High Court बिलासपुर। हाईकोर्ट ने एक सहायक ग्रेड- 3 की सेवा समाप्ति के मामले की सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सेवा समाप्त करने के आदेश को गलत ठहराया है। हालांकि कोर्ट ने फिर से विभागीय जांच करने पर कोई रोक नहीं लगाई है।
मामला कोरिया जिला के खडगवा का है। वहां संविदा में पदस्थ सहायक ग्रेड-3 अभिषेक सिन्हा की सेवा अचानक समाप्त कर दी गई। सिन्हा पर मनरेगा में वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया गया। सेवा से बाहर किए जाने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। प्रार्थी को 2017 में नौकरी से बाहर किया गया था। इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। प्रार्थी की तरफ से अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और नरेंद्र मेहेर ने पैरवी की। इसकी सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की बैंच में हुई।
High Court प्रार्थी सिन्हा की नियुक्ति 15 फरवरी 2011 को हुई थी। अगस्त 2017 में सिन्हा पर वित्तीय अनियमितता के मामले में कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा। आरोप था कि पंचायत में सामग्री व श्रम की राशि में अतिरिक्त भुगतान पाया गया है। 16 अक्टूबर 2017 को मुख्य कार्यपालिका अधिकारी जिला पंचायत कोरिया ने प्रार्थी के उत्तर को समाधान कारक नहीं मानते हुए एक महीने का वेतन देकर संविदा नियुक्ति समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया।
High Court में पैरवी करते हुए अधिवक्ता सिद्दीकी ने कहा कि वित्तीय अनियमितता में हुई विभागीय जांच के संबंध में याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया गया और ना ही आरोप पत्र जारी किया गया है। विभाग ने इसलिए प्राकृतिक न्याय जे सिद्धान्त का भी उल्लंघन किया है।
बता दें कि संविदा कर्मचारियों के पक्ष में हाईकोर्ट का यह लगातार दूसरा फैसला है। पिछले सप्ताह राजनांदगांव जिला में इसी तरह के एक मामले में हाईकोर्ट ने संविदा कर्मचारी को सेवा से बाहर किए जाने के आदेश को निरस्त करने का आदेश दिया था। इस खबर को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करेंAMP