Chhath Puja 2024: रायपुर। छठ व्रत कभी पूरे बिहार (झारखंड) और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है, लेकिन अब यह त्योहार ग्लोबल हो गया है। बिहार में महापर्व कहा जाने वाला यह त्योहार भारत के लगभग हर राज्य में मनाया जा रहा है। इतना ही नहीं विदेशों में भी बिहार के लोग जहां रहते हैं, अब वहां भी छठपर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जाने लगा है।
इतना ही नहीं छठ माई की महिमा ऐसी है कि अब दूसरे प्रांतों के लोग भी यह व्रत करने लगे हैं, जो लोग व्रत नहीं करते हैं वे भी छठ माई का आशीर्वाद लेने के लिए सुबह और शाम को घाट पर जरुर जाते हैं। छठ पर्व आने में अब करीब महीनेभर से भी कम समय बचा है। इसके साथ ही सवाल होने लगा है कि छठ व्रत इस वर्ष कब मनाया जाएगा। इस सवाल का जवाब जानने के लिए हम पहुंचे आचार्य सुमन महाराज के पास, आईए उन्हीं से जातने हैं इस वर्ष छठ व्रत में कब क्या होगा..
आचार्य सुमन महाराज के अनुसार इस वर्ष छठ महापर्व की शुरुआत मंगलवार 5 नवंबर को नहाय-खाय के साथ होगी। 6 नवंबर बुधवार को खरना। 7 नवंबर गुरुवार को संध्या घाट, जहां अस्ताचल सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके अलगे दिन 8 नवंबर शुक्रवार को सुबह उगते सूर्य देव को अर्घ्य के साथ व्रत का समापन होगा।
तारीख | दिन | छठ पूजा | कार्यक्रम |
05 नवंबर 2024 | मंगलवार | छठ पूजा का पहला दिन | नहाय- खाय |
06 नवंबर 2024 | बुधवार | छठ पूजा का दूसरा दिन | खरना |
07 नवंबर 2024 | गुरुवार | छठ पूजा का तीसरा दिन | संध्या घाट |
08 नवंबर 2024 | शुक्रवार | छठ पूजा का चौथा दिन | उषा अर्घ्य |
छठ महापर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। चार दिनों तक चलने वाले इस व्रत में महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। छठ महापर्व को सबसे कठिन व्रत माना जाता है। इसकी शुरुआत नहाय- खाय से शुरु होकर चौथे दिन उगते सूर्य देवता को अर्घ्य के साथ संपन्न होता है।
क्यों किया जाता है छठ व्रत
यह व्रत महिलाएं ज्यादा करती हैं। पुरुष भी छठ वर्त करत हैं, लेकिन अविवाहित लड़िकियां यह व्रत नहीं करती हैं। सामान्यत: यह व्रत संतान की लंबी आयु, बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण के साथ परिवार में सुख, शांति और समृद्धि के लिए किया जाता है।
जानिए.. क्या- क्या होता है व्रत के दौरान
छठ पर्व की शुरुआत इस वर्ष 5 नवंबर को नहाय-खाय के साथ होगी। व्रत रखने वाली महिलाएं इस दिन स्नान करके केवल एक ही वक्त भोजन करती हैं। इसके अगले दिन खरना के दिन शाम को छठी माई के लिए भोजन पकाया जाता है। इसमें मीठा भात और लौकी शामिल रहता है।
तीसरे दिन शाम के समय व्रती घाट पर जाती हैं और अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। यह दुनिया का संभवत: एक मात्र पूजा है जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है। शाम को घर लौटने के बाद कोसी भरा जाता है। इसके अगले दिन सुबह फिर घाट पर ही उगते सूय को अर्घ्य दिया जाता है। छठ वर्त एक ही है, लेकिन क्षेत्र और मान्यता के हिसाब से इसमें थोड़ा- बहुत अंतर आ जाता है।
Chhath Puja 2024: प्रकृति की पूजा का त्योहार है छठ
छठ पर्व एक तरह से प्राकृति की पूजा का त्योहार है। इसमें छठ माई के साथ सूर्य देवता की पूजा की जाती है। इस व्रत में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। छठ पर्व साल में दोबार मनाया जाता है एक तो कार्तिक में और दूसरा चैत्र में। इस व्रत को लेकर ऐसी कथा है कि छठ मईया ब्रह्मा जी की मानस पुत्री और सूर्य देवता की बहन हैं। छठ मईया की पूजा संतान देने वाली और संतान की रक्षा करने वाली देवी के रुप में की जाती है। वहीं, शास्त्रों में सूर्य देव को अन्न और सपन्नता के देवता के रुप में बताया गया है। इस वजह से उनकी पूजा की जाती है।
छत्तीसगढ़ में सरगुजा से बस्तर तक छठ
छत्तीसगढ़ में भी छठ अब बड़े स्तर पर मनाया जाने लगा है। सरगुजा संभाग का ज्यादातर हिस्सा झारखंड और उत्तर प्रदेश से लगा हुआ है, ऐसे में वहां छठ व्रत काफी लोग मनाते हैं। प्रदेश के मैदानी और औद्योगिक क्षेत्रों विशेष रुप से रायगढ़, कोरबा, बिलासपुर, रायपुर और दुर्ग- भिलाई में तो घाटों पर लाखों की भीड़ होती है। बस्तर संभाग में भी छठ मनाने वालों की संख्या काफी है।
जानिए.. छत्तीसगढ़ में कब है छठ की सरकारी छुट्टी
छठ की महिमा और भव्यता का देखते हुए छत्तीगसढ़ में भी इस महापर्व के दिन सरकारी छुट्टी घोषित कर दी गई है। सरकारी कैलेंडर के अनुसार इस बार 7 नवंबर को छठ के अवसर पर सरकारी छुट्टी रहेगी।