CG News रायपुर। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आज प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक अजय चंद्राकर और डिप्टी सीएम विजय शर्मा के बीच नोंकझोक हो गई। चंद्राकर ने मंत्री पर भ्रष्टाचार को छिपाने और भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का आरोप लगा दिया। इससे सदन का माहौल गरमा गया। हालांकि इस मामले में मंत्री ने अधिकारियों को निंलबित करने और ठेकेदार से वसूली की कार्रवाई करने की घोषणा की है।
मामला दंतेवाड़ा में एक सड़क निर्माण से जुड़ा हुआ है। जिला निर्माण समिति, दंतेवाड़ा अंतर्गत डीएमएफ मद से स्वीकृत प्रधानमंत्री सड़क योजना अंतर्गत कोरकोट्टी सड़क निर्माण कार्य एवं ग्राम हिरोली से हेल्प सेंटर तक पहुंच मार्ग भाग-1 व 2 की टेंडर/रिटेंडर कब-कब हुआ और इसकी लागत राशि कितनी है?
कार्यादेश कब हुआ एवं उसकी एजेंसी व प्रोपाईटर का नाम, पता सहित बताएं? इसमें मिट्टी कार्य अनुबंध के तहत् कितने घनमीटर की दर से किया जाना था और कितने दर से किया किया गया और कितनी लागत आई? क्या सड़क निर्माण अंतर्गत अनियमितता के संबंध में शिकायत प्राप्त हुई है ? यदि हां, तो क्या-क्या अनियमितता पाई गई और उसके जिम्मेदार कौन हैं तथा उन पर क्या कार्यवाही, किनके द्वारा की गई?
सदन के बाहर मीडिया से चर्चा करते हुए चंद्राकर ने कहा कि भिड़ नहीं रहे थे बल्कि बात ऐसी थी कि मुझे तत्काल कार्रवाई चाहिए थी और उन्होंने थोड़ी देर बात कार्रवाई की घोषणा की। बस अंतर इतना ही है, कोई भिड़ने वाली बात नहीं थी। उन्होंने यह भी कहां कि जिनती तरह की कार्रवाई की घोषणा आज डिप्टी सीएम ने की है उतनी तरह की कार्रवाई उस विभाग में छत्तीसगढ़ बनने के बाद से अब तक नहीं हुई है।
मै इसके लिए उप मुख्यमंत्री को धन्यवाद देता हूं। उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस के लोग तथाकथित रुप से मुझे समर्थन दे रहे थे उन्हें यह पता नहीं था कि यह पूरा कराधरा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष का ही था। यह कांग्रेस की सरकार में कांग्रेस द्वारा किया गया करप्शन है।
प्रश्न के लिखित उत्तर में मंत्री ने बताया कि यह कार्य प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत डी.एम.एफ. मद में स्वीकृत नहीं है अपितु यह कार्य जिला निर्माण समिति को विशेष केन्द्रीय सहायता मद में स्वीकृत है। “बी.टी. सड़क निर्माण कार्य मुख्यमार्ग से कोरकोटी तक (भाग- 01 से 13 तक), तथा बी.टी. सड़क निर्माण कार्य मड़कामीरास से हिरोली हेल्थ सेंटर तक 3.50 कि.मी. (भाग 01), एवं बी.टी. सड़क निर्माण कार्य हिरोली हेल्थ सेन्टर से हिरोली कैम्प डोकापारा तक 3.50 कि.मी. (भाग 02)। मंत्री ने बताया कि इस मामले में शिकायत प्राप्त हुई है।
जिसकी प्रथम स्तरीय जाँच कलेक्टर दंतेवाड़ा के द्वारा अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व की अध्यक्षता में 05 सदस्यीय टीम गठित कर कराई गई है, जिसकी भौतिक सत्यापन में अर्थवर्क, जी.एस.बी., डामरीकरण कार्य, डब्ल्यू.बी.एम. एवं सोल्डर कार्य, पुलिया सह रिटेनिंगवाल में अनियमितता का उल्लेख है।
इसके बाद चंद्राकर ने पूछा कि यह जो प्रश्नाधीन सड़क है, उसमें मड़कामीरास से हिरोली, हिरोली कैम्प से डोकापारा तक कुल लागत कितनी थी और ठेका कितना था ? खर्च कितना हुआ ? भुगतान हुआ। कार्य से अधिक भुगतान हुआ, यह बताने का कष्ट करें? मंत्री ने बताया कि एक बी.टी. सड़क निर्माण मड़कामीरास से हिरोली तक साढ़े 3 kilometer की और हिरौली health center से हिरौली camp तक यह भी साढ़े 3 kilometer तक है, यह हुआ है 2 करोड़ 18 लाख का पहला है, 2 करोड़ 18 लाख 71 हज़ार का दूसरा है और यह कार्य पूर्ण हुए हैं और इनका भुगतान भी पहले कार्य में एक करोड़ इक्यासी लाख चौरानवे हज़ार, दूसरे कार्य में एक करोड़ तिहत्तर लाख अट्ठासी हज़ार ऐसा भुगतान भी इनका किया गया है।
