CG Ordinance: रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने नगर पालिका अधिनियम में दो बड़ा संशोधन किया है। इसके लिए राज्य सरकार ने अध्यादेश (Ordinance) जारी किया है। छत्तीसगढ़ में नगर पालिकाओं को लेकर 2 अधिनियम लागू है। इसमें एक 1956 का है और दूसरा 1961 का, विष्णुदेव साय सरकार ने इन दोनों अधिनियमों में 2 बदलाव किया है।
छत्तीसगढ़ सरकर की तरफ से जारी इस अध्यादेश में पहला बदलाव वोटरों के नाम जोड़ने को लेकर किया गया है। अध्यादेश के जरिये किए गए संशोधन में कहा गया है कि यदि राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) या उसके द्वारा नियुक्ति किसी प्राधिकारी का, उसको दिए गए आवेदन पर या स्वप्रेरणा से, ऐसी चांज के बाद जैस कि वह ठीक समझे, यह समाधान हो जाता है कि निगम के वार्ड से संबंधित विधानसभा में प्रचलित Electoral Roll निर्वाचनक नामावली (मतदाता सूची) में पंजीकृत किसी निर्वाचक (voter) का नाम त्रुटिपूर्ण रूप से शामिल नहीं हुआ है तो वह निगम के संबंधित वार्ड की निर्वाचक नामावली में सम्मिलित करेगा।
इस संशोधन का असर नए वोटरों पर पड़ेगा। नगर पालिका के वोटर लिस्ट को लेकर प्रचलित मौजूदा नियमों के अनुसार केवल उन्हीं नए वोटरों का नाम मतदाता सूची में शामिल किया जाता है जिनकी आयु जनवरी में 18 वर्ष की हो रही है।
इस नियम के बाद जनवरी के बाद से दिसंबर तक 11 महीनों के दौरान 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले युवाओं का नाम मतदाता सूची में नहीं जुड़ पाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
इस बदलाव का सबसे ज्यादा फायदा युवा वोटरों को होगा। इससे ऐसे युवा जो अक्टूबर में 18 वर्ष की आयु पूरी किए हैं, वे भी नगर पालिका के अगले चुनाव में वोट दे सकेंगे। माना जा रहा है कि इस संशोधन की वजह से वोटरों की संख्या काफी बढ़ जाएगी।
छत्तीसगढ़ सरकार ने यह बदलाव क्यों कि किया है यह जानने से पहले समझिए लीजिए कि देश में कितने तरह की मतदाता सूची है। देश में दो तरह का वोटर लिस्ट चलता है। एक वोटर लिस्ट भारत निर्वाचन आयोग तैयार करता है दूसरा राज्य निर्वाचन आयोग। भारत निर्वाचन आयोग के वोटर लिस्ट से विधानसभा और लोकसभा के चुनाव होते हैं और राज्य निर्वाचन आयोग जो वोटर लिस्ट तैयार करता है उससे निकाय और पंचायत चुनाव होते हैं।/
जैसे की पहले ही बताया गया कि अब तक कैलेंडर वर्ष के पहले महीना (जनवरी) में 18 वर्ष की आयु पूरी करने वालों का नाम ही वोटर लिस्ट में जोड़ा जाता था। यह नियम केंद्रीय चुनाव आयोग भी लागू किए हुए थ, लेकिन अब आयोग ने इसमें बदलाव कर दिया है। अब 1 जनवरी के साथ ही 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले युवाओं को भी केंद्रीय चुनाव आयोग वोट देने का अधिकार दे रहा है।
राज्य में इसी साल मई- जून में लोकसभा के लिए चुनाव हुआ है। चुनाव आयोग के बदले हुए नियमों के अनुसार अप्रैल में 18 वर्ष की आयु पूरा करने वालों ने लोकसभा के चुनाव में मतदान किया है, लेकिन राज्य में चल रहे पुराने नियमों के अनुसार निकाय चुनाव में केवल वही वोट कर सकते थे जिन्होंने 1 जनवरी 2024 को 18 वर्ष की आयु पूरी की है। ऐसे में बड़ी संख्या में युवा वोटर जिन्होंने लोकसभा चुनाव में वोट किया है वे इसी वर्ष होने वाले निकाय चुनाव में मतदान से वंचित रह जाते।
लेकिन राज्य सरकार अध्यादेश लाकर जो बदलाव किया है उससे अब अक्टूबर में 18 वर्ष की आयु पूरी कर रहे युवा भी आगामी निकाय और पंचायत चुनाव में मतदान कर सकेंगे। माना जा रहा है कि इससे निकाय चुनाव में लाखों वोटर बढ़ जाएंगे।
इस संशोधन से न केवल नए वोटर बल्कि ऐसे पुराने वोटर जिनका नाम किसी कारणवश मतदाता सूची में नहीं जुड़ पाया है उनका नाम भी जुड़ सकेगा। संशोधन के जरिय यह अधिकार राज्य निर्वाचन आयोग और उसकी तरफ से मतदाता सूची तैयार करने के लिए नियुक्त अधिकारी को दिया गया है।
जैसा कि पहले ही बताया गया कि सरकार ने अध्यादेश के जरिये अधिनियम में दो बदला किया है। पहला तो वोटरों के नाम जोड़ने को लेकर और दूसरा निर्वाचित परिषद के कार्यकाल से संबंधित है। इस संशोधन में कहा गया है कि नियमानुसार निर्वाचित परिषद का कार्यकाल खत्म होने से पहले नई परिषद का गठन हो जाना चाहिए। लेकिन किसी कारणवश इस समय सीमा में नई परिषद का गठन नहीं हो पाता है तो वहां राज्य सरकार प्रशासक के रुप में किसी व्यक्ति या समिति को छह महीने के लिए बैठा सकती है।
इस अध्यादेश के सर्वाजनिक होने के बाद से लोग इसके मायने तलाश रहे हैं। दरअसल राज्य सरकार इस बार निकाय और पंचायत के चुनाव एक साथ कराने की तैयारी में है। 2019 में निकाय चुनाव नवंबर- दिसंबर में हुए थे। निकायों में नई परिषद का गठन जनवरी के पहले सप्ताह में हो गया था, जबकि पंचायत के चुनाव दिसंबर- जनवरी में हुए थे।
ऐसे में निकायों की मौजूदा परिषद का कार्यकाल जनवरी में समाप्त हो जाएगा। वहीं, पंचायतों को राज्य सरकार एक साथ भंग नहीं कर सकती। ऐसे में दोनों चुनावों को एक साथ कराने के लिए राज्य सरकार के पास केवल एक ही विकल्प है कि वह निकाय के चुनाव को आगे बढ़ा दे। सरकार इसी विकल्प का उपयोग करने के लिए यह संशोधन लेकर आई है।
राज्य सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार निकाय और पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अभी वार्डों का परिसीमन और आरक्षण होना बाकी है। इन दोनों महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को दिसंबर में पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद दिसंबर के अंत या जनवरी के पहले सप्ताह में चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा कर दी जाएगी।
बताते चलें कि राज्य सरकार ने दोनों चुनावों को एक साथ कराने की संभावनाओं पर विचार करने के लिए अफसरों की एक कमेटी बनाई थी। सूत्रों के अनुसार इस कमेटी ने दोनों चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की है। कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार दोनों चुनाव एक साथ कराने से राज्य सरकार का वित्त भार कम होगा और विकास कार्य भी प्रभावित नहीं होंगे।