DA of pensioners रायपुर। छत्तीसगढ़ में पेंशनरों का महंगाई भत्ता बढ़ाने के लिए राज्य सरकार को मध्य प्रदेश सरकार की समहति लेनी पड़ती है। इसी तरह मध्य प्रदेश की सरकार भी छत्तीसगढ़ की सहमति बिना वहां के पेंशनरों का महंगाई भत्ता नहीं बढ़ा सकती। दोनों राज्य अपनी मर्जी से इससे अलग नहीं हो सकते।
यह काम केवल केंद्र सरकार ही कर सकती है। दोनों राज्यों के पेंशनरों का यह मुद्दा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन आया। विधायक इंद्रशाह मंडावी ने इसको लेकर सवाल पूछा था।
मंडावी ने जानना चाहा कि 31अक्टूबर, 2024 की स्थिति में राज्य में पेंशनधारी और परिवार पेंशनधारी सेवानिवृत्त शासकीय सेवकों की संख्या कितनी है?
उन्होंने यह भी पूछा कि मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 2000 की धारा-49 (6) में पेंशनर्स को देय महंगाई राहत की स्वीकृति के पूर्व क्या दोनों राज्यों की परस्पर सहमति की बाध्यता है? यदि हां, तो सरकार द्वारा धारा-49 (6) को विलोपित करने के लिए किस प्रकार की कार्यवाही की गई/प्रस्तावित है?
DA of pensioners इसके लिखित उत्तर में वित्त मंत्री ओपी चौधरी की तरफ से बताया गया है कि 31 अक्टूबर 2024 के स्थिति में राज्य में पेंशनधारी की संख्या 92,329 और परिवार पेंशनधारी की संख्या 64,135 है।
चौधरी ने बताया है कि केन्द्रीय शासन द्वारा अधिनियमित मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 की धारा 49 और छठी अनुसूची में पेंशन दायित्व के प्रभाजन के लिए नवीन दायित्वों के सृजन पर सहमति आवश्यक है। मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 केन्द्रीय शासन द्वारा अधिसूचित अधिनियम है। केन्द्रीय शासन के अधिनियम में कोई संशोधन/विलोपन केन्द्रीय शासन द्वारा ही किया जा सकता है।
DA of pensioners बता दें कि पेंशनरों का महंगाई भत्ता बढ़ाने के लिए दोनों राज्यों की सहमति जरूरी है। इसकी वजह से कई बार कर्मचारियों का डीए बढ़ जाता है, लेकिन पेंशनरों का आर्डर जारी होने में वक्त लग जाता है। दोनों राज्यों को अलग हुए करीब 24 साल हो गया है। ऐसे में अब इस निर्भरता को खत्म करने की की मांग होने लगी है।
जानकारों के अनुसार इस मामले में मध्य प्रदेश या छत्तीसगढ़ की सरकार कुछ नहीं कर सकती है। इसके लिए दोनों राज्यों को कानून में संशोधन के लिए केंद्र सरकार से आग्रह करना पड़ेगा।