November 21, 2024

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Industrial Policy 2024-30: जानिए.. क्या है छत्तीसगढ़ की औद्योगिक विकास नीति 2024-30 में, किस सेक्टर में है सरकार का फोकस

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Industrial Policy 2024-30: जानिए.. क्या है छत्तीनसगढ़ की औद्योगिक विकास नीति 2024-30 में, किस सेक्टर में है सरकार का फोकस

Industrial Policy 2024-30: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ की विष्‍णुदेव साय सरकार ‘अमृतकाल: छत्तीसगढ़ विजन  2047’ के साथ अपनी नई औद्योगिक नीति लेकर आई है। राज्‍य सरकार का दावा है कि छत्‍तीसगढ़ में औद्योगिक विकास नए आयाम स्थापित होंगे,ऐसी आशा के साथ राज्य के समग्र विकास के दृष्टिकोण से इस नीति के प्रावधान किए गए हैं। औद्योगिक  विकास  नीति  2024-30  1  नवंबर  2024  से लागू हो चुकी है। यह 31 मार्च, 2030 तक प्रभावशील रहेगी।

Industrial Policy 2024-30 : जानिए.. क्‍या है आद्योगिक नीति

(3.1)  राज्य के औद्योगिक विकास को गति प्रदान करने के लिए राज्य में औद्योगिक नीतियों की परिकल्पना  राज्य  गठन  के  बाद  से  लगातार  की  जा  रही  है।  राज्य  में  अब  तक  पांच औद्योगिक नीतियां क्रमशः – 2001-06 (यह औद्योगिक नीति दिनांक 31 अक्टूबर, 2006 की मूलतः  निर्धारित  तिथि  से  पूर्व  दिनांक  31  अक्टूबर,  2004  को  समाप्त  की  गई,  2004-09, 2009-14, 2014-19 तथा 2019-24 लागू की गई है।

(3.2)   उपरोक्त  औद्योगिक  नीतियों  को  लागू  किए जाने  के  साथ  ही  इन  नीतियों  में  तत्कालीन आवश्यकताओं को तथा औद्योगिक विकास के निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के  लिए  नीतियों  मेंयथा आवश्यकता विभिन्न प्रकार के औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन यथा- ब्याज अनुदान, राज्य लागत  पूंजी  अनुदान  (अधोसंरचना  लागत  पूंजी  अनुदान),  स्टाम्प  शुल्क  छूट,  विद्युत  शुल्क छूट,  प्रवेश  कर  छूट,  मूल्य  संवर्धित  कर  प्रतिपूर्ति,  मंडी  शुल्क  छूट,  परियोजना  लागत  पूंजी अनुदान इत्यादि प्रदान की जाती रही है।

(3.3)   नीतियों  में  और  अधिक  प्रभावी  क्रियान्वयन  तथा  विविधता  और  विशेष  क्षेत्र  अथवा  वर्ग  को अधिक  प्रोत्साहन  प्रदान  करने  के  उद्देश्य  से  नीति  में  समय-समय  पर  अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के लिए विशेष पैकेज, स्टार्ट-अप   पैकेज,   लघु   और   कुटीर   उद्यम नीति, लाजिस्टिक पार्क नीति इत्यादि का भी समावेश किया गया था।

(3.4)   इन नीतियों के अंतर्गत  राज्य के युवाओं को वैकल्पिक रोजगार के अवसर  प्रदान करने के लिए विशेष रूप से स्व-रोजगार मूलक योजनाओं का भी प्रावधान किया गया है।

(3.5)   उपरोक्त  पृष्ठभूमि  में  तथा  राज्य  की  भौगोलिक  विशेषताओं,  लागू  नीतियों  तथा  वर्तमान आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए दिनांक 01 नवम्बर, 2024 से आगामी नीति लागू किया जाना अपेक्षित है। इस पृष्ठभूमि में औद्योगिक विकास नीति 2024-30 की परिकल्पना की जा रही है।

Industrial Policy 2024-30:   प्रस्तावना (Introduction)

(4.1)   ‘‘अमृतकाल: छत्तीसगढ़ विजन /  2047’’ – की परिकल्पना को साकार करने के लिए प्रदेश की आंतरिक क्षमताओं और प्राकृतिक संसाधनों का पूर्ण सदुपयोग करते हुए औद्योगिक दृष्टि से नवाचार तकनीकों के साथ तालमेल द्वारा समृद्व राष्ट्रª की परिकल्पना को साकार करने के लिए ‘‘औद्योगिक विकास नीति 2024-30’’ को तैयार किया गया है। इस नीति का उद्धेश्य औद्योगिक  दृष्टि  से  प्रदेश  के  पिछड़े  क्षेत्रों  की  पहचान  कर  उन  जिलों  और  विकासखंडों  में अधिकतम आर्थिक और औद्योगिक विकास के माध्यम से अधोसंरचनात्मक व्यवस्था, प्रोत्साहनऔरसुविधाएं उपलब्ध कराना है, ताकि उन क्षेत्रों में औद्योगिक विकास का माहौल निर्मित हो सके और अधिक से अधिक रोजगार के अवसरों का सृजन हो सके।

(4.2)   राज्य में उपलब्ध कृषि उत्पादों, खनिज और अन्य संसाधन आधारित कोर सेक्टर उद्यमों को सभी  विकासखंडों  में  औद्योगिक  निवेश  के लिए  प्रोत्साहन  देने  के  साथ-साथ  संपूर्ण  प्रदेश  में फार्मा,  टेक्सटाईल,  नए तम  सूचना  प्रौद्यागिकी  आधारित  उद्यम,  इंजीनियरिंग,  रक्षा  उत्पाद, खाद्य और कृषि जिंसों  के उत्पादन पर  आधारित खाद्य प्रसंस्करण उद्यम तथा लघु वनोपज, वनौषधि आधारित उद्यमों, स्थानीय संसाधन के स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण को प्राथमिकता देने के लिए प्रावधानों का समावेश किया गया है, ताकि जन सामान्य, राज्य के युवा, कृषकोंऔर लघु वनोपज के संग्रहण और व्यवसाय से वनांचल में निवासरत् जन सामान्य की आय में वृद्धि  हो  सके।  साथ  ही  राज्य  की  आवश्यकता  को  घ्यान  में  रखकर  सेवा  क्षेत्र  को  भी प्रोत्साहित करने के प्रावधान किएगए है।

(4.3)   समग्र  विकास  सुनिश्चित  करने  के  लिए  सभी  प्रकार  के  निवेश  प्रोत्साहन  के  लिए  स्थानीय रोजगार  को  प्राथमिकता  देने  की  अनिवार्यता  और  समाज  के  कमजोर  वर्गों  के  लिए  विशेष प्रावधान किएगए है, ताकि शासन की योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति को इस नीति के माध्यम से उपलब्ध कराया जा सकेगा। राज्य की भौगोलिक स्थिति राष्ट्र के लगभग आधी  आबादी  से  सीधे  संपर्क  उपलब्ध  कराती  है।  राज्य  के  कुल  भू-भाग  का  लगभग  44 प्रतिशत वन आछादित है। राज्य की सुरम्य, वनप्रांतर नदी-घाटियों, वादियों में लगभग सभी प्रकार  खनिज,  जैव  विविध  वनस्पति  और  आयुर्वेद  के  लिए  आवश्यक  सभी  जड़ी-बूटियां उपलब्ध हैं।

(4.4)   प्रदेश  में  उद्योग  स्थापना  के  लिए  रूचि  रखने  वाले  निवेशकों/उद्यमियों  के  संपर्क  में  आने वाले सभीसरकारी विभागों की प्रक्रियाओं के सरलीकरण के लिए EASE OF DOING BUSINESS(EoDB) की योजना को अत्याधुनिक सूचना संचार क्रांति का उपयोग कर, विभिन्न प्रकार की अनुमति,  सम्मति,  सहमति,  अनुज्ञा  और  पंजीकरण  की  प्रक्रियाओं  को  ऑनलाइन  कर सरलीकरण किया गया है। सभी प्रक्रियाओं को निर्धारित समयावधि में निराकरण की व्यवस्था की गई है।

 Industrial Policy 2024-30 (4.5)   राज्य  के  औद्योगिक  जगत  की  आंतरिक  शक्ति  का  राज्य  के  हित  औचित्यपूर्ण  उपयोग  में करने के लिए परम्परागत रूप से राज्य में विद्यमान/स्थापित उद्यमों  द्वारा अपने उद्यमों के किए  जा  रहे  विस्तार/प्रतिस्थापन/शवलीकरण  (DIVERSIFICATION)  को  अभिस्वीकृत  करनेऔर प्रोत्साहित करने का प्रावधान किया गया है। ऐसे उद्यम जो अंतरिक्ष, रक्षा, रेल, परमाणु विज्ञान  के  विकास  में  आवश्यक  विभिन्न  उत्पादों  का  उत्पादन  कर  रहे  हैं  उन्हें  देश  की आवश्यकता  को  ध्यान  में  रख  कर  ऐसे  उद्यमों  को  हर  संभव  सहायता  उपलब्ध  कराने  के लिए प्रावधान किएगए है। नए  उद्यमों की स्थापना के साथ ही विद्यमान उद्यमों के विस्तार और शवलीकरण, प्रतिस्थापन, करने में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने का निर्णय उद्यमों की प्रतिनिधि संस्थाओं की सलाह से लिया गया है।

(4.6)   लॉजिस्टिक सुविधाओं के विकास के लिए राज्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर भंडारणक्षमता और क्षेत्रफल में वृद्वि करने के प्रयासों के अतिरिक्त, संबंधित उपकरणों तथा मशीनीकृत सुविधाओं  के  विस्तार  के  अलावा,  उन्नत  शीतगृहों,  रिफर-व्हीकल,  यातायात  के  साधन  और प्रदेश  में  संपर्क  की  गति  बढ़ाने  और  आवागमन  को  सुचारू  बनाने  के लिए  भूतल  परिवहन  के माध्यम, सड़कों और रेल संपर्क को बढ़ाने तथा हवाई यात्रा नेटवर्क को विस्तार करने के लिए वर्तमान परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के लिए राज्य सरकार कटिबद्ध है ताकि राज्य के प्रत्येक हिस्से में सुलभ आवागमन सुनिश्चित हो सकें।

