Power company रायपुर। डंगनिया स्थित बिजली कंपनी मुख्यालय के सामने बिजली कर्मचारी ने विरोध प्रदर्शन किया। विद्युत कर्मचारी महासंघ के बैनर तले इस आंदोलन में कंपनी के संविदा कर्मचारी के साथ ही दूसरे संगठनों के नेता और कर्मचारी शामिल हुए। प्रदर्शन के दौरान कर्मचारी नेताओं ने पावर कंपनी प्रबंधन पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाते हुए तीखा हमला बोला।
बिजली कर्मचारी महासंघ ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने समेत दर्जनभर मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। महासंघ की तरफ से इस संबंध में काफी पहले कंपनी प्रबंधन को ज्ञापन सौंपा जा चुका है। इन मांगों को लेकर दीपावली से पहले महासंघ ने क्रमबद्ध आंदोलन किया था। महासंघ की मांगों में संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण, कर्मचारियों को तकनीकी भत्ता देने और चतुर्थ उच्चतर वेतनमान लागू करने की मांग शामिल है।
इसके साथ ही महासंघ की तरफ से कर्मचारियों के लिए स्टेगनेशन भत्ता देने, सभी आईटीआई धारकों टीडी, लंबित पदोन्नति सूची करने के साथ ही ग्रेडेशन लिस्ट की विसंगति दूर करने की मांग की जा रही है।
महासंघ की मांगों में संविदा कर्मचारियों का वेतन, श्रम सम्मान निधि और कंप्यूटर भत्ता देने के साथ ही भर्ती प्रक्रिया में बाह्य स्त्रोत के कर्मियों को प्राथमिकता देने की मांग शामिल है।
बिजली कंपनी मुख्याल में हुए इस प्रदर्शन के दौरान महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष बीएस राजपूत, अखिल भारतीय मंत्री व विद्युत प्रभारी राधेश्याम जायसवाल और राष्ट्रीय पदाधिकारी अरुण देवांगन, प्रांतीय महामंत्री नवरतन बरेठ और कार्यकारी अध्यक्ष संजय तिवारी के साथ बिजली कंपनी के संविदा कर्मचारी संघ के नेताओं ने भी संबोधित किया।
प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों ने जुड़ी अन्य मांगों के साथ ही बिजली कंपनी मुख्यालय नवा रायपुर शिफ्ट किए जाने का भी विरोध किया गया। बता दें कि कंपनी का नया मुख्यालय नवा रायपुर में बनाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए कंपनी ने टेंडर भी जारी कर दिया है। नया मुख्यालय भवन बनाने में 200 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होगा। इसका भार बिजली कंपनी के कर्मचरियों और आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
कर्मचारी नेता इसे पावर कंपनी के निजीकरण की साजिश बता रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 13 दिसंबर को उत्तर प्रदेश और हरियाणा भी बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया है।