शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों के अनुसार होगी।
(6) नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा प्रमाणन- नियुक्ति प्राधिकारी, अपने द्वारा जारी किए जाने वाले पदोन्नति आदेश पर, इस आशय के प्रमाणपत्र का पृष्ठांकन करेगा कि उसने छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण) अधिनियम, 1994 (क्र. 21 सन् 1994) तथा छत्तीसगढ़ लोक सेवा (पदोन्नति) नियम, 2003 के उपबंधों तथा उक्त अधिनियम के उपबंधों के प्रकाश में जारी निर्देशों तथा राज्य शासन द्वारा बनाये गये नियमों का पालन कर लिया है तथा उसने उक्त अधिनियम की धारा 6 की उप-धारा (1) के उपबंधों का पूर्ण संज्ञान लिया है।
14. पदोन्नति के लिये पात्रता की शर्तें.- (1) उप-नियम (2) के उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए समिति, उन समस्त व्यक्तियों के मामलों पर विचार करेगी, जिन्होंने उस वर्ष की जनवरी के प्रथम दिन को, उन पदों में, जिनसे पदोन्नति की जानी है अथवा शासन द्वारा उसके समतुल्य घोषित किन्हीं अन्य पद या पदों पर (चाहे मूल रूप में या स्थानापन्न रूप में), उतने वर्षों की सेवा, जैसा कि अनुसूची-चार के कॉलम (4) में विनिर्दिष्ट है, पूर्ण कर ली हो तथा जो उप-नियम (2) के उपबंधों के अनुसार विचारण क्षेत्र के भीतर आते हों।
स्पष्टीकरण. पदोन्नति के लिए पात्रता हेतु संगणना की रीति- संबंधित वर्ष, जिसमें विभागीय पदोन्नति समिति आहूत की जाती है, की प्रथम जनवरी को अर्हकारी सेवा की कालावधि की गणना, उस कैलेण्डर वर्ष से की जाएगी, जिसमें लोक सेवक फीडर संवर्ग/सेवा के भाग/पद के वेतनमान में आया हो और संवर्ग / सेवा के भाग/पद के वेतनमान में आने की तारीख से नहीं।
(2) पदोन्नति, छत्तीसगढ़ लोक सेवा (पदोन्नति) नियम, 2003 के अनुसार की जायेगी।
(3) पदोन्नति, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी आदेश के अनुसार तथा मॉडल रोस्टर के अनुसार की जायेगी।
Service Recruitment Rules: उपयुक्त अभ्यर्थियों की सूची का तैयार किया जाना.-
(1) समिति, ऐसे व्यक्तियों की एक सूची तैयार करेगी, जो उपर्युक्त नियम 14 में विहित शर्तों को पूरी करते हों तथा जिन्हें समिति द्वारा सेवा में पदोन्नति के लिये उपयुक्त समझा गया हो। यह सूची, सूची के तैयार किये जाने की तारीख से एक वर्ष की कालावधि के दौरान सेवानिवृत्ति तथा पदोन्नति के कारण होने वाली प्रत्याशित रिक्तियों को भरने के लिये पर्याप्त होगी।
(2) ऐसी सूची में नाम सम्मिलित करने हेतु चयन, मेरिट तथा सभी प्रकार से उपयुक्तता (वरिष्ठता-सह-उपयुक्तता) के आधार किया जायेगा।
(3) छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 1961 के अनुसार चयन सूची तैयार किये जाने के समय, सूची में सम्मिलित कर्मचारियों के नाम, अनुसूची-चार के कॉलम (2) में यथा विनिर्दिष्ट सेवा या पद में वरिष्ठता के क्रम में रखे जायेंगे। स्पष्टीकरण ऐसे व्यक्ति, जिनका नाम चयन सूची में सम्मिलित किया गया हो, किन्तु जिसे सूची की विधिमान्यता के दौरान पदोन्नत नहीं किया गया हो, केवल उसके पूर्वोत्तर चयन के तथ्य से ही उन व्यक्तियों के ऊपर, जिन पर पश्चात्वर्ती चयन में विचार किया गया है, वरिष्ठता का कोई दावा नहीं होगा।
Service Recruitment Rules: चयन सूची.
(1) नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा अंतिम रूप से अनुमोदित सूची, अनुसूची-चार के कॉलम (2) में उल्लिखित पदों से, उक्त अनुसूची के कॉलम (3) में यथा उल्लिखित पदों पर, सेवा के सदस्यों की पदोन्नति के लिये अनुमोदित चयन सूची होगी।
(2) चयन सूची, सामान्यतः इसके तैयार किये जाने की तारीख से कैलेण्डर वर्ष के 31 दिसम्बर तक विधिमान्य रहेगीः
परन्तु चयन सूची में सम्मिलित किसी व्यक्ति की ओर से आचरण या कर्तव्य के निर्वहन में गंभीर चूक होने की स्थिति में, शासन के अनुरोध पर