(4.7)   सर्वाधिक महत्वपूर्ण है राज्य की नीति निर्माण में आमजन की भागीदारी, अतः इस नीति कीरूपरेखा  के  निर्धारण  के लिए  जन  सामान्य,  औद्योगिक  और  व्यापारिक  संघों,  शैक्षणिक  संस्थानों, निवेश से संबंधित विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारियों, श्रम संघों के प्रतिनिधियों जैसे लगभग सभी हितधारकों (Stake Holders) से विस्तृत विचार-विमर्श किया गया है। इस नीति के  सफलतापूर्वक  क्रियान्वयन  से  जहां  एक  ओर  निवेशकों  का  राज्य  सरकार  पर  विश्वासबढ़ेगा  वहीं  दसू  री  ओर  राज्य  का  सर्वागींण  और  समन्वित  विकास  होगा  और  राष्ट्र  के  समग्रआय में राज्य का यागेदान भी बढ़ेगा और छत्तीसगढ़ राज्य समृद्व हो सकेगा।

Industrial Policy 2024-30 :उद्देश्य (Objective)

(5.1)    ‘‘अमृतकाल: छत्तीसगढ़ विजन /   2047’’ – इस औद्योगिक विकास नीति 2024-30 का उद्धेश्य यह है कि इसके माध्यम से राज्य के सभी विकासखण्डों, जिलों और संभाग के स्तर पर  औद्योगिक विकास  के लिए इस प्रकार  नीति का  क्रियान्वयन  किया जाना है कि सभीक्षेत्रों में  औद्योगिक  गतिविधियों  यथा  उत्पादन  इकाइयों,  सेवा  इकाइयों  और  इनसे  जुड़े हुए अनुषांगिक व्यापार, व्यवसाय का सुनियोजित और दीर्धकालिक विकास हो सके।

(5.2)    राज्य  के  सभी  जन-सामान्य  औरइच्‍छुक  उद्यमियों  को  अनुकूल  व  सहयोगी  प्रशासनिक वातावरण उपलब्ध कराना, जिससे राज्य में औद्योगिक इकाइयों की स्थापना का मार्ग सुगम हो  सके।  राज्य  की  सिंगल  विण्डो  प्रणाली  को  देश  की  सिंगल  विण्डो  प्रणाली  के  साथएकीकृत करते हुए राज्य को एक आकर्षक निवेश केन्द्र के रूप में विकसित किया जाने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए विभागों द्वारा दी जाने वाली अनुमति, सम्मति को ऑनलाइन पोर्टल प्रणाली के माध्यम से उपलब्ध कराये जाने के लिए प्रक्रिया को इस प्रकार से  सुविधाजनक  बनाये  जाने  की  योजना  है,  जिससे  उपरोक्त  सभी  प्रकार  के  अभिलेख सुनिश्चित न्यूनतम समयावधि में उद्यमी को उपलब्ध हो सके।

(5.3)    राज्य में सभी विकासखण्डों को औद्योगिक क्षेत्रों के माध्यम से नेटवर्क के रूप में विकसित किया जाना है। जिन क्षेत्रों में अधिक संभावना होगी, उन क्षेत्रों में औद्योगिक क्षेत्रों/पार्क की स्थापना पहले कराईजाएगी। इस के लिए छत्तीसगढ़ शासन, वाणिज्य और उद्योग विभाग द्वारा भारत सरकार और राज्य शासन की सहायता से और विभाग के उपक्रम सीएसआईडीसी केद्वारा वित्तीय संस्थाओं से यथा आवश्यकता ऋण प्राप्त कर या राज्य शासन से अंशदान की सहायता  लेते  हुये  अथवा  स्वयं  की  वित्तीय  सहायता  से  पिछड़े  क्षेत्रों  का  विकास  कराया जायेगा, जिससे सुगमता के  साथ  औद्योगिक इकाइयों,  सेवा  इकाइयों  और  अन्य औद्योगिक अनुषांगिक  गतिविधियों  के  लिए  विकसित  भूमि,  भूखण्ड,  औद्योगिक  भवन,  शेड  फ्लैटेड फैक्टरी कॉम्प्लेक्स, ‘‘प्लग-एंड-प्ले’’ अधोसंरचना उपलब्ध कराई जा सकें।

Industrial Policy 2024-30 (5.4)   राज्य में  आवश्यकता  के  अनुसार  नए तम  तकनीक  पर  आधारित  उद्यमों विकास  के  लिए विशेष प्रावधान किएजायेंगे, यथा- टेक्सटाईल, फार्मास्यूटिकल्स, फार्मा-मेडिकल डिवाइस, फूड  प्रोसेसिंग-कृषि  उत्पाद  संरक्षण  संरचना,  स्टील  सेक्टर  के  डाउन  स्ट्रीम  उत्पादों  पर आधारित  उद्यमों  का  विकास  और  रक्षा  क्षेत्र,  आईटी  और  इलेक्ट्रानिक्स  हार्डवेयर  निर्माण इकाइयों  जैसे  क्षेत्रों  को  अधिक  औद्योगिक  निवेश  प्रोत्साहन  प्रदान  करते  हुए  राज्य  में उपलब्ध नैसर्गिक संसाधनों के साथ-साथ कृषि और खाद्य उत्पाद, मानव संसाधन, प्राकृतिक संसाधन  का  राज्य  में  ही  मूल्य  संवर्धन  करते  हुए  आर्थिक  उन्नति  का  मार्ग  प्रशस्त  किया जाएगा।

 (5.5)    कोर  सेक्टर  पर  आधारित  अन्य  उत्पादों  यथा  स्टील,  सीमेंट,  थर्मल  पॉवर,  एल्युमिनियम, तथा कृषि और खाद्य उत्पाद, वनोपज उत्पादों को स्थानीय स्तर पर प्रसंस्कृत किएजाने से जुड़े कार्य सम्मिलित है।  इनको श्रृंखलाबद्ध तरीके से विकसित किएजाने का लक्ष्य रखा गया  है।  साथ  ही  राज्य  के  प्रत्येक  अंचल  की  अपनी  स्वाभाविक  विशेषताओं  को  स्थानीय निवासियों  की  उद्यमिता  के  साथ  जोड़कर  नए   उत्पादों  को  विकसित  किए जाने  का उद्देश्य है।

(5.6)    राज्य  में  उपलब्ध  मानव  संसाधन  को  कौशल  विकास  और  अन्य  प्रशिक्षण  के  माध्यम  से रोजगार योग्य तैयार किएजाने पर विशेष प्रावधान किएगए है। इस के लिए राज्य में स्थापित होने  वाली  इकाईयों  में  कार्य  करने  वाले/नियोजित  होने  वाले  कर्मचारियों  को  कौशल विकास प्रशिक्षण के लिए मानदेय/प्रशिक्षण वृत्ति प्रदान किएजाने का प्रावधान किया गया है । साथ ही भारत सरकार की ‘‘उद्यमिता विकास संस्थान केन्द्र‘‘ की स्थापना की जा रही है।

(5.7)    कोर  सेक्टर  उद्यमों  के  अतिरिक्त  विभिन्न  सेक्टरों  में  नये  निवेश  को  आकर्षित  करना  और इसके  माध्यम  से  भौगोलिक  स्थिति  का  अधिकतम  लाभ  लेकर  उपभोक्ता  वस्तुओं  का किफायती दरों पर उत्पादन करने का भी लक्ष्य रखा गया है।

(5.8)    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक और रोबोटिक्स तकनीक के उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी के उद्यम और सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवा उद्यम तथा जैव प्रौद्योगिकी जैसे आधुनिक युग के  उद्यम  के  क्षेत्र  में  अधिकाधिक  निवेश  को  आकर्षित  करने  का  लक्ष्य  रखा  जा  रहा  है, जिससे  राज्य  में  स्थापित  उǔच  स्तरीय  शैक्षणिक  संस्थाओं  यथा  –  आईआईटी,  ट्रिपल आईटी, एनआईटी, आईआईएम और बड़ी संख्या में विद्यमान इंजीनियरिंग कालेजों से शिक्षा प्राप्त करने वाले युवाओं को राज्य में ही कार्य करने का अवसर प्राप्त हो सके।

नीति का प्रारुप उपरोक्त सभी उद्देश्यों को लक्षित करते हुए तैयार किया गया है।

Industrial Policy 2024-30:रणनीति (Strategy)

‘‘अमृतकाल :  छत्तीसगढ़  विजन  /   2047’’ –  के  लक्ष्य  की  प्राप्ति  निम्नांकित  अनुसार रणनीतिक प्रावधान किएगए है:-

(6.1)      प्रदेश के  वर्तमान औद्योगिक विकास  को  दृष्टिगत रखते  हुए  प्रदेश के  विकासखण्डों  का तीन  श्रेणियों  में  यथा-  समूह-1,  समूह-2और  समूह-3  विकासखण्डों  की  श्रेणी  में वर्गीकरण किया गया है।

(6.2)      राज्य  में  उपलब्ध  प्राकृतिक  संसाधनों  में  स्थानीय  स्तर  पर,  राज्य  में  मूल्य  संवर्धन  किएजाने के लिए राज्य में ही इन संसाधनों का प्रसंस्करण किएजाने को प्रोत्साहित किएजाने की  योजना  है।  इसी  उद्देश्य  से  राज्य  की  जैव  विविधता,  वनोपज,  हर्बल  और  खाद्य प्रसंस्करण उत्पादों पर आधारित उद्यमों की उन्हीं जिलों में स्थापना को अधिक प्रोत्साहन की रणनीति है।

(6.3)      राज्य में वर्तमान में जिस प्रकार के उद्यमों की राज्य में आवश्यकता महसूस होती है और जिन उत्पादों को राज्य के बाहर से बहुतायत में राज्य में लाया जाता है, ऐसे उत्पादों को राज्य में  निर्मितकिए जाने  तथा  ऐसी  क्षमता  विकसित  किए जाने  की  योजना है  ताकि छत्तीसगढ़  राज्य  के  भौगोलिक  रूप  से  सात  राज्यों  से  जुड़े  राज्यों  और  देश  विदेश  को छत्तीसगढ़ में निर्मित उत्पादों का निर्यात हो सके।

