Local elections: रायपुर। छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। दिसंबर के अंतिम समप्ताह में चुनाव आयोग कार्यक्रमों क घोषणा कर सकता है। इससे पहले राज्य निर्वाचन आयोग ने 23 दिसंबर को सभी कलेक्टर और एसपी की बैठक बुलाई है।
इसमें चुनावी तैयारियों की समीक्षा की जाएगी। माना जा रहा है कि कलेक्टर और एसपी की बैठक के तुरंत बाद ही चुनाव कार्यक्रमों का ऐलान कर दिया जाए। इससे पहले 23 दिसंबर को नए सर्किट हाउस में प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों व पुलिस अधीक्षकों की बैठक बुलाई है।
बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, डीजीपी अशोक जुनेजा सहित सभी संभागीय कमिश्नर व रेंज पुलिस महानिरीक्षक व अन्य अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। बैठक में नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव की तैयारियों की जिलेवार समीक्षा की जाएगी। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा कभी भी निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा की जा सकती है।
छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय व त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव एक साथ होगा यह अब फाइल हैं। प्ररदेश में नगरीय निकायों व त्रि-स्तरीय पंचायतों के चुनाव एक साथ जनवरी-फरवरी में कराने की तैयारी है। नगरीय निकायों का कार्यकाल 7-10 जनवरी तक तथा पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल फरवरी के अंत तक है। ऐसे में नगरीय निकायों में प्रशासक की नियुक्ति की जा सकती है। इसके लिए सरकार पहले ही अध्यादेश जारी कर चुकी है।
नगर पलिक निगम, नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों के वार्डों के आरक्षण की कार्यवाही के लिए संबंधित जिले के कलेक्टर को विहित प्राधिकारी नियुक्त कर दिया गया है।
नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव बसव राजू, संचालक कुंदन कुमार व अपर संचालक पुलक भट्टाचार्य सहित अन्य अधिकारियों ने नगरीय निकायों में वाडों के आरक्षण के संबंध में बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया।
प्रशिक्षण में जिले के सभी नगरपालिक निगम के आयुक्त, नगरपालिका व नगर पंचायत के मुख्य नगरपालिका अधिकारी उपस्थित रहे। राज्य में नगरीय निकायों में वाडों के आरक्षण सहित चुनाव की सुचारु व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए नियमों व निर्देशों की जानकारी संबंधित अधिकारियों को दी गई।
वहीं, नगरीय निकायों में महापौर व अध्यक्ष समेत वार्ड पार्षद पदों के आरक्षण के लिए संशोधन अध्यादेश जारी होने के बाद नगरीय प्रशासन विभाग की ओर से छत्तीसगढ़ नगरपालिका (महापौर तथा अध्यक्ष के पद का आरक्षण) नियम 1999 में संशोधन की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।
संशोधित नियम के अनुसार नगरीय निकायों में जहां अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों के लिए 50 प्रतिशत से कम स्थान आरक्षित किए गए हों, वहां यथासंभव निकटतम रूप से कुल स्थानों की संख्या के 50 प्रतिशत की अधिकतम सीमा के अध्यधीन रहते हुए शेष स्थान अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षित किए जाएंगे, ताकि ऐसे स्थान लॉट द्वारा आवंटित किए जाएंगे।
जहां अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों के लिए कुल आरक्षण 50 प्रतिशत या इससे अधिक है, तो अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कोई स्थान आरक्षित नहीं किया जाएगा। आरक्षण की गणना करते समय कुल आरक्षण, कुल स्थान के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।
प्रदेश के नगरीय निकायों में 1 अक्टूबर की अर्हता तिथि के आधार पर मतदाता सूची त्मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 11 दिसंबर को हो गया है। जबकि त्रिस्तरीय पंचायतों की मतदाता सूची का प्रकाशन भी आगामी 20 दिसंबर को होगा।
नगरीय प्रशासन विभाग के मुताबिक नियमों में बदलाव के बाद अब नगरीय निकायों में आरक्षण की प्रक्रिया हफ्तेभर में पूरी कर ली जाएगी। महापौर व अध्यक्ष पदों का आरक्षण शासन तथा वार्ड पार्षद पदों का आरक्षण कलेक्टरों के माध्यम से होना है। प्रदेश में नगरीय निकायों में महापौर व अध्यक्ष का चुनाव अब सीधे मतदाता करेंगे।