MISA Bandi: रायपुर। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने पेंशन बहाल करने के बाद राज्य के मीसा बंदियों के पक्ष में दो और बड़े फैसले किए हैं। राज्य सरकार ने फैसला किया है कि राज्य में दिवंगत होने वाले मीसा बंदी का अब पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
इतना ही नहीं मीसा बंदी के अंतिम संस्कार के लिए उनके परिवार को 25 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। यह राशि परिवार के प्रमुख को दिया जाएगा। विष्णुदेव साय सरकार ने इन दो बदलावों के लिए लोक नायक जयप्रकाश नारायण (मीसा, डीआईआर राजनैतिक या सामाजिक कारणों से निरुद्ध व्यक्ति) सम्मान निधि नियम 2008 में संशोधन किया है।
नियम में किए गए इस बदलाव का राजपत्र में प्रकाशन कर दिया गया है। इसके साथ ही यह व्यवस्था लागू हो गई है।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया था। राष्ट्रीय आंतरिक सुरक्षा अधिनियम 1971 मीसा बंदी (Maintenance of Internal Security Act (MISA) लागू किया गया था। इस आपातकाल का पूरे देश में जमकर विरोध हुआ था। सरकार ने विरोधियों को जेल में डाल दिया।
आपातकाल के विरोध में जेल में डाले गए लोगों को ही मीसा बंदी कहा जाता है।
छत्तीसगढ़ में मीसा बंदियों को पेंशन देने की शुरुआत 2008 में डॉ. रमन सिंह की सरकार में हुई थी। 2018 में सत्ता परिवर्तन के बाद जनवरी 2019 से तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस पर रोक लगा दी। कांग्रेस शासन के दौरान मीसा बंदियों को पेंशन नहीं दिया गया, लेकिन प्रदेश की सत्ता में भाजपा की वापसी के साथ ही मीसा बंदियों की पेंशन फिर से बहाल कर दी गई है।
छत्तीसगढ़ में 2018 की स्थिति में 430 मीसा बंदी थे। तब इन्हें सालाना नौ करोड़ रुपये सम्मान राशि दी जाती थी। इसमें एक महीने से कम जेल में बंद रहे बंदियों को प्रति माह आठ हजार, एक से पांच माह वालों को 15 हजार और पांच महीने से ज्यादा जेल में बंद रहे लोगों को 25 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही थी।
मीसा बंदियों को यह राशि लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम-2008 के तहत दी जा रही थी। कांग्रेस सरकार ने 23 जनवरी 2020 और 29 जुलाई 2020 को अधिसूचना जारी कर इस नियम को निरस्त कर दिया था। विष्णुदेव साय सरकार ने योजना को फिर से शुरू करने के साथ ही पिछली बकाया एरिसर्य का भी भुगतान करने का फैसला किया है।
ब्रेकिंग न्यूज़: विष्णुदेव सरकार ने बदल दिया एक और योजना का नामAMP