November 21, 2024

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Electricity News:  छत्‍तीसगढ़ में उल्‍टा घुम रहा बिजली का मीटर, जानकार कह रहे हैं यही स्थिति रही तो…

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Electricity News:  रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में बिजली की मीटर उल्‍टा घुम रहा है। राज्‍य में बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है। राज्‍य बना तब बिजली की अधिकतम मांग 1334 मेगावाट थी। उस वक्‍त राज्‍य के बिजली संयंत्रों की स्‍थापित क्षमता 1360 मेगावाट थी।

छत्‍तीसगढ़ में अब बिजली की मांग बढ़कर 6372 मेगावाट तक पहुंच गई है, जबकि उत्‍पादन क्षमता 2978.70 मेगावाट रह गई है। यानी बिजली की कुल मांग की तुलना में स्‍थापित क्षमता आधी भी नहीं है। 2020 में राज्‍य के बिजली संयंत्रों की स्‍थापित क्षमता 3224.70 मेगावाट थी, जो अब घटकर 2978 मेगावाट रह गई है।

राज्‍य में एक तरफ बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है दूसरी तरफ बिजली की उत्‍पाद क्षमता घटती जा रही है। इसी वजह से कहा जा रहा है कि छत्‍तीसगढ़ में बिजली की मीटर उल्‍टा घुम रहा है। इसी कारण छत्‍तीसगढ़ अब पावर सरप्‍लस स्‍टेट नहीं रह गया है। प्रदेश में फिलहाल नए प्‍लांट के स्‍थापना की कोई कवायद नहीं दिख रही है।

ऐसे में राज्‍य में बिजली आपूर्ति के लिए दूसरों पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। जानकार कह रहे हैं कि ऐसी स्थिति रही तो आने वाले समय में गंभीर संकट खड़ा हो सकता है।

Electricity News:  दूसरों पर निर्भर है पूरा सिस्‍टम

छत्‍तीसगढ़ में बिजली आपूर्ति का पूरा सिस्‍टम दूसरे पर निर्भर हो गया है। राज्‍य की वितरण कंपनी को प्रदेश की बिजली की मांग पूरी करने के लिए बड़े पैमाने पर बिजली खरीदनी पड़ रही है। इसमें बड़ी राशि खर्च हो रही है। 2022-23 में वितरण कंपनी को प्रदेश की बिजली उत्‍पादन कंपनी CSPGCL से 16483.62 मिलियन यूनिट बिजली मिला।

इसके लिए वितरण कंपनी ने प्रति यूनिट 3 रुपये 48 पैसे का भुगतान किया। Central Generating Stations जिसमें NTPC, NTPC-SAIL (NSPCL), NPCIL समेत अन्‍य केंद्रीय उत्‍पादन संयंत्र शामिल हैं उनसे 15928.93 मिलियन यूनिट बिजली ली। इसके एवज में 4 रुपये 40 पैसा प्रति यूनिट भुगतान किया। इसके साथ ही कंपनी ने राज्‍य के निजी उत्‍पादकों से भी बिजली खरीदी।

बीते 8 वर्षों में एक भी नया संयंत्र नहीं

छत्‍तीसगढ़ राज्‍य निर्माण के बाद प्रदेश में कुल तीन सरकारी पावर प्‍लांट स्‍थापित हुए हैं। इनमें  11 दिसंबर 2007 को 500 मेगावाट का डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत गृह कोरबा पूर्व में शुरू हुआ। 5 सितंबर 2013 को हसदेव ताप विद्युत गृह कोरबा पश्चिम में 500 मेगावाट चालू हुआ। जांजगीर चांपा जिला के मडवा में 31 जुलाई 2016 को 1000 मेगावाट की क्षमता का पावर प्‍लांट चालू हुआ। इसके बाद से न कोई पावर प्‍लांट चालू हुआ और न अभी किसी प्रोजेक्‍ट पर काम चल रहा है।

 Electricity News:  440 मेगावॉट कम हो गई उत्‍पादन क्षमता

इस दौरान राज्‍य की बिजली उत्‍पादन क्षमता 440 मेगावाट कम हो गई। 50X2=100 मेगावाट 2017 में, 50×2=100 मेगावाट 2018 में  और 120×2=240 मेगावाट क्षमता वाला संयंत्र 2020 में बंद कर दिया गया। इन संयंत्रों को पुराना हो जाने के कारण बंद किया गया।

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Electricity News:  कंपनी के इंजीनियरों के संगठन ने मुख्‍यमंत्री को लिखा पत्र

छत्‍तीसगढ़ में बिजली की मांग में वृद्धि और उत्‍पादन में आ रही कमी पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए विद्युत अभियंता कल्‍याण संघ की तरफ से मुख्‍यमंत्री विष्‍णुदेव साय को इस साल जनवरी में एक पत्र लिखा गया था। संघ के तत्‍कालीन अध्‍यक्ष इंजीनियर एनआर छीपा ने यह पत्र लिखा था। इसमें इंजीनियर छीपा ने सीएम को बताया था कि छत्तीसगढ राज्य में वर्तमान में विद्युत की मांग अधिकत्म 6157 मेगावाट है जबकि कंपनी का वर्तमान में उत्पादन 2980 मेगावाट है यानी 6157-2980-3177 मेगावाट शार्ट फाल है जिसकी पूर्ति अन्य श्रोतों केंद्र से आवंटित और निजी उत्पादित कंपनीयों से मंहगी दर से खरीद कर पूर्ति की जा रही है। आने वाले 5-6 वर्ष में बिजली की मांग 8000 मेगावाट से ऊपर पहुंच जाएगी ऐसी स्थिति में विद्युत संकट गहरा सकता है।

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उन्‍होंने लिखा कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के पूर्व छत्तीसगढ़ में बिजली आपूर्ति की स्थिति ठीक नहीं थी कभी भी अघोषित बिजली कटौती की स्थिति बनी रहती थी। जब छत्तीसगढ राज्य बना उस समय 01 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ की कुल उत्पादन क्षमता 1360 मेगावाट थी। उसके बाद तीन नए संयंत्र स्‍थापित किए गए। इससे 2016-17 में छत्तीसगढ विद्युत कंपनी का अधिकत्म उत्पादन 3500 मेगावाट हो गई जिस कारण छत्तीसगढ़ सरप्लस विद्युत एवं जीरो कट विद्युत का राज्य बना।

इसके बाद 440 मेगावाट उत्‍पादन क्षमता वाले विद्युत गृह बंद कर दिए गए है इस कारण वर्तमान उत्पादन क्षमता 2980 मेगावाट रह गया है। हाल ही में 660X2=1350 मेगावाट सुपर थर्मल पावर प्लांट कोरबा पश्चिम में प्रारंभ करने की घोषणा हुई है। उसका निर्माण कार्य यदि अभी प्रारंभ भी होता है तब भी उक्त पावर प्लांट से आपेक्षित विद्युत आपूर्ति 2030-31 तक ही हो पाएगी तब तक विद्युत आपूर्ति बहुत खराब हो जाएगी। ऐसी स्थिति में पुराने पावर प्लांटो का रिनोवेशन एवं सौर ऊर्जा जैसे अन्य स्त्रोतो से विद्युत उत्पादन बढाना ठीक रहेगा।

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