(6.4)      राज्य  के  आर्थिक  और  सामाजिक  उत्थान  में  कमजोर  वर्ग,  अनुसूचित  जाति/जनजाति, महिला उद्यमियों, तृतीय लिंग और भूतपूर्व सैनिकों (जिनमें Paramilitary Force भी शामिल हैं),  सेवानिवृत्त  अग्निवीर  और  नक्सल  प्रभावितों,  आत्मसमर्पित  नक्सलियों  की  सहभागिता सुनिश्चित  करने  के लिए  अधिक  प्रोत्साहन  दिये  जाने  की  योजना  है,  जिससे  इन  वर्गों  का आर्थिक उत्थान भी हो सके।

Industrial Policy 2024-30 (6.5)      राज्य में उपलब्ध तकनीकी संस्थानों के माध्यम से शिक्षित/प्रशिक्षित हो रहे युवाओं को मानव  संसाधन  के  रूप  में  राज्य  में  ही  रोजगार  प्राप्त  हो  सकें  यह  सुनिश्चित  करने  के लिए  व्यावसायिक  शिक्षण  संस्थानों  में  राज्य  के  उद्यमों  की  आवश्यकतानुसार  मानव संसाधन उपलब्ध कराने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों को शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में सम्मलित किया जायेगा। इस के लिए राज्य के उद्यमों से समन्वय स्थापित कर उनकी आवश्यकता के अनुरूप शैक्षणिक  पाठ्यक्रमों  को  समन्वित  करते  हुए  आवश्यकतानुसार  विद्यमान  और  नये आईटीआई,  पॉलिटेक्निक  की  स्थापना  की  जाकर  कौशल  उन्नयन  और  राज्य  में  ही रोजगार उपलब्ध कराने के लिए शासन के अन्य विभागों और राज्य में स्थापित उद्यमों के लिए उपयोगी बनाया जाएगा ।

(6.6)      राज्य  में  नवोन्मेष  को  प्रोत्साहित  करने  के  लिए  स्टार्ट-अप  उद्यमों  और  नवाचार  के लिए अधिकाधिक  इन्क्यूबेशन  केन्द्रों  की  स्थापना  के लिए  प्रयास  किए जायेंगे।  तकनीकी  शिक्षा संस्थानों को स्वयं का इन्क्यूबेटर स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।

 (6.7)      राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों और सभी विकासखण्डों को राज्य और राष्ट्र के औद्योगिक मानचित्र में  स्थान  बनाने  के  लिए  इन  क्षेत्रों  में  विभाग  के  पास  उपलब्ध  भूमि  पर  आवश्यकता  के अनुरूप नये औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना का कार्य किया जा रहा है। राज्य के सर्वांगीण विकास में उद्यम के योगदान के लिए ग्रामीण औद्योगिकीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए ग्रामीण अंचल में औद्योगिक अधोसंरचनाओं का विकास किया जाएगा।

(6.8)      इस  ‘‘औद्योगिक  विकास  नीति  2024-30’’  के  माध्यम  से  नवा  रायपुर,  अटल  नगर  में केवल  कम  प्रदूषणकारी  थ्रस्ट  और  विशिष्ट  श्रेणी  के  उद्योगों  और  सेवा  उद्यमों  को  उद्यम स्थापित करने के लिए भूमि उपलब्ध कराई जाएगी।

Industrial Policy 2024-30:बेहतर प्रशासनिक प्रबंधन (Improved Administrative Management)

‘‘अमृतकाल: छत्तीसगढ़ विजन  /2047’’ – के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य के प्रशासनिक प्रबंधन में निम्नानुसार कार्यवाही की जाएगी:-

(7.1)    राज्य  निवेश  प्रोत्साहन  बोर्ड  को  और  अधिक  सशक्त  बनाकर  सिंगल  विण्डो  प्रणाली  को सुदृढ़  करते  हुए  नेशनल  सिंगल  विण्डो  प्रणाली  के  साथ  जोड़ा  जायेगा।  इस  के लिए  राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र और राज्य की सूचना प्रोद्यौगिकी संस्था ‘‘चिप्स’’ के माध्यम से इंटीग्रेशन का कार्य आरंभ कर दिया गया है।

(7.2)    वृहद  और  मध्यम  परियोजनाओं  के  समयबद्ध  क्रियान्वयन  की  व्यवस्था  सुनिश्चित  करने  के लिए सभी संबंधित विभागों को सिंगल विण्डो प्रणाली के माध्यम से औद्योगिक निवेश के लिए आवश्यक स्वीकृतियों, अनुमति और सहमति (अनुमोदन) उपलब्ध कराये जाने की प्रक्रिया को समय-सीमा में  उपलब्ध  कराने  के लिए नीति/नियमों  में आवश्यक  प्रावधान किएजा  रहे है।

Industrial Policy 2024-30 (7.3)    एकीकृत  आवेदन  पत्रों  तथा  ‘‘सिंगल  साईन-ऑन’’  व्यवस्था  के  माध्यम  से  उद्यमों  के  लिए आवेदन  किए जाने की  प्रक्रिया को आसान बनाया जायेगा। यथा आवश्यकता सरलीकरणऔर आवश्यक दस्तावेजों के स्व-प्रमाणीकरण को मान्य किया जाएगा।

(7.4)    उद्यम  स्थापना  के  लिए  आवश्यक  प्रत्येक  अनुमति,  सहमति,  स्वीकृतियों  के  लिए  निर्धारित समय-सीमा  में  ही  निष्पादन  के लिए  राज्य  स्तर  पर  विभाग  प्रमुख  द्वारा  और  प्रत्येक  जिले  में कलेक्टर  की  अध्यक्षता  में  नियमित  अंतराल  में  समीक्षा  की  व्यवस्था  बनाई  गई  है।  यथा आवश्यकता उद्योग विभाग की मैदानी संरचना को पुर्नसंयोजित किया जाएगा।

(7.5)    निवेश के प्रस्तावों के क्रियान्वयन सुनिश्चित कराने के लिए राज्य स्तर पर नियमित अंतराल में समीक्षा की जावेगी। नए  उद्यमों की स्थापना के अतिरिक्त स्थापित कार्यरत् उद्यमों को निरंतर उत्पादन बनाए रखने में आने वाली समस्याओं के निराकरण के लिए विभागीय वेबसाइट पर पृथक से व्यवस्था की जा रही है।

(7.6)    प्रदेश  में  उद्यमियों  और  युवाओं  को  प्रशिक्षण  के लिए  निरंतर  कार्यशालाओं  और  अल्पकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

(7.7)    प्रदेश के सूक्ष्म, लघु उद्यमों के  उत्पादों  के विपणन में राज्य सरकार  के विभागों में लगने वाले  उत्पादों  के  निर्माण  और  विपणन  के लिए  राज्य  सरकार  के  विभागों  में  क्रय  नियमों  को प्रभावी रूप से क्रियान्वयन की व्यवस्था की जाएगी।

Industrial Policy 2024-30: अधोसंरचना   विकास   ल्वं   औद्योगिक   भूमि   प्रबंधन  :-

‘‘अमृतकाल: छत्तीसगढ़ विजन /   2047’’ – के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए औद्योगिक भूमि  और  भवन  प्रबंधन  तथा  औद्योगिक  अधोसंरचना  के  विकास  के  संबंध  में  निम्नांकित बिंदुओं पर कार्यवाही की जाएगी:-

(8.1)  राज्य  में  के  सर्वांगीण  विकास  के  लिए  प्रदेश  के  विकासखण्डों  में  आवश्यकता  के  अनुरूप स्थानीय युवाओं को रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से संभावित मांग को ध्यान में रखते हुए औद्योगिक क्षेत्र/पार्क की स्थापना की जाएगी।

(8.2)  वर्तमान में राज्य में लगभग 56 औद्योगिक क्षेत्र स्थापित हैं। राज्य में नए औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना के लिए विभाग के अधीन उपलब्ध भूमि पर आवश्यकता के अनुरूप नये औद्योगिकक्षेत्रों की स्थापना कराईजाएगीऔर भूमि बैंक के लिए सीएसआईडीसी को उचित दरों पर निजी भूमि क्रय करने के लिए अधिक अधिकार सम्पन्न बनाने की व्यवस्था का निर्माण किया जाएगा।

Industrial Policy 2024-30 (8.3)  राज्य  में  इण्डस्ट्रीयल  कॉरीडोर  की  स्थापना  कराने  के लिए  प्रयास  किए जायेंगे।  इस  के लिए‘‘राष्ट्रीय  इण्डस्ट्रीयल  कॉरीडोर  विकास  निगम’’  और  राष्ट्रीय  स्तर  की  संस्थाओं  के  साथ अनुबंध कर संभावित इण्डस्ट्रीयल कॉरीडोर यथा – कोरबा-बिलासपुर-रायपुर-नागपुर अथवा कोरबा-बिलासपुर-रायपुर-विशाखापट्टनम मार्ग में इण्डस्ट्रीयल कॉरीडोर के विकास के लिए की सहायता ली जावेगी।

(8.4)  राज्य में निजी निवेशकों के माध्यम से निजी औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के लिए इस नीति में विशेष प्रावधान किएगए है।

(8.5)  आवश्यकतानुसार  पर्यावरण  संरक्षण  की  दृष्टि  से  औद्योगिक  क्षेत्रों  में  ठोस  अपशिष्ट  प्रबंधन,Water & Effluent Treatment plant   की PPP   मॉडल पर स्थापना की व्यवस्था की जावेगी। औद्योगिक  क्षेत्रों  में  वृक्षारोपण  अनिवार्य  किया  जाकर  समूह  आधारित  उद्योगों के लिए Common Facility Centre  की स्थापना का प्रावधान किया जायेगा। इस के लिए निजीक्षेत्र को Common Facility Centre   की स्थापना के लिए विशेष प्रोत्साहन के प्रावधान लागू किएजायेगें।

(8.6)  प्रदेश में भण्डारण क्षमता को बढ़ाने के लिए लॉजिस्टिक पार्क के विकास के लिए आबंटित की जाने वाली भूमि की दरों का युक्तियुक्तकरण सुविधाजनक बनाया जाएगा।

