By Election In CG: रायपुर। छत्तीसगढ़ में राज्य निर्माण के बाद से अब तक 16 बार विधानसभा का उपचुनाव हो चुका है। रायपुर दक्षिण सीट पर चल रही चुनाव 17वां उप चुनाव है। छत्तीसगढ़ में अब तक हुए उप चुनावों में ज्यादातर परिणाम सत्ता रुढ़ पार्टी के पक्ष में रहे हैं। यानी जिसकी सत्ता रही है उसका विधायक चुना गया। इसमें कुछ एक अपवाद भी हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण 1 नवंबर 2000 को हुआ। इसके कुछ महीने बाद ही विधानसभा का पहला उप चुनाव हुआ। पहला उप चुनाव जिस सीट पर हुआ वह मरवाही था। इस सीट से 1998 में भाजपा की टिकट पर रामदयाल उइके चुनाव जीते थे। उइके ने राज्य निर्माण के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के लिए अपनी सीट छोड़ दी।
मरवाही सीट पर 2001 में उप चुनाव हुआ। तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी इस सीट से कांग्रेस की टिकट पर लड़े। वहीं भाजपा ने अमर सिंह खुसरो को प्रत्याशी बनाया था। यह चुनाव पूरी तरह एकतरफा रहा। अजीत जोगी ने 50 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से जीत दर्ज की। जोगी को 71 हजार 211 वोट मिले, जबकि भाजपा के खुसरो को 20 हजार 453 वोट।
छत्तीसगढ़ में विधानसभा का दूसरा उप चुनाव डोंगरगढ़ सीट पर हुआ। इस सीट से 2003 में भाजपा विधायक दल के नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने चुनाव लड़ा था। डॉ. रमन के लिए भाजपा के ही एक विधायक ने यह सीट छोड़ा था। तत्कालीन सीएम डॉ. रमन के सामने कांग्रेस ने गीता देवी सिंह को मैदान में उतारा। गीता देवी पूर्ववर्ती जोगी सरकार में मंत्री थीं, लेकिन 2003 का चुनाव हार गई थीं। उप चुनाव में भी उन्हें हार का ही सामना करना पड़ा। डॉ. रमन ने करीब 10 हजार वोटों के अंतर से यह सीट जीता। डॉ. रमन को 42 हजार 115 वोट मिला जबकि गीता देवी को 32 हजार चार वोट मिले थे।
बिलासपुर संभाग की अकलतरा सीट पर 2004 में ही उप चुनाव हुआ। इस सीट से भाजपा के छतराम देवांगन का मुकाबला कांग्रेस के डॉ. राकेश कुमार सिंह से हुआ। तब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। जनता ने सत्ता पक्ष का साथ दिया और भाजपा प्रत्याशी छतराम देवांगन जीत गए।
छत्तीसगढ़ के जिस विधानसभा सीट पर चौथा उप चुनाव हुआ वह कोटा सीट थी। इस सीट से 2003 में विधायक चुने गए डॉ. राजेंद्र प्रसाद के निधन की वजह से यह सीट खाली हुई। कांग्रेस की इस परंपरागत सीट से पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने अपनी पत्नी डॉ. रेणु जोगी को चुनाव लड़वाया। तब भी प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। भाजपा ने डॉ. जोगी के मुकाबले ठाकुर भूपेंद्र सिंह को टिकट दिया, लेकिन डॉ. जोगी करीब 24 हजार वोटों के अंतर से जीत गईं।
कोटा उप चुनाव के अगले ही साल 2007 में मालखरौदा (2008 के परिसीमन में इस सीट का अस्तित्व समाप्त हो गया) सीट पर उप चुनाव हुआ। इस सीट से भाजपा के निर्मल सिन्हा का मुकाबला कांग्रेस के मोहन मणि से हुआ। इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी ने आसानी से जीत दर्ज कर लिया।
खैरागढ़ सीट पर 2007 में उप चुनाव हुआ। सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने कोमल जंघेल को टिकट दिया, तो कांग्रेस ने पद्मा देवव्रत सिंह को मैदान में उतारा। सरकार भाजपा की थी और उप चुनाव में जीत भी भाजपा प्रत्याशी की ही हुई।
इसके बाद केशकाल सीट पर 2008 में उप चुनास हुआ। इस सीट पर उप चुनाव में सत्ताधरी भाजपा के प्रत्याशी सेवक राम नेताम ने जीत दर्ज किया। सेवक राम का मुकाबला कांग्रेस के बुधसेन मरकाम से हुआ था।
भिलाई की वैशाली नगर सीट पर 2009 में उप चुनाव हुआ था। 2008 में अस्तित्व में आए इस सीट से 2008 के चुनाव में भाजपा ने दुर्ग की तत्कालीन महापौर सरोज पांडेय को टिकट दिया था। सरोज पांडेय जीत गई। इस बीच 2009 में उन्हें दुर्ग लोकसभा का भी टिकट मिल गया। सरोज पांडेय सांसद भी बन गई। तब सरोज पांडेय महापौर, विधायक और सांसद तीनों थीं।
