September 21, 2024

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आपके पर्यटन के रोमांच को बढ़ा देगा बारनवापारा अभ्यारण्य का यह नया स्‍वरुप

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वन्यप्राणी रहवास उन्नयन कार्यरू कैम्पा मद से 5920 हेक्टेयर रकबा में हुआ सघन लेंटाना व यूपोटोरियम उन्मूलन का कार्य

वन्यप्राणियों के रहवास तथा चारागाह के लिए अच्छी सुविधा विकसित

राजधानी से 100 किमी की दूरी पर स्थित अभ्यारण्य में बहुतायत संख्या में हैं वन्यप्राणी

रायपुर। chaturpost.com (चतुरपोस्‍ट.कॉम)

छत्तीसगढ़ का सबसे उत्कृष्ट तथा आकर्षक अभ्यारण्य बारनवापारा Barnawapara Sanctuary का नया स्वरूप में कायाकल्प हुआ है। यह कायाकल्प वन्यप्राणी रहवास उन्नयन कार्य के अंतर्गत कैम्पा (छत्तीसगढ़ प्रतिकरात्मक वनरोपण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण) के वार्षिक कार्ययोजना 2021-22 में स्वीकृत राशि से किया गया है।

इसके तहत 5 हजार 920 हेक्टेयर रकबा में सघन लेंटाना उन्मूलन तथा यूपोटोरियम उन्मूलन Lantana, Eupatorium eradicationका कार्य हुआ है। जिसमें से बारनवापारा अभ्यारण्य के 19 कक्षों में कुल 950 हेक्टेयर रकबा में लेन्टाना उन्मूलन का कार्य और 32 कक्षों में कुल 4 हजार 970 हेक्टेयर रकबा में यूपोटोरियम उन्मूलन का कार्य शामिल है।

राजधानी से करीब 100 किमी दूर है बारनवापारा अभ्‍यारण्‍य

राजधानी रायपुर से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर बलौदाबाजार वनमंडल अंतर्गत स्थित बारनवापारा अभ्यारण्य में हुए वन्यप्राणी रहवास उन्नयन कार्य से वहां मृदा में नमी होने के कारण घास प्रजाति शीघ्रता से बढ़ने लगी हैं।

साथ ही इससे अभ्यारण्य में वन्यप्राणियों को अब घास चरने के लिए अच्छी सुविधा उपलब्ध हो गई है। जिससे वे लेंटाना तथा यूपोटोरियम के उन्मूलन कार्य के बाद स्वच्छंद विचरण भी करने लगे हैं।

इससे पर्यटकों को वन्यप्राणियों की सहजता से दृष्टता हुई है और वन्यप्राणी भी स्वस्थ व तन्दुरूस्त दिखाई देने लगे हैं। अभ्यारण्य में वन्यप्राणी रहवास उन्मूलन कार्य के उपरांत घास पुनुरोत्पादन में स्पष्ट अंतर देखा जा सकता है।

244 वर्ग किमी से ज्‍यादा में फैला है बारनवापारा अभ्‍यारण्‍य

बारनवापारा अभ्यारण्य का कुल क्षेत्रफल 244.86 वर्ग किमी है जिसमें मुख्यत: मिश्रित वन, साल वन व पूर्व के सागौन वृक्षारोपण है। बारनवापारा में मुख्य रूप से कर्रा, भिर्रा, सेन्हा, मिश्रित वनों में पाये जाते हैं। सागौन वृक्षारोपण क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से उगे सागौन है तथा साल वन क्षेत्र कम रकबे में है।

उक्त छत्रक प्रजाति के अतिरिक्त शाकिय प्रजाति जैसे यूपोटोरियम, लेंटाना, चरोठा आदि प्रमुख खरपतवार हैं, जिनके कारण बारनवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र में पाये जाने वाले शाकाहारी वन्यप्राणियों को घास आदि नहीं मिलती, वन्यप्राणियों को आवागमन में भी दिक्कत होती है तथा मांसभक्षी प्राणियों से भी बचाव कठिन हो जाता है।

बारनवापारा अभ्‍यारण्‍य में इन वन्‍यजीवों को देखा जा सकता है

इसे दृष्टिगत रखते हुए अभ्यारण्य में वन्यप्राणी रहवास उन्नयन कार्य के तहत सघन लेन्टाना एवं यूपोटोरियम के उन्मूलन का कार्य किया गया है, जिससे बारनवापारा अभ्यारण्य में अब वन्यप्राणियों को वर्षभर हरी खाद्य घास उनके भोजन व चारा के रूप में उपलब्ध हो सके।

गौरतलब है कि बारनवापारा अभ्यारण्य में तेंदुए, गौर, भालू, साम्भर, चीतल, नीलगाय, कोटरी, चौसिंघा, जंगली सुअर, जंगली कुत्ता, धारीदार लकड़बग्घा, लोमड़ी, भेड़िया एवं मूषक मृग जैसे वन्यप्राणी बहुतायत में मिलता है एवं आसानी से दिखते भी है।

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