(8.7)  औद्योगिक क्षेत्रों में सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए CSIDC  द्वारा बहुमंजिला औद्योगिक भवन और शेड का निर्माण किया जायेगा ।

(8.8)  नये औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना के लिए निजी भूमि के अधिग्रहण के लिए आपसी सहमति से भूमि क्रय की कार्यवाही को प्रभावी किया जायेगा, साथ ही यथा आवश्यकता ‘‘लैण्ड पूलिंग की व्यवस्था’’ को अपनाया जायेगा।

 (8.9) नवा रायपुर में वर्तमान में स्थापित इलेक्टानिक मेन्यूफेक्चरिंग क्लस्टर – ईएमसी के अतिरिक्त फार्मास्युटिकल  पार्कऔर  अन्य  सेेक्टर  संबंधी  औद्योगिक  पार्को  की  स्थापना  के  प्रयास  किएजायेंगे ।

(8.10) राज्य में औद्योगिक पार्को और लैण्ड बैंकों के स्थापना के लिये आवश्यकता अनुसार भूमि की उपलब्धता  सुनिश्चित  करने  के लिए  औद्योगिक  पार्क  और  औद्योगिक  लैण्ड  बैंक  स्थापना  नीति बनाई जाएगी। इस  नीति के तहत सरकारी भूमि के अतिरिक्त निजी भूमि को भी आपसी सहमति से क्रय/भूमि अधिग्रहण/लैण्ड पूलिंग इत्यादी प्रक्रियों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकेगा।

Industrial Policy 2024-30:विविध सुविधाएं

‘‘अमृतकाल: छत्तीसगढ़ विजन /   2047’’ – के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई अन्य बिंदुओं  पर  कार्यवाही  की  आवश्यकता  होगी,  ताकि  राज्य में  उद्यमों  के  समक्ष  उत्पन्न  होने वाली अन्य चुनौतियों का भी सामना करने में राज्य के विद्यमान उद्यम और आगामी स्थापित होने  वाले  स्वयं  सक्षम  हो  सकें  इस  के लिए  आगामी  बिंदुओं  पर  सूक्ष्म, लघु,  मघ्यम  और  वृहद उद्यमों के विकास के लिए औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन के प्रावधान विभिन्न वर्ग, श्रेणियों और विशिष्ट प्रकार के उद्यमों में विभाजित करते हुए सुव्यवस्थित तरीके से विविध प्रावधान किएजा रहे है।

इसी अनुक्रम में आवश्यक प्रशासनिक दक्षता की वृद्वि के लिए गैर वित्तीय सुविधाएंभी इस नीति में प्रवाधानित की गई हैं।

Industrial Policy 2024-30: विपणन सहायता

10.1         राज्य के सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाइयों से खरीदी के लिए राज्य में स्थित केन्द्र शासन के  सार्वजनिक  उपक्रमों  में  प्रभावशील  MSME Public Procurement Policy  के  सफल क्रियान्वयन के लिए सभी सार्वजनिक उपक्रमों के साथ संवाद करके उनके द्वारा उपक्रम के  संचालन  के  लिए  क्रय  की  जाने  वाली  सामग्रियों  को  सूचीबद्व  करके  राज्य  के उद्यमों  के  माध्यम  से  इन  सामग्रियों  की  आपूर्ति  के  लिए  राज्य  में  नई  इकाईयों  की स्थापना  के लिए प्रयास  किए जावेंगे।  इस  के लिए  केन्द्र  शासन  के  सार्वजनिक  उपक्रमों  के स्थापना वाले जिलों में जिला प्रशासन और संबंधित जिला व्यापार और उद्योग केन्द्र के माध्यम से नियमित अंतराल में सभी संबंधित पक्षों के साथ क्रय होने वाली सामग्रियोंऔर  उनके  प्रदायकर्ताओं  के  विवरण  प्राप्त  करके  स्थानीय  स्तर,  राज्य  स्तर  पर  ऐसीसामग्रियों की राज्य से आपूर्ति के लिए प्रयास किएजावेंगे।

Industrial Policy 2024-30 10.2         राज्य  के  सूक्ष्म  और  लघु  इकाइयों  से  खरीदी  के  मामलों  में  विलंब  से  भुगतान  के प्रकरणों के समाधान के लिए MSE Facilitation Council  को प्राप्त प्रकरणों केसमयबद्ध निराकरण के लिए आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।

10.3         राज्य के उद्यमों को उनके उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए उन्हें राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले व्यापारिक मेलों, प्रदर्शनी में Participationके लिए प्रावधान किया जाएगा।

10.4         स्टार्ट अप योजना और राज्य के सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाइयों के अंतर्गत स्थापित होने  वाली  राज्य  की  इकाईयों  से  खरीदी  के लिए  भारत  सरकार  द्वारा  संचालित  GeM पोर्टल और भण्डार क्रय नियम के माध्यम से सरकारी खरीदी में प्रोत्साहित करने का प्रावधान किया जाएगा।

Industrial Policy 2024-30: निर्यात प्रोत्साहन (Export Facilitation)

11.1         राज्य से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रायपुर में विदेश व्यापार सहायता केन्द्र की स्थापना आईआईएफटी, कोलकाता जैसी राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं के सहयोग से की जाएगी। इस केन्द्र के माध्यम से राज्य से निर्यात व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नये उत्पादों  का  चयन,  निर्यात  के  लिए  किए जाने  वाले  औपचारिक  कार्यों  के  लिए सहायता केन्द्र के माध्यम से निर्यातकों को मदद की जाएगी।

11.2         नवा  रायपुर  में  स्थित  ड्राईपोर्ट/कंटेनर  डिपो  को  प्रभावी  कार्यवाही  करने  के  लिए विभिन्न  संस्थाओं/भारत  सरकार  के  विभागों  के  साथ  बेहतर  समन्वय  कर  निर्यात व्यापार को बढ़ावा देने के प्रयास किएजायेंगे।

11.3         राज्य  की  औद्योगिक  इकाइयों  को  उनके  उत्पादों  को  प्रतिस्पर्धा  में  लाने  के  लिए निर्यात किए जाने वाले उत्पादों के इकाई स्थल से बंदरगाह तक परिवहन लागत पर अनुदान का प्रावधान किया गया है साथ ही राज्य में निर्यात के लिए उत्पादों का चयनऔर उनकी गुणवत्ता निर्धारण के लिए आवश्यक कदम उठाये जा रहे है।

11.4         निर्यात  व्यापार  को  दृष्टिगत  रखकर  राज्य  में  निर्यात  से  जुड़े  हुए  व्यापारियों, संस्थाओं  आदि  के  मध्य  Buyer-Seller -Meet    (क्रेता-विक्रेता  सम्मेलन)  का  आयोजन किया  जायेगा।

Industrial Policy 2024-30: औद्योगिक   निवेश   प्रोत्साहन   के लिए   प्रावधान (Provisions for Industrial Investment Incentives)

(12.1)    औद्योगिक विकास नीति 2024-30 के उदेश्यों की पूर्ति के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 2020 में ‘‘एमएसएमईडी एक्ट – 2006’’ में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की परिभाषा में किएगए संशोधन को  अपनाते हुए राज्य में संतुलित औद्योगिक विकास के लिए सूक्ष्म, लघुऔर मध्यम श्रेणी तथा वृहद उद्यमों की श्रेणी की प्रकृति, आवश्यकता तथा श्रेणी विशेष के लिए  पृथक-पृथक  प्रकार  और  मात्रा  में  आवश्यकता  पूर्ति  के लिए  ‘‘औद्योगिक  निवेश प्रोत्साहन’’  प्रदान  करने  के  लिए  प्रावधान  किए  गए  हैं।  औद्योगिक  निवेश  प्रोत्साहन की अधिकतम सीमा में शासन द्वारा दिए जाने वाले अनुदान और प्रतिपूर्ति को समावेशित किया जाएगा। साथ ही छूट के प्रकरणों की राशि आर्थिक निवेश प्रोत्साहन के अतिरिक्त होगी। नीति में निम्नानुसार पृथक-पृथक अध्याय रखे जा रहे हैं:-

Industrial Policy 2024-30 अघ्याय     विवरण

(अ)          सूक्ष्म, लघु, और मध्यम उद्यम के लिए प्रावधान

(ब)           वृहद उद्यमों के लिए प्रावधान

(स)           विशिष्ट श्रेणी के उद्यमों के लिए विशेष प्रावधान

(द)           विशेष वर्गों/समूहों के उद्यमों के लिए विशेष प्रावधान

(12.2)      (अ)          नीति  के  उदेश्यों  की  पूर्ति  के  लिएराज्य  में  ‘‘नए   उद्यमों  की स्थापना,विद्यमानउद्यमोंकेविस्तार/शवलीकरण(डायवर्सिफिकेशन)/प्रतिस्थापनऔरआधुनिकीकरण’’ के लिए ‘‘औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन’’ प्रदान किएजावेंगे।

(ब)         राज्य के सभी क्षेत्रों में सर्वागींण औद्योगिक विकास के लिए नीति में राज्य के सभी  जिलों  के  विकासखंडों  को  तीन  श्रेणियों  यथा  –  समूह  (एक),  (दो)  और  (तीन)  में विभजित करके दिये जाने वाले औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन की मात्रा का निर्धारण किया जा रहा है।

(12.3)    (अ)        नीति के माघ्यम से सभी प्रकार के उद्यमों का विकास हो सके इस विचार कोध्यान  में  रख  कर  राज्य  की  आवश्यकताओं  को  ध्यान  में  रख  कर  ‘‘सामान्य  और  थ्रस्ट उद्यमों की श्रेणी’’ में विभाजित किया गया है।

(ब)         राज्य  के  वर्तमान  औद्योगिक  उत्पादों  को  और  अधिक  सशक्त  करने  और  इन उत्पादों के उत्पादन में राज्य को अग्रणी बनानें के लिए कोर सेक्टर के उत्पादों यथा – स्टील  कोर  सेक्टर  और  स्टील  को  छोडकर  अन्य  कोर  सेक्टर  के लिए  यथा  –  सीमेंट,  ताप विद्युत और एल्यूमिनियम आदि के लिए पृथक पृथक प्रावधान किएगए है।

