Power News: रायपुर। पॉवर सेक्टर में उपभोक्ताओं की श्रेणी बनी हुई है। इसी श्रेणी के हिसाब से उपभोक्ताओं का लोड तय करने से लेकर बिलिंग होती है। हर श्रेणी के उपभोक्ताओं की बिजली दर और उसका मापदंड अलग है। ऐसे में किसी उपभोक्ता की श्रेणी गलत तय कर दी जाए तो उसका नुकसान या तो उपभोक्ता को होगा या पावर कंपनी को।
छत्तीगसढ़ की सरकारी बिजली कंपनी में बिजली उपभोक्ताओं की श्रेणी बदलने का बड़ा मामला सामने आया। न केवल आरोप लगा बल्कि इसके प्रमाण भी दिए गए कि श्रेणी बदल कर गलत बिलिंग की गई। इस गड़बड़ी को छिपाने के लिए कंपनी के इंटरनल कप्यूटर साफ्टवेयर SAP में नया कोड जनरेट किया गया। इतना सब होने के बाद भी पूरा मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
जानिए.. क्या है बिजली उपभोक्ताओं के श्रेणी में खेल का यह मामला
पॉवर कंपनी में श्रेणी में खेला का यह मामला कंपनी की ही सतर्कता टीम की जांच में सामने आया था। मामला काफी समय तक दबा रहा, फिर कंपनी के ही एक इंजीनियर ने सूचना के अधिकार में इसके दस्तावेज मांग लिए। आरटीआई में दस्तावेज सामने आते ही पूरा मामला सार्वजनिक हो गया और इस तरह कंपनी में चल रहे इस बड़े खेल का खुलासा हो गया। इस पर पर्दा डालने के लिए कंपनी के अफसरों ने विद्युत नियामक आयोग के जरिये नियमों में बदलाव करा दिया है।
दरअसल, विजिलेंस की रुटिन जांच के दौरान कई ऐसे मामले में पकड़ में आए जिसमें गैर घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं की बिलिंग इंडस्ट्रीय में की जा रही थी। विजिलेंस टीम ने कंपनी के रुल बुक के हिसाब से ऐसे उपभोक्ताओं पर जुर्माना ठोक दिया, जो करोड़ों रुपयें में था। इसके साथ ही जुमार्ना की जानकारी सैफ के साफ्टवेयर पर भी अपलोड कर दी। इससे उन उपभोक्ताओं की बिलिंग में जुर्माना की राशि भी दिखने लगी। यह पूरा मामला 2022 से फरवरी 2023 के बीच का है, लेकिन आरटीआई की वजह से यह मामला इस साल मई- जून में सामने आया।
वसूली की बजाय अफसरों ने नियम ही बदलाव दिया
मामला पकड़ में आने के बाद पावर कंपनी के अफसरों ने मई 2023 में छत्तीगसढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग को एक प्रस्ताव भेजा। इसमें आयोग से फर्नीचर वर्क को औद्योगिक श्रेणी में शामिल करने का आग्रह किया गया। आयोग ने पावर कंपनी का आग्रह स्वीकार करते हुए फर्नीचर वर्क को एलवी-5 श्रेणी में शामिल करने का आदेश पारित कर दिया। आयोग ने यह आदेश 19 जुलाई 2023 को जारी किया। यानी इस तारीख के बाद फर्नीचर वर्क एलवी-5 श्रेणी में आया।
नियम बदलने से पहले हुआ जुर्माना कैसे हो गया माफ
आयोग ने फर्नीचर वर्क को एलवी-5 श्रेणी में डालने का आदेश जुलाई 2023 में दिया, यानी उससे पहले ये उपभोक्ता गैर घरेलू श्रेणी में थे। पावर कंपनी के ही अफसरों का तर्क है कि यदि पहले वे एलवी-5 में नहीं थे, लेकिन बिलिंग उस श्रेणी की की जा रही थी, मतलब गलत बिलिंग हुई है। ऐसे में विजिलेंस की कार्यवाही और जुर्माना दोनों ही सही है। जुलाई 2023 से पहले का जुर्माना ऐसे उपभोक्ताओं से वसूल किया जाना था, लेकिन ऐसे 20 उपभोक्ताओं का जुर्माना माफ कर दिया गया।
पावर कंपनी के अफसरों अनुसार कंपनी के इंटरनल कप्यूटर साफ्टवेयर जिसे सैफ कहते हैं उसमें सतर्कता विभाग की तरफ से दर्ज बिलिंग को माफ करने का प्रावधान नहीं है। साफ्ट वेयर में सतर्कता टीम की तरफ से उपभोक्ता पर जुर्माना की राशि (डेबिट विजिलेंस चेक) सीसीबी कोड 0236 के जरिये जोड़ी जाती है। इस कोड से दर्ज राशि को हटाने का अधिकार साफ्टवेयर में किसी भी स्तर के अफसर को नहीं दिया गया है। ऐसे में इसके लिए ईआईटीसी के माध्यम से एक नया अस्थायी कोड 0010/0740 जनरेट किया गया। इस नए कोड से जुर्माना की राशि खत्म कर दी गई।
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Power News: जानिए.. कैसे- कैसे उपभोक्ताओं की हो रही एलवी-5 में बिलिंग
सतकर्ता टीम की जांच में जो मामले पकड़ में आए थे उनमें फर्नीचर वर्क (सामान्य लकड़ी का काम करने वाले) टायर रिमोल्डिंग और यहां तक की कबाड़ियों की भी बिलिंग एलवी-5 में की जा रही थी। इन सभी का बिल माफ किया गया। कबाड़ का काम करने वाले 9 उपभोक्ताओं पर सतर्कता टीम ने जुर्माना किया था। इसमें से 3 का जुर्माना माफ किया गया, क्योंकि वहां प्लाटिक काटने की मशीन चल रही थी। रिमोडिंग के मामलों में भी कुछ से जुर्माना वसूला गया कुछ को छोड़ दिया गया।
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