CSPDCL: रायपुर। सरकारी पावर कंपनी में एक नया बखेड़ा सामने आया है। इंजीनियरों ने कंपनी के प्रभारी मुख्य अभियंता (सीई) पर पैसे लेकर ट्रांसफर करने का आरोप लगाया है। आरोप है कि 3 महीने में ही 40 से ज्यादा इंजीनियरों का ट्रांसफर कर दिया गया गया। इससे नाराज इंजीनिरों ने प्रभारी सीई के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हालांकि प्रभारी सीई ने आरोपों को गलत बताया है।
बिना अनुमोदन के ट्रांसफर करने का आरोप
पावर कंपनी में ट्रांसफर में मनमानी करने आरोप प्रभारी सीई एमडी बड़गैया पर लगा है। बड़गैया अतिरिक्त मुख्य अभियांता हैं, लेकिन चार महीने पहले उन्हें प्रभारी मुख्य अभियंता की जिम्मेदारी दे दी गई है। आरोप है कि बड़गैया नियमों की अनदेखी करते हुए बेहिसाब ट्रांसफर कर रहे हैं। नियमानुसार इंजीनियरों के ट्रांसफर के लिए एमडी का अनुमोदन जरुरी है, लेकिन बिना अनुमोदन के ही बड़गैया ट्रांसफर आदेश जारी कर रहे हैं।
तीन महीने में 40 से ज्यादा इंजीनियरों का ट्रांसफर करने का आरोप
पावर कंपनी में मनमाने ट्रांसफर के खिलाफ अभियंता संघ ने मोर्चा खोल दिया है। संघ के एसके राठौर ने इस मामले में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और पावर कंपनियों के चेयरमैन डॉ. रोहित यादव से लिखित में शिकायत की है। अपनी शिकायत में राठौर ने बताया कि कुछ इंजीनियरों का बार-बार ट्रांसफर किया जा रहा है, जबकि तीन-चार साल से एक ही स्थान पर जमे लोगों को नहीं हटाया जा रहा है।
इंजीनियरों के अनुसार बड़गैया 31 जनवरी 2025 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इसके बावजूद उन्हें पावर कंपनी में महत्वपूर्ण पद पर प्रभारी बनाकर बैठा दिया गया है। इंजीनियरों का आरोप है कि सेवानिवृत्ति करीब है इसी वजह से बड़गैया ज्यादा अति मचा रहे हैं। इंजीनियरों का कहना है कि यदि बड़गैया की ज्यादतियों पर जल्द रोक नहीं लगी तो इसके खिलाफ आंदोलन करने से लेकर कोर्ट तक लड़ाई लड़ी जाएगी।
ट्रांसफर में लेनदेन के लग रहे आरोपों से बड़गैया ने इन्कार किया है। मीडिया से चर्चा में उन्होंने कहा कि सभी ट्रांसफर नियमानुसार किए गए हैं। उन्होंने साफ कहा कि इंजीनियरों के ट्रांसफर कंपनी के एमडी के अनुमोदन के बाद ही किए गए हैं। कोई भी ट्रांसफर आदेश एमडी के बिना अनुमोदन के जारी नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि मेरे ऊपर गलत आरोप लगाए जा रहे हैं।
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