(स)        राज्य  में  वर्तमान  आवश्यकताओं  और  राज्य  में  हो  रही  खपत  की  स्थिति  कोध्यान  में  रखकर  ‘‘विशिष्ट  उत्पाद  उद्योग/सेक्टर  यथा  –  फॉर्मास्युटिकल,  टेक्सटाईल, फूड  प्रोसेसिंग,  कृषि  उत्पाद  प्रसंस्करण,  एनटीएफपी  उत्पाद  प्रसंस्करण,  इलेक्ट्रिकल  औरइलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद, आई टी/आईटी, और आईटीईएस’’ आदि के लिए पृथक आर्कषक औद्योगिक   निवेश   प्रोत्साहन   की   नीति   को   अपनाया   जा   रहा   है   जिससे   इन उत्पाद/उद्योग/सेक्टर विशेष के उद्यमों में निवेश को राज्य में आकर्षित किया जा सके।यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इन सेक्टरों में प्रथम पांच एंकर निवेशकों को अतिरिक्त निवेश प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है।

(12.4)    (अ)  उपरोक्त  प्रावधानित  ‘‘औद्योगिक  निवेश  प्रोत्साहन’’  के  अतिरिक्त  राज्य  के  महिला उद्यमी, भारतीय सेना से सेवानिवृत्त राज्य के सैनिक, सेवानिवृत राज्य के अग्निवीर सैनिकऔर  नक्सलवाद  से  प्रभावित  व्यक्ति/परिवार  और  निःशक्तजनों,  अप्रवासी  भारतीय,  प्रत्यक्ष विदेशी   निवेशकों   (एफ.डी.आई),   निर्यातक   उद्यमों   तथा   विदेशी   तकनीक   के   साथ परियोजनाएं  स्थापित  को  सामान्य  सेक्टर  के  उद्यमों  को  उपलब्ध  कराये  जा  रहे  मान्य अनुदान से 10 प्रतिशत अधिक अनुदान और अधिकतम सीमा भी 10 प्रतिशत अधिक रहेगी तथा छूट से संबंधित प्रकरणों में एक वर्ष अधिक की छूट दी जावेगी।

(ब) लेकिन यदि कोई निवेशक एक से अधिक श्रेणी अथवा अन्य किसी प्रावधान में अतिरिक्त लाभ के लिए पात्र होता है तो उसे इस नीति में प्रावधानित किसी एक ही श्रेणी के अतिरिक्त लाभ की पा़त्रता होगी।

(12.5)    उपरोक्त  बिंदुओं  में  दर्शित  अनुसार  पात्र  उद्यमों  को  सामान्य,  थ्रस्ट  और  अन्य  श्रेणी  के उद्यमों को विभिन्न निवेश प्रोत्साहन अनुदान, छूट, रियायतें दी जाएगी।

क्रमांक       सुविधा का विवरण

1              नेट राज्य वस्तु और सेवा कर (नेट एसजीएसटी) प्रतिपूर्ति

2              स्थायी पूंजी लागत अनुदान

3              ब्याज अनुदान

4              विद्युत शुल्क छूट

5              स्टाम्प शुल्क से छूट

6              मंडी शुल्क व्यय से छूट

(केवल एमएसएमई और कृषि और खाद्य प्रसंस्करण तथा गैर काष्ठ वनोपज प्रसंस्करण औरबॉयो एथेनॉल/कम्प्रेस्ड बॉयो गैस सेक्टर के वृहद उद्यम के लिए)

7              भू-उपयोग में परिवर्तन शुल्क में छूट

8              औद्योगिक क्षेत्रों से बाहर (भूमि बैंक) भू-आबंटन के लिए सीएसआईडीसी को देय सेवा शुल्क में रियायत

9              परियोजना प्रतिवेदन अनुदान

10            गुणवत्ता प्रमाणीकरण अनुदान

11            तकनीकी पेटेन्ट अनुदान

12            प्रौद्योगिकी क्रय अनुदान

13            मार्जिन मनी अनुदान

14            दिव्यांग (निःशक्त), सेवानिवृत्त अग्निवीर व आत्मसमर्पित नक्सली व्यक्ति रोजगार अनुदान

15            इनवायरमेंट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट अनुदान (पर्यावरणीय प्रोजेक्ट अनुदान)

16            जल और उर्जा दक्षता (एनर्जी ऑडिट) व्यय प्रतिपूर्ति

17            परिवहन अनुदान (निर्यातक उद्योगों के लिए)

18            औद्योगिक क्षेत्रों/औद्योगिक पार्कों में भू-आबंटन पर भू-प्रीमियम में छूट/रियायत’’

19            नेशनल  स्टॉक  एक्सचेंज  (एनएसई)  के  साथ  सूचीबद्ध  होने  के  लिए  प्रोत्साहन  के  रूप  में व्यय प्रतिपूर्ति की जाएगी।

20            एम.एस..एम.ई. थ्रस्ट सेक्टर और सूचना प्रौद्योगिकी उद्यमों के लिए कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिएकिएगए व्यय की प्रतिपूर्ति

21            अनुसूचित  जनजाति/जाति  वर्ग  के  उद्यमियों  को  औद्योगिक  क्षेत्रों में भू-आबंटन  पर भू-प्रीमियम में छूट/रियायत (सूक्ष्म, लघु, मध्यम श्रेणी के उद्योगों/उद्यमों के लिए)

22            पंजीयन शुल्क व्यय प्रतिपूर्तिऔद्योगिक नीति, 2024-30 के अंतर्गत प्रावधानित पैकेज:-

23            एमएसएमई सेवा श्रेणी उद्यमों को उपलब्ध औद्यागिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज

24            सेवा श्रेणी के वृहद उद्यम के लिए औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज

25            सामान्य श्रेणी और थ्रस्ट सेक्टर के सूक्ष्म, लघु और मध्यम श्रेणी के उद्यमों के लिए औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज

26            सामान्य श्रेणी और थ्रस्ट सेक्टर के वृहद उद्यमों के लिए औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज

27            कोर (स्टील) सेक्टर के वृहद उद्यम के लिए औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज

28            कोर सेक्टर के अन्य वृहद उद्यम (स्टील छोड़कर) और सौर उर्जा संयंत्र के लघु, मध्यम और वृहद उर्जा संयंत्र के लिए औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज

29            राज्य में फार्मास्युटिकल सेक्टर के वृहद उद्यम  के लिए औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज

30            टेक्सटाईल सेक्टर के वृहद उद्यम के लिए औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज

31            कृषि और खाद्य प्रसंस्करण तथा गैर काष्ठ वनोंपज प्रसंस्करण और ग्रीन हाइड्रोजन/कम्प्रेस्ड बॉयो गैस सेक्टर के वृहद उद्यम के लिए औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज

32            इलेक्ट्रिकलऔर  इलेक्ट्रॉनिक्स  सेक्टर  की  इकाई  के  वृहद  उद्यम  के लिए  औद्योगिक  निवेश प्रोत्साहन पैकेज

33            आर्टिफिशियल इंटीलिजेंस (ए.आई), रोबोटिक्स एण्ड कम्प्यूटिंग (जी.पी.य)  से संबंधित क्षेत्र के वृहद उद्यम के लिए औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज

34            सूचना  प्रोद्यौगिकी  (आई.टी.)  से  संबंधित  क्षेत्र  के  वृहद  उद्यम  के लिए  औद्योगिक  निवेश प्रोत्साहन पैकेज

 35           आई.टी. इनेबल्ड सर्विसेज (आई.टी.ई.एस.)/डेटा सेंटर से संबंधित क्षेत्र के वृहद उद्यम के लिए औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज

36            अनुसूचित जनजाति/जाति वर्ग के लिए विशेष औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज

37            छत्तीसगढ़ राज्य स्टार्ट अप पैकेज

38            छत्तीसगढ़ राज्य लॉजिस्टिक्स पैकेज

39            छत्तीसगढ़ राज्य बंद और बीमार उद्योगो के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज

Industrial Policy 2024-30 (12.6)    राज्य में  राइस  मिल/पारबाइलिंग इकाईयों के  वर्तमान  घनत्व  को  ध्यान  में  रखकर  इन्हें नए   उद्यम  की  स्थापना  और  विस्तार/शवलीकरण  /प्रतिस्थापन/आधुनिकीकरण  के अंतर्गत घोषित सुविधाओं की केवल समूह-3 के विकासखंडों में स्थापना पश्चात सामान्य उद्यम श्रेणी के लिए घोषित औद्योगिक निवेश प्रोत्साहनों की पात्रता होगी।

(12.7)   इस नीति की अवधि में औद्योगिक परियोजनाओं/भूमि बैंक/औद्योगिक क्षेत्रों/औद्योगिक पार्कों/लैंड पूलिंग के अंर्तगत ली जाने वाली भूमि/भवन के भू-अर्जन से प्रभावित होने वाले  कृषकों/भूमि  स्वामियों/भू-विस्थापितों  से  इस  प्रावधान  के  अंर्तगत  ली  जाने  वाली भूमि/भवन के भू-अर्जन से प्रभावित होने वाले कृषकों/भूमि स्वामियों/भू-विस्थापितों के लिएऔर  भूमि/भवन  क्रय  के  अन्य  मामलों  में  निम्नानुसार  स्टॉम्प  ड्यूटी  छूट  प्रदान    की जावेगी:-

(1)  औद्योगिक  क्षेत्रों/औद्योगिक  प्रयोजन  के लिए  भू-खण्डों/औद्योगिक  प्रयोजन  तथा  भूमि बैंक के लिए क्रय की गई/अधिग्रहित परिसंपत्तियों, भूमि/भवन से प्रभावित भू-स्वामियों द्वारा भू-अर्जन क्षतिपूर्ति मुआवजा से प्राप्त होने वाली राशि की सीमा तक भू-अर्जन क्षतिपूर्ति मुआवजा राशि प्राप्ति के 02 वर्ष के भीतर कृषि भूमि/भवन क्रय करने पर, (माइनिंग लीज की भूमि को छोड़कर) लगने वाले स्टाम्प शुल्क में पूर्ण छूट दी जाएगी ।

