High Court: बिलासपुर। महिला की मौत के मामले में छत्तीसगढ़ बिजली वितरण कंपनी को हर्जाना देना पड़ेगा। निचली अदालत ने पावर कंपनी पर जुर्माना लगाया था, जिसे कंपनी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट से भी पॉवर कंपनी को राहत नहीं मिली है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए, जुर्माना की राशि ब्याज के साथ चुकाने का आदेश दिया है।
मामला बोरवेल में करंट आने से एक महिला की मौत से जुड़ा है। घरेलू उपयोग के लिए बोरवेल में लगे पंप की करंट की चपेट में आने से पंचो बाई की मौत हो गई। मृतका के पति ने इसके लिए बिजली वितरण कंपनी को जिम्मेदार बताते हुए हर्जाना की मांग करते हुए कोर्ट में केस कर दिया। निचली अदालत ने मृतका के पति के हक में फैसला सुनाया। इस फैसले को पावर कंपनी की तरफ से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
High Court: हाईकोर्ट में इस केस की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की बेंच में हुई।पावर कंपनी के वकील ने तर्क दिया कि पंचो बाई की मौत घरेलू वायरिंग में कमी और मृतका की लापरवाही के कारण हुई है। इसके लिए पावर कंपनी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। वहीं, दूसरे पक्ष ने तर्क दिया कि यह दुर्घटना बिजली कंपनी की तरफ से अर्थिंगि सिस्टम को बनाए रखने में लापरवाही के कारण हुआ है।
High Court: दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने 2002 में सुप्रीम कोर्ट के दिए एक फैसले का उल्लेख करते हुए अपना निर्णय सुनाया। 2002 में मध्य प्रदेश बिजली बोर्ड बनाम शैल कुमारी व अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सख्त दायित्व सिद्धांत को लागू किया था। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि किसी खतरनाक गतिविधि में शामिल व्यक्ति या संगठन किसी भी नुकसान के लिए उत्तरदायी है, चाहे उसकी गलती या लापरवाही कुछ भी हो।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में निचली अदालत के फैसले को सही बताया है। कोर्ट ने मृतिका के परिजनों को बतौर क्षतिपूर्ति 10 लाख 37 हजार 680 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। इसमें आश्रित हानि के लिए 9 लाख 67 हजार 680 और मानसिक पीड़ा, संपत्ति की हानि और अंतिम संस्कार के खर्च के लिए 70 हजार रूपये शामिल हैं। हाई कोर्ट ने घटना की तारीख से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के हिसाब से राशि का भुगतान करने का निर्देश बिजली कंपनी को दिया है।