लोकसभा की सदस्यता लेने के साथ ही उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। इस वजह से खाली हुई वैशाली नगर सीट पर 2009 में उपचुनाव हुआ। भाजपा ने इस सीट से जागेश्वर साहू को टिकट दिया, जबकि कांग्रेस ने भजन सिंह निरंकारी को। प्रदेश की सत्ता में भाजपा थी, लेकिन जीत कांग्रेस की हुई। निरंकारी ने साहू को हरा दिया।
भटगांव सीट पर 2010 में उप चुनाव हुआ। इस सीट से भाजपा ने रजनी त्रिपाठी को टिकट दिया। 2008 में इस सीट से रजनी त्रिपाठी के पति विधायक चुने गए थे। उनकी असमय निधन के बाद उप चुनाव हुआ। रजनी त्रिपाठी के सामने कांग्रेस ने उमेश्वर शरण सिंहदेव को टिकट दिया। जीत रजनी त्रिपाठी की हुई।
इसके अगले साल 2011 में बालोद सीट पर उप चुनाव हुआ। भाजपा प्रत्याशी कुमारी मदन साहू ने कांग्रेस के प्रत्याशी मोहन पटेल को करीब 10 हजार वोट से मात दी।
कांकेर जिला की अंतागढ़ सीट पर 2014 में उप चुनाव हुआ। इससे पहले हुए सभी उप चुनावों की तुलना में यह बेहद चर्चित रहा। इस सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी ने एन वक्त पर अपना नाम वापस ले लिया। ऐसे में मुकाबला भाजपा के भोजराम नाग और सीपीआई के रूपधर पुडो के बीच हुआ। जीत नाग की हुई, लेकिन प्रदेश की सियासत में अंतागढ़ सीडी कांड की चर्चा आज भी होती है।
छत्तीसगढ़ में विधानसभा के सबसे ज्यादा उप चुना कांग्रेस शासन के दौरान 2018 से 2023 के बीच हुए। इन 5 सालों में पांच विधानसभा सीटों पर उप चुनाव हुए। छठवीं सीट पर भी उप चुनाव की संभावना बनी, लेकिन चुनाव जगदीक आ गया था, इस वजह से नहीं हुआ।
2019 में बस्तर की चित्रकोट विधानसभा सीट पर उप चुनाव हुआ। तब प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस थी। इस सीट से 2018 में कांग्रेस के दीपक बैज विधायक चुने गए थे। 2019 में वे बस्तर सीट से सांसद चुन लिए गए तो उन्होंने विधानसभा छोड़ दिया। कांग्रेस ने इस सीट से राजमन बेंजाम और भाजपा ने लच्छुराम कश्यप को टिकट दिया। जनता ने सत्ता का साथ दिया और बेंजाम विधायक चुन लिए गए।
2019 में ही दंतेवाड़ा सीट पर उप चुनाव हुआ। इस सीट से 2018 में विधायक चुने गए भाजपा के भीमा मंडावी की 2019 में नक्सलियों के आईईडी ब्लास्ट में मौत हो गई थी। कांग्रेस ने यहां से देवती कर्मा को टिकट दिया तो भाजपा ने भीमा मंडावी की पत्नी ओजस्वी मंडावी को मैदान में उतारा। मंडावी को साहनभूति वोट नहीं मिले और वो हार गईं।
इसके बाद 2020 में मरवाही सीट पर उप चुनाव हुआ। 2018 में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की टिकट पर विधायक चुने गए पूर्व सीएम अजीत जोगी के निधन की वजह से यह सीट खाली हुई थी। कांग्रेस ने यहां से डॉ. केके ध्रुव को टिकट दिया। वही, भाजपा ने डॉ. गंभीर सिंह को। कांग्रेस के डॉ. ध्रुव विधायक चुने गए।
मरवाही में उप चुनाव के दो साल बाद 2022 में खैरागढ़ सीट पर उप चुनाव हुआ। यह सीट पर भी 2018 के चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीगसढ़ जीती थी। विधायक चुने गए थे देवव्रत सिंह, लेकिन उनकी असमय मौत हो गई। उप चुनाव में कांग्रेस ने यशोदा वर्मा और भाजपा ने कोमल जंघेल को टिकट दिया। कांग्रेस की यदोशा वर्मा विधायक चुनी गई।
कांग्रेस की भानुप्रतापपुर पर भी 2022 में ही उप चुनाव हुआ। इस सीट से 2018 में विधायक चुने गए कांग्रेस के मनोज मंडावी का दिल का दौरा पड़ने की वजह से निधन हो गया। कांग्रेस ने मंडावी की पत्नी सावित्री मंडावी और भाजपा ने ब्रह्मानंद नेताम को टिकट दिया। मंडावी विधायक चुन ली गई।
इसके बाद वैशालीनगर सीट से 2018 में विधायक चुने गए भाजपा के विद्यारतन भसीन की 2023 में निधन हो गया, लेकिन विधानसभा के चुनाव में छह महीने से कम का वक्त बचा था, इस वजह से इस सीट पर उप चुनाव नहीं कराया गया।