(2)  भारत सरकार/राज्य शासन द्वारा स्वीकृत/अनुमोदित निजी निवेशकों द्वारा   स्थापित किए  जाने   वाले   औद्योगिक   क्षेत्र/औद्योगिक   पार्क   की   स्थापना   के लिए   क्रय   की गई/अधिग्रहित  परिसंपत्तियों,  भूमि/भवन  और  इनमें  स्थापित  होने  वाले  उद्यम  के लिए क्रय/पट्टे पर  ली जाने वाली परिसंपत्तियों,  भूमि/भवन के  क्रय पर  लगने वाले  स्टाम्प शुल्क में पूर्ण छूट दी जाएगी ।

(3)  राज्य  में  औद्योगिक  क्षेत्र/औद्योगिक  भू-खण्ड/औद्योगिक  प्रयोजनों/भूमि  बैंक  और अधोसंरचना  निर्माण  के लिए  छत्तीसगढ़  स्टेट  इण्डस्ट्रियल  डेव्हलपमेंट  कार्पोरेशन  लि0  द्वारा क्रय/लीज पर  ली जाने वाली परिसंपत्तियों, भूमि/भवन के  क्रय पर  लगने वाले  स्टाम्प शुल्क में पूर्ण छूट दी जाएगी ।

(12.8)    औद्योगिक विकास नीति 2024-30 के अन्तर्गत राज्य में औद्योगिक/वाणिज्यिक भूमि पर कोल्ड स्टोरेज/लॉजिस्टिक हब/वेयर हाउस (गोदाम) उद्यम की स्थापना पर इस नीतिमें  अन्यथा  प्रावधानित  पात्रतानुसार  अनुदान,  छूट  और  रियायतें  की  ‘‘औद्योगिक  निवेश प्रोत्साहन’’ सुविधाएं प्राप्त होंगी।

(12.9)    औद्योगिक विकास नीति 2024-30 के अन्तर्गत सूचना प्रौद्योगिकी तथा सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाएं सहित जिन सेवा इकाईयां को इस नीति के अंतर्गत आर्थिक निवेश प्रोत्साहन की  पात्रता  है,  ऐसी  इकाईयों  की  स्थापना  वाणिज्यिक/औद्योगिक  व्यपवर्तित  भूमि  अथवा संबंधित सेवा के लिए व्यपवर्तित भूमि पर स्थापित हो सकेंगी।

(12.10)    राज्य में “फिल्म उद्यमों” के विकास के लिएनए  फिल्म निर्माण स्टूडियो,  एडिटिगं     स्टूडियो,साउंड  रिकार्डिंग  स्टूडियो  की  स्थापना  और  फिल्म  प्रोसेसिंग  से  संबंधित  गतिविधियों  परऔद्योगिक  नीति  में  प्रावधानित  अनुसार  किएगए  निवेश  की  मात्रा  के  अनुसार  सामान्य श्रेणी  के  उद्यम  के लिए  प्रावधानित  अनुदान,  छूट  और  रियायतें  के  बराबर  पात्रतानुसार‘‘औद्योगिक   निवेश   प्रोत्साहन’’   सुविधाएं   प्राप्त   होंगी।   ऐसी   इकाईयों   की   स्थापना वाणिज्यिक/औद्योगिक  व्यपवर्तित  भूमि  अथवा  संबंधित  सेवा  के लिए  व्यपवर्तित  भूमि  पर स्थापित हो सकेंगी।

(12.11)   राज्य  के  युवाओं  में  स्व-उद्यमों  के  अवसरों  में  वृद्धि  के लिए  इस  नीति  के  अन्तर्गत  नए ’’उद्यम  क्रांति  योजना‘‘  लागू  की  जावेगी,  जिसमें  राज्य  के  बेरोजगार  युवाओं  को उद्यम/सेवा उद्यम/व्यवसाय के लिए वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराया जाएगाऔर राज्य की ओर से अनुदान और ब्याज अनुदान प्रदान कराया जाएगा।

(12.12)                    राज्य  में  सेवा  उद्यमों  के  माध्यम  से  रोजगार  के  अवसरों  में  वृद्वि  की  जावेगी।  इस  के लिए चिन्हिांकित सेवा उद्यमों में होने वाले निवेश को इस नीति के अंर्तगत उद्यमों के लिए निर्धारित‘‘औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन’’ सुविधाएं पात्रतानुसार प्रदान की जावेंगी।

(12.13)                    राज्य में निजी क्षेत्र के द्वारा औद्योगिक क्षेत्रों/औद्योगिक पार्कों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाएगा। इस के लिए निम्नानुसार विशेष प्रावधान किएजावेंगे।

(अ) राज्य  में  निजी  औद्योगिक  क्षेत्रों/औद्योगिक  पार्कों  की  स्थापना  को  प्रोत्साहित  करने के लिए  न्यूनतम  15  एकड़  भूमि  में  औद्योगिक  क्षेत्र/औद्योगिक  पार्क  स्थापित  करने  पर अधोसंरचना  लागत  (भूमि  को  छोड़कर)  का  30  प्रतिशत  अधिकतम  रू.  04  करोड़  का अनुदान तथा स्टाम्प शुल्क से पूर्ण छूट, भूमि के पंजीयन शुल्क में 50 प्रतिशत की प्रतिपूर्तिऔर भू-पुनर्निधारण कर (डायवर्सन शुल्क) में 100 प्रतिशत की छूट दी जावेगी। इन निजी औद्योगिक क्षेत्रों/औद्योगिक पार्कों के विकासकर्ता स्वयं के द्वारा निर्धारित नियम व शर्तोंके अनुसार उद्यमों को भूमि का आबंटन कर सकेंगे, किंतु इन क्षेत्रों की स्थापना/विकास के लिए उन्हें सभीसरकारी नियम व शर्तों का पालन करना होगा।

(ब) कंडिका (अ)   में दर्शित अनुसार मूल क्षेत्रों के पश्चात प्रत्येक अतिरिक्त 15 एकड़ भूमि पर  किएजाने  वाले विस्तार  पर  अधोसंरचना  लागत (भूमि को  छोड़कर) का 30  प्रतिशत अधिकतम  रू.  3  करोड  तक  अनुदान  तथा  स्टाम्प  शुल्क  से  पूर्ण  छूट,  भूमि  के  पंजीयन शुल्क  में  50  प्रतिशत  की  प्रतिपूर्ति  और  भू-पुनर्निधारण  कर  (डायवर्सन  शुल्क)  में  100प्रतिशत की छूट दी जावेगी तथा इन औद्योगिक क्षेत्रों में स्थापित होने वाले उद्यमों को भी औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन प्राप्त होंगे ।

(स) उपरोक्तानुसार  स्थापित  होने  वाले  सभी  निजी  औद्योगिक  क्षेत्रों/औद्योगिक  पार्कों  में स्थापित होने वाले उद्यमों को इस नीति के अंर्तगत घोषित पात्र इकाईयों को ‘‘औद्योगिक निवेश  प्रोत्साहन’’  प्राप्त  होंगे।  इन  निजी  क्षेत्र  में  स्थापित  होने  वाले  नए   उद्यमों  को अनुदान  से  संबंधित  प्रकरणों  में  विकासखंड  की  श्रेणी  के  आधार  देय  अनुदान  से  10 प्रतिशत अधिक अनुदान और अधिकतम सीमा भी 10 प्रतिशत अधिक होगी जोकि संबंधित अनुदान  योजना  की  मान्य  अधिकतम  योजना  के  अंर्तगत  स्वीकृति  योग्य  होगी।  छूट  से संबंधित प्रकरणों में छूट की अवधि 1 वर्ष अधिक स्वीकृति योग्य होगी।

(12.14)   (अ)        जिन  सूक्ष्म,  लघु,  मध्यम,  वृहद,  मेगा  अथवा  अल्ट्ªामेगा  उद्यमों  के  द्वारा औद्योगिक नीति 2019-24 के अंर्तगत उद्यम की स्थापना के लिए कार्यवाही आरंभ की जा चुकी  हो  और  औद्योगिक  विकास  नीति  2024-30  में  परिभाषित  ‘‘प्रभावी  कदम’’  के  चारों चरण दिनांक 01/11/2024 से पूर्व पूर्ण किएजा चुके हों, ऐसे उद्यमों को  यह अवसर उपलब्ध होगा कि वे औद्योगिक नीति 2019-24 के औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन का विकल्प चुन सकेंगे। एक बार लिया गया विकल्प अपरिवर्तनीय होगा।

(ब)         विकल्प चयन न किएजाने की स्थिति में इकाई जिस नीति के कार्यकाल में इकाई  उत्पादन  में  आएगी,  उस  तिथि  को  लागू  नीति  का  लाभ  लिए  जाने  की  पात्रता होगी। पूर्व से स्थापनारत उद्यमों द्वारा औद्योगिक विकास नीति 2024-30 का विकल्प लिये जाने की स्थिति में अथवा कोई विकल्प न लिए जाने की स्थिति में इकाई को औद्योगिक नीति 2019-24 के अंर्तगत प्राप्त किएगए सुविधाओं के समतुल्य राशि को वापस किया जाना अनिवार्य होगा।

(स)        विकल्प चयन के लिए इस नीति के लागू होने के तिथि के बाद अधिकतम 90  दिवस  में  विकल्प  चयन  की  सूचना  संबंधित  जिला  व्यापार  और  उद्योग  केन्द्र/उद्योग संचालनालय, रायपुर (छत्तीसगढ़) में जमा कराया जाना अनिवार्य होगा।

(द)        औद्योगिक  नीति  2019-24  का  विकल्प  लेने  की  स्थिति  में  उद्यम  को  उद्यम आकांक्षा/आई.ई.एम. जारी होने की तिथि से सूक्ष्म और लघु उद्यम के मामले में दो वर्ष, मध्यम उद्यम के मामले में तीन वर्ष, वृहद उद्यम के मामने में चार वर्ष और अन्य उद्यमों के मामले में अधिकतम पांच वर्ष के भीतर प्रस्तावित परियोजना को पूर्ण करना होगा।

