रायपुर। chaturpost.com (चतुरपोस्ट.कॉम)
कॉलेजों के पीपीपी मॉडल को लेकर भाजपा के मुख्य प्रदेश प्रवक्ता और विधायक अजय चंद्राकर के एक बयान से बवाल मच गया है। चंद्राकर के इस चार लाइन के ट्वीट के जवाब में सरकार ने लंबा-चौड़ा बयान जारी कर सफाई दी है।
चंद्राकर ने ट्वीट किया है कि मान. मुख्यमंत्री कांग्रेसी (छ.ग. अवैध वसूली ग्रस्त) पीपीपी मॉडल पर #कॉलेज खोलने का कानून 2006-07 में ही बन गया है… आप शायद गुस्से या तनाव के कारण इसे भूल गए हैं.. श्रेय लेने के लिए नया मुद्दा तलाशिए।
चंद्राकर ने इस बयान के जवाब में सरकार की तरफ से स्पष्टीकरण जारी किया गया है। इसमें बताया गया है कि किस तरह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार किया जा रहा है। इस बयान में दावा किया गया है कि सरकार की इन कोशिशों से राज्रू के अति पिछड़े, दुर्गम और सुदूर क्षेत्रों तक उच्च शिक्षा की रोशनी पहुंच सकेगी।
सरकार की तरफ से जारी बयान के अनुसार कॉलेजों का पीपीपी मॉडल सरकार के इसी नवाचार का हिस्सा है। इस प्रस्तावित मॉडल में यह व्यवस्था शुरू से ही निजी कॉलेजों को दी जाएगी। यह फैसला 17 अक्टूबर को मुख्यमंत्री बघेल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में किया गया।
कॉलेजों के पीपीपी मॉडल को पुरानी योजना होने के भाजपा नेता चंद्राकर के दावे को खारिज करते हुए सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस प्रकार की कोई योजना पहले लागू नहीं की गई है और न ही कोई निजी कॉलेज इस योजना में दी गई व्यवस्था के तहत संचालित हो रहे हैं। बता दें कि मध्यप्रदेश अशासकीय महाविद्यालय और संस्था (स्थापना एवं विनियमन) अधिनियम के तहत प्रदेश में कुल 12 निजी महाविद्यालयों को शत्-प्रतिशत् नियमित अनुदान के तहत संचालित किया जा रहा है। (
राज्य के गठन के पश्चात चार निजी कॉलेजों को छत्तीसगढ़ अशासकीय महाविद्यालय और संस्था (स्थापना एवं विनियमन) अधिनियम, 2006 के तहत कैबिनेट की मंजूरी के बाद 50 प्रतिशत प्रदान किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त इस अधिनियम के तहत तीन वर्ष में एक बार तदर्थ अनुदान अधिकतम पांच लाख रुपये तक भवन विस्तार, फर्नीचर, उपकरण क्रय के लिए दिया जा सकता है। आवेदन के आधार पर अनुदान की स्वीकृति दी जाती है।
अभी तक केवल उन्हीं निजी कॉलेजों को अनुदान दिया जाता है जिनका संचालन कम से कम 10 वर्ष पूरा हो चुका है, लेकिन प्रस्तावित पीपीपी मॉडल में यह व्यवस्था प्रारंभ से ही निजी कॉलेजों को दी जाएगी। इससे अति पिछड़े और सुदूर क्षेत्रों में प्रतिकूल स्थिति से उभरने के लिए और उच्च शिक्षा के सर्वांगीण विकास में पीपीपी मॉडल का क्रियान्वयन करने के लिए इस मॉडल को प्रस्तावित किया गया है। छत्तीसगढ; सरकार का विजन है कि दुर्गम क्षेत्रों में भी छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त हो सके।
कैबिनेट की बैठक में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राज्य के सकल प्रवेश अनुपात को बढ़ाने और राज्य के पिछड़े और अति पिछड़े क्षेत्र के युवाओं को गुणवत्तामूलक शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराने पीपीपी मॉडल के तहत राज्य में उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना करने के प्रस्तावित प्रारूप का अनुमोदन किया गया। इसमें निर्धारित प्रारूप के तहत निजी कॉलेजों को दी जाने वाली रियायतों में पीपीपी मॉडल के तहत खोले जाने वाले कॉलेज को दी जाने वाली निश्चित पूंजी निवेश पर अधिकतम सब्सिडी 2.50 करोड़ रुपये एवं 1.75 करोड; रुपये सब्सिडी क्रमश: अति पिछड़ा क्षेत्र और पिछड़ा क्षेत्र में स्थापित कॉलेज को दिया जाएगा।
इसी तरह कम-से-कम 10 एकड़ भूमि 30 वर्ष की लीज पर 50 प्रतिशत रियायती दर से शासन द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। भूमि का उपयोग अन्य प्रयोजनों के लिए नहीं किया जाएगा। लीज की अवधि की समाप्ति होने पर दोनों पक्षों की सहमति से लीज की अवधि को बढ़ाया जा सकता है। अधोसंरचना निर्माण के लिए ली गई अधिकतम 500 करोड़ रुपये की ऋण पर ब्याज की राशि का 50 प्रतिशत भुगतान शासन द्वारा किया जाएगा।
सभी पाठ्यक्रमों में पढ़ाने वाले विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी जाएगी। महाविद्यालय को सभी शैक्षणिक स्टाफ एवं कर्मचारियों की वेतन व्यवस्था स्वयं के द्वारा करना होगा। राज्य शासन द्वारा इस प्रायोजन के लिए कुल स्थापना पर व्यय का अधिकतम राशि दो करोड़ रुपये पर 20 प्रतिशत और 30 प्रतिशत व्यय भार क्रमश: पिछड़ा क्षेत्र और अति पिछडा क्षेत्र में स्थापित महाविद्यालय को स्थापना अनुदान के रूप में दिया जाएगा।
वहीं NAAC द्वारा A++, A+ या A ग्रेड प्राप्त करने वाले कॉलेजों को एक लाख 51 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि व प्रमाणपत्र राज्य शासन द्वारा दिया जाएगा। पीपीपी मॉडल के तहत खोले जाने वाले उच्च शिक्षण संस्थाओं को NAAC/NIRF गुणवत्ता प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए दिया जाने वाला शुल्क की 50 प्रतिशत या अधिकतम तीन लाख रुपये (जो भी कम हो) राशि का वहन राज्य शासन द्वारा किया जाएगा।