
Tiger Reserve रायपुर। छत्तीसगढ़ के उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व (USTR) में एक बार फिर बाघ की मौजूदगी दर्ज की गई है। राजधानी रायपुर से लगभग 170 किलोमीटर दूर स्थित इस रिजर्व में लगाए गए ट्रैप कैमरे में 24 मई को एक बाघ की स्पष्ट तस्वीर कैद हुई है। खास बात यह है कि अप्रैल में बाघ के पैरों के निशान मिलने के बाद से ही वन विभाग की टीम उसकी गतिविधियों पर नजर रख रही थी। अब तस्वीर सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि बाघ फिलहाल गर्मियों में भी इसी जंगल में रह रहा है।
NTCA को भेजी गई डिटेल
वन विभाग की ओर से यह तस्वीर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के टाइगर सेल को भेजी जा रही है। वहां मौजूद टाइगर डेटाबेस से बाघ की धारियों का मिलान कर यह पता लगाया जाएगा कि यह नया बाघ है या पहले से ही किसी अन्य टाइगर रिजर्व से यहां आया है। इससे पहले अक्टूबर 2022 में तेलंगाना के कवल टाइगर रिजर्व से आए एक बाघ की भी पहचान यूएसटीआर में हुई थी।
Tiger Reserve बढ़ रही शाकाहारी वन्यजीवों की संख्या
इस बार की वन्यजीव गणना और कैमरा ट्रैप की रिपोर्ट्स यह बता रही हैं कि रिजर्व में शाकाहारी जानवरों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। यह भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है कि शिकारी जानवर जैसे बाघ यहां रुक रहे हैं। इसके साथ ही, गर्मी के मौसम को देखते हुए कई तालाबों का निर्माण किया गया है और मिट्टी-नमी संरक्षण के कार्य भी किए गए हैं, जिससे जल की उपलब्धता बनी हुई है।
बाघ की टेरिटरी की पहचान की जा रही, ग्रामीणों को किया जा रहा अलर्ट
बाघ की गतिविधियों को समझने के लिए ट्रैकिंग टीम साइन सर्वेक्षण और जीआईएस तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। इससे यह समझा जा सकेगा कि बाघ जंगल के किस हिस्से को अपनी टेरिटरी के रूप में चिह्नित कर रहा है। साथ ही, आसपास के गांवों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है ताकि ग्रामीण सतर्क रहें और बाघ से सीधे टकराव से बच सकें।
Tiger Reserve रात में थर्मल ड्रोन से निगरानी
वन विभाग न सिर्फ बाघ की सुरक्षा को लेकर सजग है बल्कि पूरे रिजर्व को शिकारियों से सुरक्षित बनाने के लिए गंभीरता से काम कर रही है। रिजर्व में रात की गश्त बढ़ा दी गई है और थर्मल इमेजिंग ड्रोन के जरिए निगरानी की जा रही है। 24 मई की सुबह एंटी-पोचिंग स्क्वाड ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया।
Tiger Reserve मानव-पशु संघर्ष रोकने की कोशिश
बाघ की मौजूदगी से कभी-कभी मवेशियों पर हमले की घटनाएं भी सामने आती हैं। ऐसे में वन विभाग ने साफ किया है कि मवेशियों के नुकसान पर मुआवजा देने की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया है, ताकि ग्रामीणों को आर्थिक नुकसान से राहत मिल सके और वे बाघ की मौजूदगी को लेकर उग्र न हों।