(इ)         औद्योगिक  नीति  2019-24  के  अंतर्गत  राज्य  शासन  द्वारा  जिन  निवेशकों  के लिये  बी-स्पोक  पैकेज  अधिसूचित  किया  जा  चुका  है  ऐसे  निवेशकों  को  यह  विकल्प उपलब्ध  होगा  कि  वे  औद्योगिक  नीति  2019-24  के  अंतर्गत  उनके  पक्ष  में  अधिसूचित पैकेज  के  अंतर्गत  दिये  जाने  वाले  औैद्योगिक  निवेश  प्रोत्साहन  का  विकल्प,  संबंधित अधिसूचिना पैकेज में वर्णित शर्तो के साथ ही/शर्ताें के अधीन यथावत प्राप्त कर सकेगें।

 (12.15)   यदि  किसी  निवेशक  द्वारा  राज्य  की  पूर्व  नीतियों  (औद्योगिक  नीति  2019-24  सहित)  के अंर्तगत मात्र स्टॉम्प शुल्क छूट और भूमि प्रब्याजी रियायत सुविधा प्राप्त की गई हो तो उसे औद्योगिक विकास नीति 2024-30 की सुविधाएं दिनांक 1 नवंबर, 2024 से प्रारंभ होकर 31 मार्च, 2030 तक उत्पादन में आने पर ही प्राप्त होंगी।

(12.16)   यदि  किसी  निवेशक  द्वारा  औद्योगिक  विकास  नीति  2024-30  की  अवधि  में  मात्र  स्टॉम्प शुल्क छूट और  भूमि  प्रब्याजी रियायत सुविधा  प्राप्त की  गई  हो  तो  उद्यम को  औद्योगिक विकास  नीति  2024-30  की  सुविधाएं  दिनांक  1  नवंबर,  2024  से  प्रारंभ  होकर  31  मार्च, 2030 तक उत्पादन में आने पर ही प्राप्त होंगी। 31 मार्च, 2030 तक उत्पादन में न आने पर  उद्यम  को  आगामी  औद्योगिक  नीति  में  घोषित  प्रावधानांे  के  अनुसार  सुविधाएं  प्राप्त होंगी।

(12.17)   यदि किसी निवेशक द्वारा औद्योगिक विकास नीति 2024-30 की अवधि में विद्यमान उद्यम मेंविस्तार/शवलीकरण/प्रतिस्थापन/आधुनिकीकरण   के लिए   अभिस्वीकृति   प्राप्त   कर कार्यवाही पूर्ण कर  उत्पादन प्रमाण पत्र  प्राप्त किया गया हो, तो  उसे  औद्योगिक विकास नीति 2024-30 की सुविधाएं दिनांक 1 नवंबर, 2024 से प्रारंभ होकर 31 मार्च, 2030 तक उत्पादन  में  आने  पर  ही  प्राप्त  होंगी। इसके  पश्चात  उत्पादन  प्रारंभ  होने  पर  आगामी औद्योगिक नीति के प्रावधान लागू होंगे।

(12.18)   औद्योगिक  विकास  नीति  2024-30  के  अंर्तगत  घोषित  किएगए  औद्योगिक  निवेश प्रोत्साहन इस नीति में जिन संस्थाओं को स्पष्ट रूप से पात्र घोषित किया गया हो, उन्हें छोडकर भारत शासन, राज्य शासन तथा इनके सार्वजनिक उपक्रमों (यदि विशेष रूप से अन्यथा प्रावधानित न हो) को उपलब्ध नहीं होंगे।

(12.19)   औद्योगिक  विकास  नीति  2024-30  के  अंर्तगत  घोषित  किएगए  औद्योगिक  निवेशप्रोत्साहन प्राप्त करने के लिए उद्यम को राज्य के मलूनिवासियों को स्थाई नियाजेन में अकुशल  कर्मचारियों/श्रमिक के मामले  में 100 प्रतिशत,  कुशल  कर्मचारियों के  मामले मेंन्यूनतम  70  प्रतिशत,  तथा  प्रसरकारी/प्रबंधकीय  कर्मचारियों  के  मामले  में  न्यूनतम  40 प्रतिशत, रोजगार उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा।

(12.20)   औद्योगिक  विकास  नीति  2024-30  के  अंर्तगत  घोषित  किएगए  औद्योगिक  निवेश प्रोत्साहन  प्राप्त  करने  के  लिए  उद्यम  को  कंपनी  अधिनियम-2013  के  तहत  प्रावधानित सीएसआर  की राशि के व्यय के लिए प्रस्तावित गतिविधियों  पर  राज्य शासन के  समन्वय  से निर्णय लिया जाना अपेक्षित होगा।

(12.21)   अनुसंधान  और  विकास  के  लिए  प्रयोगशाला  की  स्थापना  में  रूचि  रखने  वाले  उद्यमों  को बढ़ावा  दिया  जायेगा  तथा  भूमि  सहित  अन्य  आवश्यक  सुविधाएं  लघु  उद्यमों  के  समतुल्य उपलब्ध कराईजाएगी।

Industrial Policy 2024-30 (12.22)    उर्जा  विभाग  की  छत्तीसगढ़  राज्य  जलविद्युत  परियोजना, पम्प  स्टोरेज  आधारित स्थापना नीति 2023 के कंडिका 3(3)3(4)और3(5) अंतर्गत राज्य में स्थापित होने वालेपम्प  स्टोरेज  आाधारित  जल  विद्युत  परियोजाओं  को,  उर्जा  विभाग  की  उक्त  नीति  में उल्लेखित रियायतों के अतिरिक्त इस औद्योगिक नीति के अंतर्गत सामान्य सेक्टर उद्योगों के लिये घोषित औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन की पात्रता होगी । उल्लेखनीय है कि उर्जा विभाग के उक्त नीति के कंडिका 3(1), 3(2) के अंतर्गत स्थापित होने वाली परियोजनायें इस  औद्योगिक  विकास  नीति  2024-30  के  अंतर्गत  अतिरिक्त  निवेश  प्रोत्साहन  के लिए  पात्र नहीं होगी।

(12.23)   25  मेगावाट  क्षमता  तक  की  छोटी  और  लघु  जल  विद्युत  परियोजनाओं  की  स्थापना  के लिए प्रभावशील  उर्जा  विभाग  की  नीति  के  अंतर्गत  राज्य  में  स्थापित  होनें  वाले  मिनी  हाईडल ऊर्जा संयंत्रों को ऊर्जा विभाग की उक्त नीति की कंडिका 7 के स्थान पर इस औद्योगिक विकास  नीति  2024-30  के  अंतर्गत  सामान्य  सेक्टर  उद्योगों  के  लिये  घोषित  औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन की पात्रता होगी ।

(12.24)   उर्जा विभाग की छत्तीसगढ़ राज्य सौर उर्जा नीति 2017-27 के अंतर्गत राज्य में स्थापित होने वाले सौर उर्जा परियोजाओं को, उर्जा विभाग की उक्त नीति की कंडिका 8-अ में उल्लेखित  रियायतों  के  स्थान  पर  औद्योगिक  विकास  नीति  2024-30  के  अंतर्गत  कोर सेक्टर  ;स्टील  को  छोड़करद्ध   उद्योगों  के  लिये  घोषित  औद्योगिक  निवेश  प्रोत्साहन  की पात्रता होगी ।

(12.25)   औद्योगिक विकास नीति 2024-30 के अंर्तगत एमएसएमई  सेवा श्रेणी उद्यमों को नीति के प्रावधानों के अनुसार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन प्राप्त करने के लिए सेवा गतिविधि प्रमाण पत्र  जिला  व्यापार  और  उद्योग  केन्द्रों  द्वारा  जारी  किए जायेंगे  ताकि  उन्हें  इस  नीति  में प्रावधानित प्रोत्साहन उपलब्ध हो सके।

(12.26)   भारत सरकार द्वारा लागू की गई ‘‘उत्पादन संबंद्व प्रोत्साहन (पीएलआई)’’ की नीति अथवायोजना  के  तहत  यदि  किसी  उद्योग  अथवा  सेवा  उद्यम  को भारत सरकार  द्वारा  रियायत अथवा अनुदान दिया जाता है, तो ऐसे उद्योग को औद्योगिक विकास नीति 2024-30 के अंतर्गत  प्राप्त  होने  योग्य  औद्योगिक  निवेश  प्रोत्साहन  भारत  सरकार  द्वारा  पीएलआई नीति/योजना अंतर्गत देय प्रोत्साहन राशि के अतिरिक्त देय होगा।

Industrial Policy 2024-30 (12.27)   (अ) राज्य  में  स्थापित  किंतु  बंद  और  बीमार  उद्यमों  में  निवेशित  राशि  के  राज्य  हित  में सदुपयोग की दृष्टि से बंद और बीमार उद्यम के पुर्नवास के लिए  अध्याय (द-4) के अनुसार पैकेज प्रदान किया जा सकेगा।

(ब) ऐसी  इकाई  जिसने  उद्यम  स्थापना  का  कार्य  आरंभ  किया  हो  किंतु,  वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ नहीं कर सकी और यदि ऐसी इकाई द्वारा विभाग से किसी भी प्रकार का आर्थिक निवेश प्रोत्साहन प्राप्त नहीं किया गया है तो ऐसी इकाई की परिसंपत्ति को किसी अन्य उद्यमी/फर्म/कंपनी द्वारा एन.सी.एल.टी.(National Company Law Tribunal) सरफेसीएक्ट, रिजर्व बैक से मान्यता प्राप्त वित्तीय संस्थानों से नियमानुसार परिसंपत्तियों को क्रयकिएजाने औरनए  क्रेता के द्वारा उद्यम आरंभ किएजाने पर इकाई को ‘‘नए  इकाई’’ के रूप में अनुदान की पात्रता होगी।

उपरोक्त  स्थिति  में  निवेश  की  गणना  में  नए   क्रेता  द्वारा  एन.सी.एल.टी.  (NationalCompany Law Tribunal) ,सरफेसी एक्ट, रिजर्व बैंक से मान्यता प्राप्त वित्तीय संस्थानों  से नियमानुसार क्रय होने पर, उसके पक्ष में निष्पादित विक्रय विलेख/अनुबंध में अंकित राशि तथा अनुबंध के निष्पादन की दिनांक/आधिपत्य प्राप्त होने की दिनांक से उत्पादन प्रारंभ करने की दिनांक तक और उत्पादन दिनांक से सूक्ष्म और लघु उद्यमों/सेवा उद्यमों के लिए6 माह, मध्यम उद्यम/मध्यम सेवा उद्यम के लिए12 माह, वृहद उद्यमों के लिए24 माह तक किया गया निवेश मान्य होगा।

