CG News: रायपुर। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार के एक और फैसले पर पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने सवाल उठाते हुए बड़ा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि विष्णु सरकार ने उस व्यक्ति को आयोग का अध्यक्ष बनाया है जिसे भाजपा की ही डॉ. रमन सरकार ने पद से हटाया था।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह हमला गो सेवा आयोग के अध्यक्ष बनाए गए विशेषर पटेल लेकर बोला है। पूर्व सीएम ने कहा कि पटेल को छत्तीसगढ़ सरकार ने गौ आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है। उन्हें तुरंत पद से हटाया जाना चाहिए।
पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि पटेल को गोसेवा आयोग का अध्यक्ष बनाने के फैसले को सरकार को तुरंत पटलना चाहिए। सरकार को जनता से माफा मांगनी चाहिए और पटेल को तुरंत गोसेवा आयोग के अध्यक्ष पद से हटाना चाहिए।
पटेल को हटाने के पीछे का कारण भी उन्होंने बताया है। पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि विशेषर पटेल को इसलिए भी हटाया जाना चाहिए क्योंकि वे पहले भी गो आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं और उन्हीं के कार्यकाल में बेमेतरा ज़िले में गोशाला में सैकड़ों गायों की हत्या की गई थी।
भूपेश बघेल आगे कहते हैं कि जिन्हें याद न हो, उन्हें याद दिला दूं कि भाजपा के मंडल अध्यक्ष ने गोशाला में सैकड़ों गायों को गो मांस, चमड़े और हड्डियों के लिए भूसे में दबाकर मार दिया था। भूपेश बघेल ने कहा कि इतना ही नहीं विशेषर पटेल पर अनुदान की राशि हड़पने का आरोप भी लगा था।
भूपेश बघेल ने बताया कि इससे पहले सरकार ने पटेल पर 2019 में दर्ज एक आपराधिक प्रकरण को वापस लिए जाने का फैसला किया है। सरकार का कहना है कि यह मामला विशुद्ध रूप से राजनीतिक मामला था। उन्होंने कहा कि समझिए कि मामला क्या था विशेषर पटेल अपने साथियों के साथ होली के दिन कवर्धा के एक अस्पताल में घुसे और डॉक्टर और स्टाफ़ के सदस्यों से मारपीट की साथ में गाली गलौज भी की और धमकी भी दी।
भूपेश बघेल ने बताया कि विशेषर पटेल पर भारतीय दंड विधान की धारा 294, 323, 506बी, एट्रोसिटी एक्ट की धारा 3 (1) (10) एवं चिकित्सा सेवा तथा चिकित्सा सेवा अधिनियम 2010 की धारा 4,5 के तहत जुर्म दर्ज किया गया था। मामला अभी अदालत में है।
पूर्व सीएम ने कहा कि समझ में नहीं आता कि अस्पताल में घुसकर डॉक्टर के साथ मारपीट कौन सा राजनीतिक कार्य था? वह भी अनुसूचित जाति के एक डॉक्टर के साथ? भूपेश बघेल कहते हैं कि ठीक है कि कवर्धा उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा का गृह ज़िला है, पर वहां एक विशुद्ध आपराधिक मामले को राजनीतिक गतिविधि बताने की छूट तो नहीं है ना! और क्या कवर्धा के मामले में भाजपा सरकार को शर्म भी आनी बंद हो गई है?