CSPDCL: रायपुर। पावर कंपनी में एक शिकायती लेटर बम ने हड़कंप मचा दिया है। मामला ट्रांसफर में लेनदेन से जुड़ा है और शिकायत सीधे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और चेयरमैन डॉ. रोहित यादव से की गई है।
इस वजह से मुद्दा ज्यादा गंभीर हो गया है। आरोप सीधे उच्च स्तर पर पदस्थ अफसर पर लगा है, इसलिए यह लेटर कंपनी में चर्चा का विषय बना हुआ है। अब इस बात की खोज शुरू हो गई है कि शिकायत किसने की और शिकायती पत्र वायरल कैसे हो गया।
दरअसल पावर कंपनी में बीते तीन- चार महीनों के दौरान बड़े पैमाने पर इंजीनियरों के ट्रांसफर किए गए हैं। तबादला करने के बाद कई लोगों के आदेश में बदलाव भी किया गया है। ऐसे कुछ आर्डर चतुरपोस्ट को भी मिले हैं।
कंपनी सूत्रों के अनुसार इतने बड़े पैमाने पर इंजीनियरों के तबादले पहले नहीं हुए हैं। कंपनी में बड़े पैमाने पर किए गए ट्रांसफर ही आरोप की वजह बने हैं। शिकायत में उस अधिकारी का नाम भी लिखा गया है जो कथिततौर पर पैसे लेकर ट्रांसफर कर रहे हैं।
शिकायती पत्र मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए लिखा गया है। मुख्यमंत्री ही ऊर्जा विभाग के भारसाधक मंत्री भी हैं। प्रतिलिपि में राज्यपाल, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के साथ ऊर्जा सचिव लिखा है। ऊर्जा सचिव डॉ. रोहित यादव ही इस वक्त पावर कंपनियों के चेयरमैन हैं। लेटर में कंपनी की ट्रांसफर पॉलिसी की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया गया है।
इस शिकायती पत्र में इंजीनियरों के ट्रांसफर को लेकर कंपनी के एक अफसर पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। लेटर में जिस अफसर पर आरोप लगाया गया है उनके बारे में यह भी बताया गया कि अलगे साल वो सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसी वजह से वे ट्रांसफर में मनमानी कर रहे हैं। लेटर में ट्रांसफर के लिए 5 से 7 लाख रुपये तक लेने का आरोप लगाया गया है।
जानिए.. कौन है शिकायतकर्ता और क्या है शिकायत की सच्चाई
कंपनी में ट्रांसफर में लेनदेन की यह शिकायत एसके राठौर के नाम से की गई है। राठौर ने खुद को कार्यपालन अभियंता और पावर कंपनी के अभियंता संघ से जुड़ा हुआ बताया है। कंपनी के इंजीनियरों के अनुसार इस नाम का कोई भी ईई पावर कंपनी में नहीं है।
कंपनी के अफसरों का कहना है कि शिकायतकर्ता फर्जी है, लेकिन वास्तव में यह शिकायत सीएम और ऊर्जा सचिव तक गई है तो इसकी जांच होगी। कंपनी के इंजीनियरों और कर्मचरियों का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि इस शिकायत की जांच होनी भी चाहिए।
यह वही शिकायती पत्र है। चूंकि शिकायत और शिकायतकर्ता की प्रमाणित नहीं है और केवल शिकायती पत्र के आधार पर चतुरपोस्ट किसी का चरित्रहरण नहीं करना चाहता है, इसलिए इस पत्र में जिस अफसर पर पैसे लेने का आरोप लगा है उसके नाम और पहचान को उजागर नहीं किया जा रहा है।
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