(स) ऐसी इकाई जिसने उद्यम स्थापना का कार्य आरंभ किया तथा विभाग से स्टाम्प शुल्क छूट /भू-प्रीमियम में छूट प्राप्त किया गया है किंतु, वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ नहीं कर सकी, यदि ऐसी इकाई द्वारा विभाग से किसी भी प्रकार का अन्य आर्थिक निवेश प्रोत्साहन प्राप्त   नहीं   किया   गया   है   तो   ऐसी   इकाई   की   परिसंपत्ती   को   किसी   अन्य उद्यमी/फर्म/कंपनी  द्वारा  एन.सी.एल.टी.  (National Company Law Tribunal),  सरफेसीएक्ट, रिजर्व बैंक से मान्यता प्राप्त वित्तीय संस्थानों के माध्यम से नियमानुसार क्रय किएजाने पर, नए  क्रेता के पक्ष में पूर्व में लिए गए छूट यथा स्टाम्प शुल्क छूट/भू-प्रीमियम में  छूट  की  अधिसूचना  के  शर्तों  के  अधीन  शेष  औद्योगिक  निवेश  प्रोत्साहन  के लिए  पात्रता होगी।

Industrial Policy 2024-30 (द) ऐसी   इकाई  जो   वाणिज्यिक  उत्पादन  में  आने  के  उपरांत   तथा  वर्तमान  में उत्पादनरत/बंद है परंतु विभाग से किसी भी प्रकार के अनुदान/छूट रियायत नहीं लिया गया  है।  इकाई  को  किसी  अन्य  उद्यमी/फर्म/कंपनी  द्वारा  एन.सी.एल.टी.  (National Company Law Tribunal), सरफेसी एक्ट, रिजर्व बैंक से मान्यता प्राप्त वित्तीय संस्थानों के माध्यम से नियमानुसार क्रय किए जाने पर “नए  इकाई’’ के रूप में इस नीति के तहत् औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन की पात्रता होगी। निवेश की गणना में नए  क्रेता के पक्ष में निष्पादित  विक्रय  विलेख/अनुबंध  में  अंकित  राशि  जो  बैंक  द्वारा  प्रमाणित  हो,  मान्य  की जावेगी  तथा  इकाई  में  विस्तार/शवलीकरण/प्रतिस्थापन/आघुनिकीकरण  किए  जाने  पर भी नियमानुसार इस नीति के तहत् औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन की पात्रता होगी।

(इ) ऐसी इकाई जो  वाणिज्यिक उत्पादन में आ चुकी है तथा वर्तमान में उत्पादनरत है, साथ  ही  विभाग  से  अनुदान/छूट/रियायत  प्राप्त  कर  चुकी  है।  ऐसी  इकाई  को  किसी अन्य  उद्यमी/फर्म/कंपनी  को  विक्रय  करने  से  पूर्व  विभाग  से  अनुमति  लेना  आवश्यक होगा।  विधिवत्  अनुमति  बाद  इकाई  को  केवल  प्रतिस्थापन/शवलीकरण/विस्तार  की स्थिति में नियमानुसार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन की पात्रता होगी।

(फ) ऐसी इकाई जो पूर्व में वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ कर चुकी हो तथा वर्तमान में बंद हो, साथ ही विभाग से अनुदान/छूट/रियायत प्राप्त कर चुकी हो। ऐसी स्थिति में क्रेताइकाई, विभाग द्वारा लागू बंद और बीमार उद्यम के लिए औद्योगिक विकास नीति 2024-30 के अंर्तगत घोषित पैकेज के तहत् औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन प्राप्त कर सकेगी।

Industrial Policy 2024-30 (12.28)  उद्यमों की श्रेणियां Categories of Industries

(1)       औद्योगिक  विकास  नीति  2024-30  के  अंतर्गत  औद्योगिक  निवेश  प्रोत्साहन  की  दृष्टि  से उपरोक्त उद्यम/उद्यमों की परिभाषा वही मान्य की जाएगी जो इस नीति के परिशिष्ट-1 में वर्णित है।

(2)       औद्योगिक विकास नीति 2024-30 के अंतर्गत ’’औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन‘‘ की दृष्टि से उद्यमों को  सामान्य उद्यम, थ्रस्ट सेक्टर उद्यम, कोर सेक्टर उद्यम, अपात्र उद्यम, विशिष्ट श्रेणी  के  उद्यम  के  वर्गों  में  वर्गीकृत  किया  है  तथा  राज्य  के  सभी  विकासखण्डों  को औद्योगिक विकास की दृष्टि से तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। विकासखण्डों की तीन श्रेणियों यथा – समूह (एक), (दो) और (तीन) परिशिष्ट- 4 अनुसार होंगी।

(3)       औद्योगिक विकास नीति 2024-30 के अंतर्गत निवेश के आकार की दृष्टि से उद्यमों को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है:-

क्रं.            उद्यम का प्रकार

1              सूक्ष्म उद्यम

2              लघु उद्यम

3              मध्यम उद्यम

4              वृहद उद्यम

5              सूक्ष्म सेवा उद्यम

6              लघु सेवा उद्यम

7              मध्यम सेवा उद्यम

8              वृहद सेवा उद्यम

(4)       औद्योगिक विकास नीति 2024-30 के अंतर्गत कोर सेक्टर के उद्यम से आशय हैं स्टील संयंत्र, सीमेंट संयंत्र, एल्युमिनियम संयंत्र और ताप विद्युत संयंत्र (परिशिष्ट-5अनुसार)।

(5)       औद्योगिक  विकास  नीति  2024-30  के  अंतर्गत  सामान्य  श्रेणी  के  उद्यम/सेवा  उद्यम  से आशय हैं इस नीति में अन्यथा प्रावधानित – थ्रस्ट सेक्टर उद्यम/सेवा उद्यम, कोर सेक्टर उद्यम/सेवा उद्यम, अपात्र श्रेणी, विशिष्ट श्रेणी के उद्यम आदि के उद्यम/सेवा उद्यम को छोड़कर अन्य सभी उद्यम/सेवा उद्यम।

(6)       निवेशकों का वर्गीकरण Categories of Investors

इस नीति में ’’औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन‘‘ की दृष्टि से उद्यमी/निवेशकों को निम्नांकित अनुसार वर्गीकृत किया गया है:-

क्रं.            निवेशकों का वर्गीकरण

1              सामान्य वर्ग के उद्यमी।

2              अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के उद्यमी।

3              अप्रवासी भारतीय, प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश (एफ.डी.आई.), निर्यातक निवेशक, विदेशीतकनीक वाले उद्यम।

4              महिला उद्यमी और तृतीय लिंग।

5              राज्य के सेवानिवृत्त सैनिक, राज्य पुलिस और अर्ध सैनिक बलों के सेवानिवृत व्यक्ति,राज्य  के  सेवानिवृत  अग्निवीर  सैनिक,  नक्सलवाद  से  प्रभावित  व्यक्ति,  दिव्यांग(निःशक्त) उद्यमी।

6              राज्य के महिला स्व सहायता समूह के उद्यमी।

7              राज्य के एफपीओ (Farmers Producer Organisations) के उद्यमी।

(12.29)        विशेष प्रावधान Special Provision

Industrial Policy 2024-30 1.  राज्य सरकार द्वारा राज्य हित में इस नीति के तहत वृहद निवेश के लिये मंत्री मण्डलीय उप समिति  का  गठन  करती  है।  इस  समिति  के  द्वारा  नीति  में  निर्धारित  औद्योगिक  निवेश प्रोत्साहन के अतिरिक्त किसी विशेष उद्योग में होने वाले महत्वपूर्ण निवेश को ध्यान में रखते हुये विशेष निवेश प्रोत्साहन सुविधाओं को प्रदान किएजाने के बारे में प्रस्ताव पर विचार और निर्णय कर सकेगी। इस मंत्री मण्डलीय उप समिति में निम्नानुसार सदस्य होगें:-

क्रं.            विभाग का नाम           पदनाम

1              मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़    अध्यक्ष

2              मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन, वित्त विभाग                सदस्य

3              मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन, विधि विभाग               सदस्य

4              मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन, अन्य विभाग यथा आवश्यकता      सदस्य (विशेष आमंत्रित)

5              मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन, वाणिज्य और उद्योग विभाग           सदस्य सचिव

2.             इस नीति अंतर्गत राज्य में स्थापित होने वाले उद्योगों को स्थापना की अनुमतियां/सम्मतियां प्रदान किएजाने में विभिन्न विभागों की ओर से लागू नियम, प्रक्रियाओं को सरलीकृत किएजाने के संबंध में सभी विभागों से समन्वय कर एकीकृत अनुमति/सम्मति प्रदान किएजाने के लिए आवश्यक कार्यवाही की जावेगी।   इस के लिए राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड को सुदृढ़ किया जायेगा। इस प्रक्रिया के  प्रभावी क्रियान्वयन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्‍च स्तरीय समिति का गठन किया जायेगा। जो कि नियमित अंतराल में निवेश के प्रस्तावों के संबंध में प्रगति की समीक्षा कर सकेगी।

3.             राज्य  में  स्थापित  होने  वाले  उद्योगों  को  इस  नीति  के  अंतर्गत  प्रदान  की  जाने  वाली औद्योगिक  निवेश  प्रोत्साहन  की  प्रक्रिया  को  यथासंभव  ‘‘गैर  संपर्ककृत’’  (No PhysicalContact) प्रणाली के अंतर्गत लाये जाने के लिए ऑनलाईन प्रणाली को पारदर्शी, अधिक सशक्त,समयबद्ध और क्रियाशील किया जायेगा। यथासंभव सभी अनुदान/छूट/रियायतों के प्रदान की जाने की प्रक्रिया को इस प्रणाली से जोड़ा जाएगा।

4.             उद्योगों को स्थापित किएजाने के लिये लगने वाले समय को न्यूनतम किएजाने के उपायों पर विचार और नियमों में आवश्यक प्रावधान किएजावेगें।

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