फिर चंद्राकर ने पूछा कि भुगतान यानी कार्य कितना हुआ और कितने कार्य का भुगतान हुआ ? और माप book में जितना कार्य दर्ज है, उससे अधिक का भुगतान हुआ है कि कम भुगतान हुआ है ? मंत्री ने बताया कि जो estimation था उससे कम का है परंतु यह मूल लागत के 10 प्रतिशत लगभग अधिक का tender था।
मैंने आपको बताया तो शायद आपने नहीं सुना। 2 करोड़ 18 लाख का, 2 करोड़ 18 लाख 71 हजार पहली जो road है उसकी यह लागत राशि थी, उसमें से 1 करोड़ 81 लाख 94 हज़ार का तो भुगतान हुआ है। चंद्राकर ने कहा कि तो माप book से ज़्यादा भुगतान नहीं हुआ है ? माप book में जितना दर्ज है, विभाग से उससे ज़्यादा भुगतान नहीं हुआ है। मंत्री शर्मा ने कहा कि कुल भुगतान कम हुआ है।
फिर चंद्राकर ने पूछा कि इस सड़क में क्या-क्या शिकायतें प्राप्त हुई ? किसने जांच की ? और उसमें क्या-क्या गलती पाई गई और उस पर क्या कार्यवाही की गई ? मंत्री ने बताया कि इस सड़क का विषय यह है कि यह जिला निर्माण समिति के माध्यम से बनवारई जाने वाली सड़क थी। इसका विभाग से कोई लेन-देन नहीं था परंतु जिला निर्माण समिति अपने हिसाब से जिला स्तर पर विभाग का चयन कर लेती है। उन्होंने एक पी.एम.जी.एस.वॉय. के ई.ई. का चयन इस विषय पर किया। उसके उपरांत इस विषय पर एक शिकायत आई और उस शिकायत के आधार पर जांच कराई गई। जांच में SDM वगैरह और पांच ऐसे अधिकारी को मिलाकर के team बनाई गई।
जांच कराई गई, जांच में दो निर्णय दिए गए। जांच के आधार पर कि जो ठेकेदार है उसके विरुद्ध कार्यवाही की जानी चाहिए और इसमें जो अधिकारी हैं जिन्होंने इस कार्य को आगे बढ़ाया था उनके विरुद्ध कार्यवाही की जानी चाहिए । ऐसा जांच का प्रतिवेदन आया।
इसके बाद फिर चंद्राकर ने कहा कि मैं आपसे एक लाइन जानना चाहता हूं कि क्या-क्या अनियमितता पाई गई, उसमें किसके द्वारा जांच की गई, उस जांच पर क्या कार्रवाई की गई? इस मंत्री ने दोहराया कि जिला स्तर पर पांच लोगों की टीम का निर्धारण किया गया। इंजीनियर थे, एस.डी.एम. थे और उनके माध्यम..।
चंद्राकर ने बीच में ही टोकते हुए कहा कि क्या कार्रवाई की गई ?
इस पर डिप्टी सीएम शर्मा ने कहा कि बताना चाहता हूं कि ये जो जांच रिपोर्ट आई है, उसके बाद से एक विषय ये हुआ है कि 2 करोड़ 1 लाख रूपये वसूली ठेकेदार से करने के लिए 3 जून, 2024 को कहा गया। इस पर चन्द्राकर कहा कि अभी आपने कहा कि भुगतान ज्यादा नहीं हुआ। तो जांच समिति किस बात का पैसा वसूल कर रही है?
शर्मा ने कहा कि आपने कहा एम.बी. के आधार पर भुगतान।
इसमें एम.बी. के आधार पर कम भुगतान हुआ है, परंतु इसमें आदेश हो चुका है। इस फिर चंद्राकर ने कहा कि ये घुमाने वाली बात है। ये आप भ्रष्टाचार को छिपा रहे हैं। आप भ्रष्टाचार को छिपा रहे हैं। ये आप भ्रष्टाचार उजागर क्यों नहीं कर रहे हैं? आप भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रहे हैं। इसके बाद सदन में शोरशराबा होने लगा। कांग्रेस के विधायकों ने नारेबाजी की।
इसके बाद डिप्टी सीएम शर्मा ने कहा कि कोई संरक्षण वाली बात नहीं है। इसमें आदेश हो चुका है। मैं यहीं से घोषणा करता हूं। एग्जिक्यूटिव इंजीनियर को सस्पेंड किया जाएगा। एसडीओ को सस्पेंड किया जाएगा। सब इंजीनियर सस्पेंड हो चुका है। एफआईआर का आदेश हो चुका है। मैं यह बताना चाहता हूं कि संरक्षण वाली कोई बात नहीं है।
अनिल राठौड़ एग्जिक्यूटिव इंजीनियर थे। वे सेवानिवृत्त हो गए हैं। उनके विरुद्ध जांच की जाएगी। दामोदर सिंह सिदार थे। वहां पर वे तत्कालीन कार्यपालन अभियंता थे। उनको निलंबित कर विभागीय जांच कर जो आवश्यक कार्रवाई है, वह की जाएगी। तारकेश्वर दीवान, जो वहां पर एसडीओ थे, उनको निलंबित कर विभागीय जांच की जाएगी।
आरवी पटेल, वहां सहायक अभियंता एसडीओ थे। निलंबित कर विभागीय जांच की जाएगी। एक उप अभियंता थे। दुर्भाग्य से उनका निधन हो गया। उनको छोड़ कर..। रविकांत सारथी थे, जो उप अभियंता थे, वे सब इंजीनियर थे। उनको निलंबित किया जा चुका है। ठेकेदार के विरुद्ध वसूली के जांच आदेश हो गए हैं। एफआईआर का आदेश हो गया है। पी.डब्ल्यू.डी. में ब्लैक लिस्ट किया गया है और ब्लैक लिस्ट कर जिला स्तर पर भी काम को खत्म कर दिया गया है।